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मेरठ: पिता की सड़क हादसे में मौत, मां मानसिक रोगी, बच्चे के लिए फरिश्ता बना थानेदार

तपेश्वर सागर मेरठ के कंकरखेड़ा पुलिस स्टेशन में थानेदार के तौर पर तैनात हैं. सागर को 14 साल के बच्चे अनमोल की कहानी पता चली तो उन्होंने खुद उसे अपने घर में रखने का फैसला किया. अब सागर ने ही इस बच्चे के लालन-पालन और पढ़ाई का बीड़ा उठाया है.

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बच्चे के लालन-पालन और पढ़ाई का बीड़ा उठाया (फोटो-उस्मान चौधरी )
बच्चे के लालन-पालन और पढ़ाई का बीड़ा उठाया (फोटो-उस्मान चौधरी )
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 14 साल के अनमोल का लालन-पालन
  • पढ़ाई का सारा बीड़ा थानेदार ने उठाया
  • अनमोल का जन्मदिन थाने में ही मनाया

कौन कहता है पुलिसवालों का दिल किसी का दर्द देखकर नहीं पसीजता. मेरठ के एक थानेदार ने एक बेसहारा बच्चे को सहारा देकर इंसानियत की मिसाल पेश की है. 

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तपेश्वर सागर मेरठ के कंकरखेड़ा पुलिस स्टेशन में थानेदार के तौर पर तैनात हैं. सागर को 14 साल के बच्चे अनमोल की कहानी पता चली तो उन्होंने खुद उसे अपने घर में रखने का फैसला किया. अब सागर ने ही इस बच्चे के लालन-पालन और पढ़ाई का बीड़ा उठाया है.

थानेदार सागर ने बताया कि अनमोल के पिता अमर सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. वहीं उसकी मां ममता का मानसिक समस्या की वजह से मेरठ के जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है. अनमोल की मां को आगे इलाज के लिए आगरा भेजने की तैयारी है.

अनमोल का कुछ दिन पहले जन्मदिन था. और बच्चों की तरह ही महसूस कराने के लिए अनमोल का जन्मदिन थाने में ही थानेदार और अन्य पुलिसवालों ने जोश के साथ मनाया.

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थाने में मनाया अनमोल का जन्मदिन (फोटो-उस्मान चौधरी)

अनमोल फिलहाल ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है और उसका जल्दी मेरठ में किसी अच्छे स्कूल में एडमिशन करा दिया जाएगा. कंप्यूटर में दिलचस्पी होने की वजह से अनमोल इसकी भी पढ़ाई करना चाहता है.

अनमोल के कुछ रिश्तेदार हैं लेकिन कोई उसे सहारा देने के लिए आगे नहीं आया तो थानेदार ने खुद ही ये जिम्मा उठाने का फैसला किया. थानेदार सागर ने बताया कि ऐसा देखा जाता है कि जो बच्चे बेसहारा होते हैं वो कुसंगत में पड़ कर अपराध के रास्ते पर चल पड़ते है. वो अनमोल के साथ ऐसा नहीं होने देना चाहते थे क्योंकि उन्होंने उसमें पढ़ाई की ललक देखी. अनमोल को पढने के लिए उन्होंने कुछ किताबें भी लाकर दीं.

थानेदार की इस पहल से अनमोल बहुत खुश है. उसका कहना है कि “मेरा दुनिया में कोई सहारा नहीं था और कंकर खेड़ा पुलिस उसका सहारा बनी. थाने में उसे सभी मुझे कितना प्यार करते हैं, ये मैंने अभी अपने जन्मदिन पर देखा.


 

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