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लखीमपुर हिंसा: तीन में से दो गाड़ियां आशीष मिश्रा की, इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस के सहारे खोजे जाएंगे सबूत

3 अक्टूबर को हुई लखीमपुर के तिकुनिया में हिंसा की वारदात को हूबहू समझने के लिए 11 दिन बाद लखीमपुर पुलिस ने क्राइम सीन रीक्रिएट किया. पुलिस ने घटनास्थल पर अंकित दास उनके गनर लतीफ और ड्राइवर शेखर को उतारा और समझने की कोशिश की कि घटना के बाद वह लोग कैसे भागे और कैसे उनकी गाड़ी पलटी.

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घटनास्थल पर पहुंची पुलिस (फाइल फोटो)
घटनास्थल पर पहुंची पुलिस (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लखीमपुर जेल भेजे गए आशीष मिश्रा
  • 72 घंटे की पुलिस रिमांड खत्म
  • आशीष मिश्रा अपने बयान पर डटे रहे

लखीमपुर हिंसा में शामिल 3 गाड़ियों में सबसे पीछे चलने वाली स्कॉर्पियो लखीमपुर के ठेकेदार की नहीं बल्कि आशीष मिश्रा मोनू के करीबी रिश्तेदार की बताई जा रही है. जिसे आशीष का ड्राइवर चला रहा था. वहीं लखीमपुर हिंसा में रिमांड पर लिए गए मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा और उनके करीबी अंकित दास को घटनास्थल पर ले जाकर पुलिस ने 3 अक्टूबर के पूरे घटनाक्रम को समझने की कोशिश की. इस दौरान पुलिस ने आरोपियों के बयान से समझा की घटना के बाद कौन कहां से कैसे भागा तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस के सहारे भी सबूत इकट्ठा करने में जुटी है.

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3 अक्टूबर को हुई लखीमपुर के तिकुनिया में हिंसा की वारदात को हूबहू समझने के लिए 11 दिन बाद लखीमपुर पुलिस ने क्राइम सीन रीक्रिएट किया. पुलिस ने घटनास्थल पर अंकित दास उनके गनर लतीफ और ड्राइवर शेखर को उतारा और समझने की कोशिश की कि घटना के बाद वह लोग कैसे भागे और कैसे उनकी गाड़ी पलटी. पुलिस ने पूरे घटनाक्रम के दौरान आशीष मिश्रा को घटनास्थल पर जीप में ही बैठे रहने दिया. क्योंकि पुलिस ने जब आशीष मिश्रा से घटनास्थल के बारे में जानकारी ली तो आशीष अपने बयान पर कायम रहा कि वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था. 

अंकित दास से हुई पूछताछ 

थार जीप किसानों को रौंदने के बाद सामने से आ रही बस के चलते निकल नहीं पाई और वह सड़क के किनारे पलट गई. पीछे आ रही फॉर्च्यूनर में अंकित दास सवार थे. वह भी आगे जाकर पलट गई. लेकिन मौके से स्कॉर्पियो निकल गई. अंकित दास ने पूछताछ में बताया कि गाड़ी पलटने के बाद वह अपने गनर लतीफ के साथ खेतों से भागा था. इस दौरान उसने 3 लोगों को कॉल भी की थी. मिली जानकारी के अनुसार अंकित दास ने बयान दिया कि वह सबसे पहले पुलिस वालों के पास पहुंचा था. लेकिन जब उसे जानकारी मिली कि तिकुनिया में लोगों ने आक्रोशित होकर शेखर और हरिओम मिश्रा समेत कई लोगों को पीट-पीटकर मार डाला है तो वह वहां से भाग गया.

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पुलिस अंकित दास के बयान के आधार पर अब उन 3 लोगों से भी पूछताछ करेगी जिनको घटना के बाद अंकित ने कॉल किया था.

तीसरी गाड़ी अंकित दास की नहीं 

तिकुनिया हिंसा में शामिल तीन गाड़ियों में सबसे आगे थार जीप, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा की थी. पीछे चल रही फॉर्च्यूनर अंकित दास की थी जो उनकी फर्म के नाम पर रजिस्टर्ड है. तीसरी गाड़ी स्कॉर्पियो, लखीमपुर के ठेकेदार की बताई गई थी. पुलिस को छानबीन में पता चला कि सबसे पीछे चल रही स्कार्पियो उस ठेकेदार की नहीं बल्कि आशीष मिश्रा मोनू के करीबी रिश्तेदार की थी और जिसको आशीष मिश्रा का ड्राइवर शिवकुमार चला रहा था. 

और पढ़ें- लखीमपुर हिंसा के वक्त घटनास्थल पर मौजूद था आशीष मिश्रा? मोबाइल की लोकेशन पर टिकी जांच

अंकित दास के ड्राइवर शेखर और लतीफ से हुई पूछताछ में इस तीसरी गाड़ी की असलियत सामने आई है. दरअसल शक के दायरे में आई ठेकेदार की स्कॉर्पियो का नंबर और रंग घटना में प्रयोग स्कॉर्पियो से मिलता जुलता है. स्थानीय लोगों को भी लगा कि पीछे चल रही स्कार्पियो अंकित दास के करीबी ठेकेदार की थी, लेकिन उस ठेकेदार की स्कॉर्पियो का शीशा पीछे से टूटा नहीं था. जबकि असली स्कॉर्पियो का शीशा पीछे से टूटा हुआ है जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है. इस तरह घटना में शामिल तीन गाड़ियों में 2 गाड़ियां आशीष मिश्रा मोनू की सामने आई है और जिनको आशीष के ड्राइवर ही चला रहे थे.

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लखीमपुर जेल भेजे गए आशीष मिश्रा

 72 घंटे की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए गए आशीष मिश्रा पूरे वक्त अपने के बयान पर कायम रहे कि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे. उन्हें कोई जानकारी नहीं है. लिहाजा पुलिस ने भी रिमांड खत्म होने के 17 घंटे पहले ही उसे लखीमपुर जेल में दाखिल कर दिया. लेकिन अंकित दास और उसके गनर लतीफ और ड्राइवर शेखर से पूछताछ के आधार पर पुलिस को कई अहम सुराग हासिल हुए हैं. 

 

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