महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो की दूसरी टीम बुधवार को मुंबई पहुंच गई. सूत्रों ने बताया कि जांच का फरमान जारी होने के एक दिन बाद ही सीबीआई की टीम हरकत में आ गई थी. पहली टीम मंगलवार को मुंबई पहुंच चुकी है.
मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा अनिल देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में सीबीआई के लगभग आधा दर्जन अधिकारी जांच करेंगे और बयान दर्ज करेंगे. बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर अनिल देशमुख के खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) करने के लिए सीबीआई की पहली टीम मंगलवार को मुंबई पहुंच गई थी.
इस जांच से जुड़े सूत्र के मुताबिक जांच के दौरान सीबीआई की दोनों टीम इस मामले में संभावित गवाहों, संदिग्धों और शिकायतकर्ता के बयान दर्ज करेंगी. अगर सीबीआई को अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह के आरोपों से जुड़े सबूत मिलते हैं, तो संघीय जांच एजेंसी महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करेगी.
सचिन वाज़े से भी होगी पूछताछ
उम्मीद है कि अपनी प्रारंभिक जांच के दौरान, एजेंसी परमबीर सिंह और मुंबई पुलिस के अन्य अधिकारियों के बयान दर्ज कर सकती है. अभी पता चला है कि सीबीआई एनआईए की हिरासत में ही सचिन वाज़े से भी पूछताछ करेगी.
मुंबई पुलिस के कमिश्नर के पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र सरकार को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया कि अनिल देशमुख, सचिन वाज़े समेत मुंबई के अन्य पुलिस अधिकारियों को अपने आवास पर बुलाते थे और उन्हें अवैध तरीके से हर महीने 100 करोड़ रुपये दिलाने का निर्देश देते थे.
हालांकि अनिल देशमुख ने इन आरोपों से साफ इनकार किया था. लेकिन अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद, उन्होंने महाराष्ट्र के गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद देशमुख ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
25 फरवरी को मुंबई में एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से भरी गाड़ी मिलने और बाद में उस गाड़ी के मालिक मनसुख हिरेन की 4 मार्च को हत्या करने के आरोप में एपीआई सचिन वाज़े को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार कर लिया था. जो अब 9 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में ही रहेगा.
अवैध वसूली के मामले में मुंबई पुलिस की समाज सेवा शाखा के अधिकारियों डीसीपी राजू भुजबल और एसीपी संजय पाटिल (प्रवर्तन) ने संयुक्त आयुक्त (अपराध) मिलिंद भारामबे के सामने अपने बयान दर्ज कराए हैं. दोनों अधिकारियों का नाम आठ पेज के लैटर में उल्लेखित था.
उधर, परमबीर सिंह के मामले में वर्तमान पुलिस कमिश्नर ने राज्य सरकार को जानकारी देते हुए बताया कि मुंबई में क्राइम ब्रांच के प्रमुखों के बारे में फैसला करने की शक्ति परमबीर सिंह ने अपने हाथ में ले रखी थी.