Pune Swargate Bus Rape Case: महाराष्ट्र के पुणे की एक अदालत ने गुरुवार को सार्वजनिक और सोशल मीडिया बयानों के खिलाफ रोक लगाने की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें स्वर्गेट बस रेप कांड की पीड़िता के चरित्र हनन की बात कही गई थी.
दरअसल, एक वकील ने यह दावा करते हुए कोर्ट में आवेदन दिया था कि पिछले महीने शहर के व्यस्त बस स्टेशन पर राज्य परिवहन बस के अंदर एक हिस्ट्रीशीटर द्वारा बलात्कार की शिकार हुई महिला को अब बदनाम करने के लिए एक झूठी कहानी फैलाई जा रही है.
इसी मामले को लेकर वकील असीम सरोदे ने अदालत से इस केस से संबंधित सार्वजनिक और सोशल मीडिया बयानों पर रोक लगाने का आग्रह किया था, जो पीड़ित महिला के चरित्र हनन का कारण बन सकते हैं.
न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) न्यायाधीश टीएस गैगोले ने आवेदन को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि अदालत इस तरह का आदेश जारी करने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी नहीं है.
न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के अनुसार, जिला मजिस्ट्रेट या उप-विभागीय मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से सशक्त कोई अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट, उपद्रव या आशंका वाले खतरे के तत्काल मामलों में आदेश जारी कर सकता है.
न्यायाधीश ने कहा, 'यह न्यायालय उक्त प्राधिकारी नहीं है, क्योंकि बीएनएसएस की धारा 163 के तहत उसे उपद्रव के तत्काल मामलों में आदेश जारी करने का अधिकार है और इसलिए यह आवेदन विचारणीय नहीं है.'
बाद में सरोदे ने कहा कि चूंकि जिला कलेक्टर के पास इस तरह का प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करने का अधिकार है, इसलिए पुणे कलेक्टर जितेंद्र डूडी को एक आवेदन प्रस्तुत किया गया है.
आपको बता दें कि स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली 26 वर्षीय महिला के साथ दत्तात्रेय गाडे (37) ने 25 फरवरी की सुबह स्वारगेट डिपो में खड़ी राज्य परिवहन निगम की बस के अंदर बलात्कार किया था. आरोपी दत्तात्रेय पर आधा दर्जन मामले दर्ज हैं.
इस मामले में ड्रोन, खोजी कुत्तों और कई पुलिसकर्मियों की मदद से की गई व्यापक तलाशी के बाद 28 फरवरी को पुणे जिले के शिरुर तहसील के अंतर्गत गुनात गांव के पास एक खेत में छुपे दत्तात्रेय गाडे को पकड़ लिया गया था. इसके बाद अदालत ने उसे 12 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था.