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सांसद की गिरफ्तारी के क्या हैं नियम, क्या कार्रवाई कर सकते हैं स्पीकर?

पुलिस ने सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि किसी सांसद की गिरफ्तारी को लेकर नियम क्या कहते हैं?

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कोर्ट ने सांसद नवनीत राणा और उनके पति को 6 मई तक के लिए जेल भेज दिया है
कोर्ट ने सांसद नवनीत राणा और उनके पति को 6 मई तक के लिए जेल भेज दिया है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आपराधिक मामलों में हो सकती है सांसद की गिरफ्तारी
  • सदन को बतानी पड़ती है गिरफ्तारी की वजह
  • पीठासीन अधिकारी को देनी पड़ती है सूचना

साउथ इंडियन फिल्मों की पूर्व एक्ट्रेस और सांसद नवनीत राणा (MP Navneet Rana) को महाराष्ट्र पुलिस ने साम्प्रदायिक भावनाएं भड़काने और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने समेत कई संगीन आरोपों के चलते गिरफ्तार किया था. इसके बाद पुलिस ने सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन दोनों को जेल भेज दिया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि किसी सांसद की गिरफ्तारी कैसे होती है? तो आइए जानते हैं कि किसी सांसद की गिरफ्तारी को लेकर संसद के नियम क्या कहते हैं? 

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संसद के विशेषाधिकार
संसद के दोनों सदनों को विशेषाधिकार प्राप्त हैं, जिसके अनुसार संसद के परिसरों के भीतर, अध्‍यक्ष या सभापति की अनुमति के बिना, दीवानी या आपराधिक कोई भी किसी तरह के कानूनी समन नहीं दिए जा सकते हैं. इसी प्रकार अध्‍यक्ष या सभापति की अनुमति के बिना संसद भवन के अंदर किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. क्‍योंकि संसद के परिसर में केवल सदन के अध्‍यक्ष या सभापति के आदेशों का पालन होता है. सदन में किसी सरकारी अधिकारी के या स्‍थानीय प्रशासन के आदेश का पालन नहीं होता है.

सांसद की गिरफ्तारी का नियम
लेकिन संसद की नियमावली के अध्याय 20क में संसद सदस्य की गिरफ्तारी के संबंध में प्रावधान किए गए हैं. जिनके मुताबिक आपराधिक मामले में किसी भी सांसद की गिरफ्तारी हो सकती है. इसके लिए सांसद को गिरफ्तार करने जा रही पुलिस या संबंधित एजेंसी को राज्यसभा के चेयरमैन अथवा लोकसभा के स्पीकर को गिरफ्तारी की वजह बतानी पड़ती है.

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ऐसे मामलों में गिरफ्तारी से छूट
दीवानी मामलों में सांसद को सत्र के दौरान गिरफ्तारी से छूट है, इसके अलावा सत्र के शुरू होने से 40 दिन पहले और खत्म होने के 40 बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है. संसद का नियम यह भी कहता है कि पुलिस या कानूनी प्रवर्तन एजेंसियां एक सांसद को गिरफ्तार करने से पहले राज्यसभा चेयरमैन अथवा लोकसभा के स्पीकर से इजाजत नहीं भी ले, लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में सांसदों पर मुकदमा चलाने से पहले लोकसभा स्पीकर अथवा राज्यसभा के चेयरमैन से अनुमति लेनी पड़ती है.

संसद के नियमों के मुताबिक सिविल मामलों में सांसदों को गिरफ्तारी से छूट मिलती है. संसद सत्र के 40 दिन पहले और उसके दौरान और 40 दिन बाद तक किसी सांसद को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.  

देनी पड़ती है गिरफ्तारी की सूचना 
संसद की नियम पुस्तिका के अनुसार आपराधिक मामलों में मंत्री की गिरफ्तारी भी की जा सकती है. सदन का नियम तो यह है कि गिरफ्तार व्यक्ति जिस सदन का सदस्य हो उसकी गिरफ्तारी को लेकर पीठासीन अधिकारी को सूचित किया जाना ज़रूरी है. क्योंकि गिरफ्तारी से जुड़ी जानकारी संसद के बुलेटिन में अधिसूचित की जाती है, अगर संसन का सत्र ना चल रहा हो. मगर संसद सत्र चलने की स्थिति में यह जानकारी सदन को दी जाती है. 

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