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मुंबई के रिटायर्ड असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर के साथ OLX पर 1.76 लाख की ठगी, फिर हुआ सिम कार्ड रैकेट का खुलासा

छापे के दौरान गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान अजय बिरहाड़े के रूप में हुई है, जो जलगांव में सिम कार्ड का कारोबार चलाता था. उसके साथ मिलकर लोगों को चूना लगाने वाले इस रैकेट में और भी लोग शामिल हैं, जो अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं.

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सिम कार्ड रैकेट का खुलासा एक दूसरे मामले की वजह से हुआ
सिम कार्ड रैकेट का खुलासा एक दूसरे मामले की वजह से हुआ

मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र के जलगांव में एक सिम कार्ड डीलर की दुकान पर छापेमारी करने के बाद यह महसूस किया कि दाल में कुछ काला है. रेड के बाद पुलिस ने शक के आधार पर उस सिम कार्ड डीलर को गिरफ्तार कर लिया. बाद में पुलिस का शक सही साबित हुआ. छानबीन में पता चला कि वो एक साइबर घोटाले के साथ-साथ एक बड़े सिम कार्ड रैकेट का हिस्सा था, जिसका खुलासा हाल ही में बांद्रा पुलिस स्टेशन के साइबर जांच अधिकारियों ने किया था.

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दरअसल, इस शातिर साइबर अपराधी के पकड़े जाने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. हुआ यूं कि मुंबई पुलिस के एक सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त के साथ धोखाधड़ी हुई. पीड़ित एक वरिष्ठ नागरिक हैं, जो धोखाधड़ी के चलते साइबर क्राइम रैकेट में फंस गए और उन्हें 1.76 लाख रुपये का चूना लग गया.

72 वर्षीय पीड़ित ने साइबर अधिकारियों को बताया कि किसी ने उनसे संपर्क किया और दावा किया कि वह पूर्व में उनके साथ काम कर चुके सहकर्मियों में से एक का दोस्त है. इस बिंदु पर पीड़ित को कुछ भी गलत नहीं लगा. और वो उसके झांसे में आ गए. छापे के दौरान गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान अजय बिरहाड़े के रूप में हुई है, जो जलगांव में एक सिम कार्ड व्यवसाय चलाता था.

उसके साथ मिलकर लोगों को चूना लगाने वाले इस रैकेट में और भी लोग शामिल हैं, जो अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं. हालांकि, सिम कार्ड डीलर ने अलवर, राजस्थान में उन सभी नंबरों को सक्रिय करने का काम किया, जिनका इस्तेमाल फ़िशिंग और साइबर अपराध गतिविधियों में किया गया था. बिरहाड़े ने रैकेट का हिस्सा होने और अपने अन्य साथियों की सहायता करने की बात कबूल कर ली है.

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रैकेट की मॉडस ऑपरेंडी
बांद्रा पुलिस स्टेशन के साइबर डिटेक्शन अधिकारी पीएसआई शंकर पाटिल ने बताया कि आरोपी फेसबुक मैसेंजर ऐप के जरिए पीड़ितों तक पहुंचता था, उसने वरिष्ठ नागरिक पीड़ित के साथ भी यही किया था. चैटिंग के लिए इस्तेमाल की गई आईडी फर्जी थी और उस पर डीपी में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की इमेज दिखाई दे रही थी.

पीड़ित का दोस्त होने का दावा करते हुए आरोपी ने कहा कि उसका ट्रांसफर हो रहा है और वह OLX पर लिस्टेड कुछ वस्तुओं को बेचना चाहता है. इसी वजह से रिटायर्ड पुलिस अफसर के मन में दिलचस्पी जगी जो रियायती दर पर सामान खरीदना चाहता था. बात बन जाने पर सारा लेन देन गूगल पे के जरिए किया गया था.

अब इस मामले में तीन अन्य आरोपी फरार हैं. वह नए कनेक्शन के लिए लोगों के दस्तावेज़ लेता था और कहता था कि नंबर एक्टिव नहीं है, लेकिन नंबर राजस्थान में सक्रिय होगा. पकड़े गए आरोपी बिरहाड़े के खिलाफ धोखाधड़ी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और उसे पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.

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