कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक और अजय मिश्रा के कमीशनखोरी के मामले में यूपी एसटीएफ एक और बड़ी कामियाबी मिली. उसने इस मामले से जुड़े एक और आरोपी संतोष सिंह को लखनऊ के इंदिरा नगर क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया है. जानकारी के मुताबिक संतोष सिंह अजय मिश्रा का करीबी और अजय मिश्रा विनय पाठक का बहुत खास है.
जानकारी के मुताबिक संतोष सिंह की सत्यम सॉल्यूशन्स नाम की फर्म पर करोड़ों का लेन-देन हुआ था. इस साल रुहेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित Bed Entrance Exam में अभ्यर्थियों को 3.75 करोड़ की कोरोना किट दी जानी थी. इसका ठेका अजय मिश्रा ने सत्यम सॉल्यूशन्स को दिया था. एसटीएफ को यह भी पता चला है कि टेंडर मिलने से पहले ही सत्यम सॉल्यूशन्स ने कोरोना किट की खरीदारी शुरू कर दी थी. मालूम हो कि विनय पाठक के सिंडिकेट में करोड़ों के ठेकों का लेनदेन होता था. अजय मिश्रा ने दूसरे लोगों के नाम पर कई फर्म खोल रखी थी. वह इन फर्मों के जरिए कमीशन का खेल खेलता था.
इसके अलावा यूपी एसटीएफ को अजय मिश्रा और उसके गुर्गे का उत्तराखंड SSC पेपर लीक के मास्टरमाइंड से भी कनेक्शन मिला है. संतोष सिंह की फर्म सत्यम सॉल्यूशन का पेपर लीक कांड के आरोपी राजेश चौहान की फर्म से भी लेनदेन था. फर्म के बैंक अकाउंट से राजेश चौहान की फर्म टेक्नोटेक सॉल्यूशन से करोड़ों के लेनदेन का पता चला है. यूपी एसटीएफ ने अगस्त में उत्तराखंड के ssc पेपर लीक मामले में राजेश चौहान को लखनऊ से गिरफ्तार किया था. अब इसका कनेक्शन अजय मिश्रा के करीबी संतोष सिंह से निकल आया है.
ऐसे समझें कमीशनखोरी का पूरा मामला
मामला आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हुए प्रिंटिंग वर्क में कमीशन से जुड़ा है. इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटल टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक डेविड एम डेनिस ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती है.
विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. साल 2020 से 21 और 21- 22 में कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था.
जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज विनय कुमार पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. एफआईआर दर्ज कराने वाले डेविड डेनिस ने फरवरी 2022 में कानपुर स्थित विनय पाठक के सरकारी आवास पर मुलाकात की और जहां पर 15 फ़ीसदी कमीशन की डिमांड रखी गई.
कंपनी के मालिक ने 15 फ़ीसदी कमीशन देने से मना किया तो विनय पाठक ने धमकाया कि 8 विश्वविद्यालय के कुलपति मेरे बनाए हैं, अगर कमीशन नहीं दिया तो किसी भी विश्वविद्यालय में काम नहीं कर पाओगे.
बिल पास करने के बाद कमीशन की रकम पहुंचाने पर मामला तय हुआ तो विनय पाठक ने अपने आईफोन से फेसटाइम में ऐप के जरिए कंपनी के एमडी डेविड एम डेनिश की लखनऊ के अजय मिश्रा से वीडियो कॉल पर बात करवाई और अजय मिश्रा का नंबर दिया. हिदायत दी गई कि बिल पास होते ही कमीशन की रकम अजय मिश्रा के पास कैश पहुंच जानी चाहिए.
पहला बिल 2.52 करोड़ का बना, जिसका 33 लाख रुपए का कमीशन बना. दूसरा बिल अप्रैल 2022 में 4 करोड़ 45 लाख का पास किया, जिसका 73 लाख रुपये कमीशन बना. बताया जा रहा है कि पहले बिल को पास करने के एवज में डेविड 30 लाख लेकर पहुंचा कमीशन के 3 लाख कम थे तो अजय मिश्रा ने उसे अपने घर में बंधक बना लिया और धमकी दी कि कमीशन की रकम नहीं मिली तो जाने नहीं देंगे.
काफी मिन्नतें करने के बाद उसे छोड़ा गया और अगले ही दिन डेविड ने बकाया के 3 लाख भी अजय मिश्रा को पहुंचा दिए थे. दूसरे बिल के 73 लाख का कमीशन कैश में देने पर डेविड ने असमर्थता जताई तो अजय मिश्रा ने राजस्थान के अलवर की इंटरनेशनल बिजनेस फॉर्म्स कंपनी के अलवर स्थित पीएनबी के खाते में कमीशन के 63 लाख ट्रांसफर किए गए और 10 लाख रुपए कैश लिए गए.
विनय पाठक ने तीसरा बिल 1 सितंबर 2022 को 2 करोड़ 79 लाख का पास किया और जिसके एवज में 35 लाख 55 हजार का कमीशन बना. यानी कुल 1 करोड़ 40 लाख रुपए का कमीशन वसूला गया. बता दें कि कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए विनय पाठक को बीते जनवरी 2022 में आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था, जो सितंबर महीने तक रहा.
यह पूरा मामला इसी 9 महीने में अतिरिक्त कुलपति का चार्ज रहने के दौरान का है. 1 अक्टूबर को प्रोफेसर आशु रानी को आगरा की अंबेडकर यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया था. आगरा विश्वविद्यालय में बीएमएस की परीक्षा कॉपी लिखने में गड़बड़ी के मामले की यूपी एसटीएफ की आगरा यूनिट पहले ही जांच कर रही थी.
जांच के दौरान कमीशन का यह मामला सामने आया इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई तो अब इस हाई प्रोफाइल केस की जांच एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश की निगरानी में यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी अवनीश्वर श्रीवास्तव को सौंपी गई है. यूपी एसटीएफ ने फिलहाल अजय मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया है.