छत्तीसगढ़ के सुकमा में 2011 में नक्सली मुठभेड़ हुई थी, जिसपर न्यायिक जांच बैठाई गई थी. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को राज्य विधानसभा में, इस न्यायिक आयोग की रिपोर्ट पेश की, जिसमें पुलिस को क्लीन चिट दे दी गई है.
न्यायिक रिपोर्ट का कहना है कि 11 मार्च से 16 मार्च 2011 के बीच, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के तीन गांवों में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ के दौरान घरों में किसने आग लगाई, इसके कोई सबूत नहीं थे. साथ ही, इस घटना के बाद राज्य के दौरे पर निकले सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के काफिले पर कथित हमला प्रायोजित था, इसपर भी कोई सबूत नहीं मिले.
बीजेपी सरकार ने किया था विशेष न्यायिक आयोग का गठन
आपको बता दें कि 2011 में, 11 से 16 मार्च के बीच, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के मोरपल्ली, तिम्मापुरम और ताड़मेटला गांवों में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 246 घरों को जला दिया गया था. इसके बाद, स्वामी अग्निवेश ने दो बार दंतेवाड़ा जाने की कोशिश की, लेकिन 26 मार्च 2011 को उनके काफिले पर दोरनापाल इलाके में, कथित तौर पर हमला कर दिया गया था. तब की बीजेपी सरकार ने इन घटनाओं की जांच के लिए, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश टीपी शर्मा की अध्यक्षता में एक विशेष न्यायिक आयोग का गठन किया था.
सुकमा के तीन गांवों में हुई थी नक्सली मुठभेड़
विशेष न्यायिक आयोग की 511 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, 11 मार्च, 2011 को मोरपल्ली में नक्सलियों और पुलिस की एक टीम, सीआरपीएफ और उसकी कोबरा यूनिट के बीच एक मुठभेड़ हुई. यह घटना उस वक्त हुई जब सुरक्षा बल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ थे, जिन्हें मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों की जांच करनी थी. उसी दिन गांव के 31 घरों में आग लग गई थी.
13 और 14 मार्च, 2011 को तिम्मापुरम में एक और मुठभेड़ हुई, जिसमें तीन पुलिसकर्मी मारे गए और आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब घरों से गोलियां चलाई गईं और जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने ग्रेनेड फेंके, तो चार या पांच घर जल गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, अन्य 55 घरों में भी आग लग गई थी, लेकिन यह पता नहीं चल पाया कि आग के पीछे कौन जिम्मेदार था. 16 मार्च 2011 को ताड़मेटला में फिर मुठभेड़ हुई और उस दिन भी गांव के 160 घरों में आग लग गई.
पुलिस ने आत्मरक्षा में दी प्रतिक्रिया
रिपोर्ट में कहा गया है, 'तिम्मापुरम गांव में, कोने के 4-5 घरों जहां से गोलीबारी की जा रही थी, वहां पुलिस की प्रतिक्रिया से आग लगी थी. पुलिस ने आत्मरक्षा में प्रतिक्रिया दी जो गलत कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह सुरक्षा बलों का अधिकार था.'
रिपोर्ट में कहा गया है कि मोरपल्ली में 31 घर, तिम्मापुरम में 55 घर और ताड़मेटला में 160 घरों को किसने जलाया, इसका कोई सबूत नहीं है. चूंकि कोई सबूत नहीं है, इसलिए किसी को भी घर जलाए जाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.'
'स्वामी अग्निवेश पर हुआ हमला प्रायोजित नहीं था'
स्वामी अग्निवेश के काफिले पर कथित हमले के संबंध में, रिपोर्ट में कहा गया है कि दोरनापाल पुलिस स्टेशन में एक FIR दर्ज की गई, जिसके तहत 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया. फिलहाल सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है.
दो गवाहों ने दावा किया कि इस घटना के पीछे एसआरपी कल्लूरी का हाथ था, जो उस वक्त दंतेवाड़ा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) के रूप में तैनात थे, लेकिन इसके भी कोई सबूत नहीं हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भीड़ ने अग्निवेश के काफिले का विरोध किया था, जो किसी के द्वारा प्रायोजित नहीं था.