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जूस विक्रेता से बना सट्टेबाज, फिर मिला दाऊद इब्राहिम का साथ... सौरभ चंद्राकर की क्राइम कुंडली

अगर चंद्राकर और उप्पल भारत में कहीं भी उतरते हैं तो लुकआउट सर्कुलर से उन्हें पकड़ने में मदद मिल सकती है. चंद्राकर और उप्पल फिलहाल फरार हैं. कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि सौरभ चंद्राकर जिसकी उम्र महज 28 साल के आसपास है, उसे सट्टेबाजी की दुनिया में पाब्लो एस्कोबार कहा जाता है.

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इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस की FIR पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है
इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस की FIR पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है

फ्रूट जूस विक्रेता से सट्टेबाज बने सौरभ चंद्राकर के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया गया है. सौरभ अंडरवर्ल्ड डॉन और ग्लोबल टेरर फाइनेंसर दाऊद इब्राहिम का सहयोगी माना जाता है. वो सट्टेबाजी के लिए एक ऑनलाइन कैसीनो प्लेटफॉर्म, महादेव बुक ऐप चलाता था. सूत्रों के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ED) और छत्तीसगढ़ पुलिस ने सौरभ चंद्राकर और उसके करीबी रवि उप्पल के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है. 

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अगर चंद्राकर और उप्पल भारत में कहीं भी उतरते हैं तो लुकआउट सर्कुलर से उन्हें पकड़ने में मदद मिल सकती है. सूत्रों ने बताया कि चंद्राकर और उप्पल भाग रहे हैं और जल्द ही उन्हें पकड़ लिया जाएगा. कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि सौरभ चंद्राकर जिसकी उम्र महज 28 साल के आसपास है, उसे सट्टेबाजी की दुनिया में पाब्लो एस्कोबार कहा जाता है. केवल तीन वर्षों में उसके ऐप या कैसीनो सट्टेबाजी प्लेटफ़ॉर्म, महादेव बुक ऐप ने हजारों करोड़ रुपये कमाए हैं, जिसमें से उन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपये का उपयोग कानून प्रवर्तन अधिकारियों, राजनेताओं और अन्य लोगों को अपने सट्टेबाजी प्लेटफ़ॉर्म से नज़र हटाने के लिए रिश्वत देने के लिए किया है.

हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महादेव बुक ऐप के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया, जो विभिन्न गणों के माध्यम से ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म प्रदान करता है. ईडी के मुताबिक, इस मामले में छत्तीसगढ़ के सीएम के राजनीतिक सलाहकार के करीबी कहे जाने वाले एक पुलिस अधिकारी सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

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आशंका है कि सौरभ चंद्राकर के भाई, कुछ पुलिस अधिकारियों और अन्य दूसरे लोगों पर ईडी की कार्रवाई के बाद सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल दुबई से भाग गए हैं. छत्तीसगढ़ पुलिस और ईडी ने सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ जारी एलओसी (लुक आउट सर्कुलर) के आधार पर इंटरपोल को भी उनके बारे में सूचित किया था. फिलहाल सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल का सट्टेबाजी रैकेट 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा का होने का शक है.

बड़ी मात्रा में नकदी को हवाला के ज़रिए दुबई भेजा जा रहा था और फिर चंद्राकर और उप्पल द्वारा इसे कुछ भ्रष्ट कानून प्रवर्तन अधिकारियों और राजनेताओं को भेजा गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके ऐप और इसे चलाने वालों पर कोई कार्रवाई न हो.

एजेंसियों को शक है कि इतने बड़े पैमाने पर महादेव बुक ऐप के संचालन को दाऊद इब्राहिम गैंग ने दुबई के जरिए देश में संचालित करने में मदद की थी और इसके लिए गिरोह को कमाई का एक विशेष प्रतिशत मिल रहा था. चंद्राकर और उप्पल दुबई में एक आलीशान हवेली में रहते थे और भागने से पहले उनके पास वहां लक्जरी कारों का एक बेड़ा था. 

कौन हैं सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल?
बेहद साधारण परिवार से आने वाले सौरभ चंद्राकर ने साल 2018 तक छत्तीसगढ़ के भिलाई में महादेव जूस सेंटर के नाम से एक छोटा सा जूस सेंटर चलाया. वो तब तक कुछ ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर दांव लगाता था और 10 से 15 लाख रुपये हार चुका था. उसका करीबी दोस्त रवि उप्पल भी बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आता है और छोटे-मोटे काम करता था, लेकिन उसने भी कुछ ऐप्स में सट्टेबाजी की और 10 लाख रुपये से ज्यादा पैसे गंवा दिए. सट्टेबाजी सिंडिकेट से वसूली का दबाव पड़ने पर चंद्राकर और उप्पल दोनों भिलाई से भागकर दुबई पहुंच गए.

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दुबई में दोनों ने छोटे-मोटे काम किए और किसी तरह महादेव बुक ऐप नामक सट्टेबाजी ऐप लॉन्च करने के लिए पैसा जुटाने में कामयाब रहे, यह नाम भिलाई में चंद्राकर के जूस सेंटर से लिया गया है. इस ऐप को यूरोप स्थित कुछ सॉफ़्टवेयर कोडर्स द्वारा विकसित किया गया था और 2020 में महामारी लॉकडाउन के दौरान लॉन्च किया गया था. तब से ऐप का व्यवसाय बढ़ता गया. उनके पास लगभग 2000 केंद्र थे, जहां दो से तीन व्यक्ति कमीशन के लिए अपने केंद्र चला रहे थे. ऐप का कारोबार देश भर के कई अन्य राज्यों में फैल गया था. महादेव बुक ऐप के खिलाफ दर्ज मामले उन लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाने के हैं, जिन्होंने ऐप में अपनी मेहनत की कमाई खोने के बाद आत्महत्या कर ली.

इस मामले में ईडी की जांच से पता चला है कि महादेव ऑनलाइन बुक पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल आदि पर सट्टेबाजी जैसे विभिन्न लाइव गेम में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करता है. ये ऐप तीन पत्ती, पोकर जैसे कई कार्ड गेम खेलने की सुविधा भी देता है. ड्रैगन टाइगर, कार्ड आदि का उपयोग करके वर्चुअल क्रिकेट गेम, यहां तक कि भारत में होने वाले विभिन्न चुनावों पर दांव लगाने की सुविधा भी देता है.
भिलाई (छत्तीसगढ़) के रहने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल महादेव ऑनलाइन बुक एप के मुख्य प्रवर्तक हैं, जो इसे दुबई से संचालित करते हैं. 

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इस केस में ईडी की कार्रवाई
ईडी ने 21 और 23 अगस्त को इस मामले में छापेमारी की और मनी लॉन्ड्रिंग जांच में पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत छत्तीसगढ़ पुलिस के सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) चंद्रभूषण वर्मा और सतीश चंद्राकर, हवाला ऑपरेटर अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी को गिरफ्तार कर लिया. ईडी के मुताबिक, आरोपी एएसआई चंद्रभूषण वर्मा छत्तीसगढ़ सीएम के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा का करीबी है.

ईडी की जांच में विनोद वर्मा के करीबी का नाम आया है

PDF में पढ़ें पूरी रिपोर्ट

ईडी की जांच में पता चला है कि एएसआई चंद्र भूषण वर्मा छत्तीसगढ़ में ग्राउंड पर मुख्य लाइजनर के रूप में काम कर रहा था. वह सतीश चंद्राकर के साथ दुबई स्थित महादेव ऑनलाइन बुक के प्रमोटरों से हवाला के माध्यम से हर महीने मोटी रकम हासिल कर रहा था. इसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े नेताओं को 'संरक्षण राशि' के रूप में वितरित कर रहा था.

ईडी की अब तक की जांच से पता चला है कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को लगभग 65 करोड़ की नकदी मिली थी और उसने ये रकम वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने के लिए इस्तेमाल की. एएसआई चंद्र भूषण वर्मा पुलिस पदानुक्रम में बहुत वरिष्ठ अधिकारी नहीं हैं, लेकिन ईडी की जांच के मुताबिक, विनोद वर्मा (सीएम के राजनीतिक सलाहकार) के साथ अपने संबंधों और रवि उप्पल द्वारा दुबई से भेजे गए रिश्वत के पैसे से वह वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करने में कामयाब रहा.

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पूछताछ के दौरान एएसआई वर्मा ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि वह कई ताकतवर लोगों को हर महीने बड़ी रिश्वत दे रहा था और ले रहा था. एएसआई वर्मा ने स्वीकार किया है कि मई 2022 में पुलिस द्वारा की गई कुछ कार्रवाई के बाद रिश्वत की रकम बढ़ाई गई थी. मामलों को कम करने, गैर-जमानती अपराधों को शामिल करने और अभियोजन को स्थानीय सट्टेबाजों तक सीमित करने और भविष्य में कार्रवाई को रोकने के लिए रिश्वत बढ़ाई गई थी. 

इसके अलावा, गिरफ्तार आरोपियों ने विशेष रूप से सीएमओ से जुड़े उच्च पदस्थ अधिकारियों का नाम लिया है, जिन्हें मासिक/नियमित आधार पर भारी रिश्वत दी जाती है. एएसआई वर्मा के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी निजी यात्रा पर दुबई गए थे, जहां वे सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल से मिले थे और उन्हें रुपये दिए गए थे. महादेव बुक ऐप को चालू रखने में मदद करने और प्रमोटरों और अन्य लोगों के खिलाफ कोई पुलिस कार्रवाई न हो यह सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत के रूप में उन्हें 40 करोड़ रुपये दिए गए थे.

ईडी ने छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी. इसके बाद, विशाखापत्तनम पुलिस और अन्य राज्यों द्वारा दर्ज की गई अन्य एफआईआर को भी रिकॉर्ड पर ले लिया गया है.

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इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों ने अपनी भूमिका स्वीकार कर ली है और रिश्वत का विवरण और इन रिश्वत के लाभार्थियों की सूची भी दे दी है. आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और पिछले सप्ताह पीएमएलए विशेष न्यायालय रायपुर के समक्ष पेश किया गया, जिसने सभी 4 आरोपियों को 6 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया.
 

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