हर जिले में पुलिस (Police) के अंदर कई तरह के विभाग (Departments) होते हैं, जो अलग-अलग जिम्मेदारियों को संभालते हैं. ऐसे ही हर जनपद में पुलिस का एक खुफिया विभाग भी होता है. जिसे यूपी पुलिस में एलआईयू (LIU) कहा जाता है. पुलिस के लिए यह विभाग काफी अहम होता है. आइए आपको बताते हैं इस खुफिया विभाग के बारे में.
क्या है एलआईयू (LIU)
एलआईयू एक अंग्रेजी शब्द है. LIU की फुलफॉर्म Local Intelligence Unit होती है. जिसका अर्थ हिंदी में स्थानीय खुफिया इकाई होता है. यूपी पुलिस में खुफिया विभाग 1958 में शुरु किया गया था. लेकिन तब इसे सुरक्षा शाखा कहा जाता था. और इसे खुफिया मुख्यालय का अनुभाग भी कहा जाता था. स्थापना के बाद यह शाखा सिर्फ वीआईपी, वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा और संरक्षा का काम करती थी. लेकिन बाद में इसका काम बढ़ता गया और यह खुफिया विभाग बन गया.
दरअसल, 1958 में सीआईडी से अलग होने के बाद इसे खुफिया विभाग के तौर पर मान्यता दी गई. स्पेशल ब्रांच और स्थानीय खुफिया इकाई (Local Intelligence Unit) की कार्यकुशलता और व्यावसायिकता को बढ़ाने के लिए इसका आधुनिकीकरण भी होता रहा. पुनर्गठन योजना में एलआईयू (LIU) की कार्यप्रणाली का सीमांकन किया गया. LIU के लिए अलग प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की गई. 1982 में इस विभाग के लिए एक नए भवन का निर्माण किया गया.
इसे भी पढ़ें--- IPC Section 11: जानें, क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 11
एलआईयू (LIU) का काम
जैसा कि इस विभाग के नाम से ही साफ है कि यह पुलिस की एक खुफिया इकाई होती है. जो जिले या अपनी कार्य सीमा क्षेत्र में खुफिया निगरानी, लॉ एंड ऑर्डर (Law and Order) को प्रभावित करने वाली सूचनाएं जुटाना, सांप्रदायिक व राजनीतिक घटनाक्रम, आतंकवाद से जुड़े इनपुट जुटाना, अप्रवास और पाकिस्तान समेत विदेशी अवागमन की निगरानी और जासूसी करने जैसे काम करती है. साथ ही शस्त्र आवेदन, पासपोर्ट आवेदन और पुलिस, सेना, रक्षा क्षेत्र व सरकारी महकमों आदि में नौकरी पाने वाले लोगों का वेरिफिकेशन भी एलआईयू (LIU) करती है.
हर जिले में एसपी (SP) या डीएसपी (DSP) स्तर का अधिकारी इस खुफिया यूनिट का इंचार्ज होता है, जो जिले के एसएसपी (SSP) या एसपी (SP) को रिपोर्ट करता है. समय समय पर इस यूनिट को पुलिस मुख्यालय से दिशा निर्देश मिलते रहते हैं.