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मॉडल से महाराज बनने तक 'भय्यू' जी के जीवन का सफर, जिनके कातिलों को अब मिली सजा

मूल रूप से भय्यूजी महाराज मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के रहने वाले थे. जहां शुजलपुर नाम की जगह पर उनका जन्म 29 अप्रैल 1968 को हुआ था. जन्म के बाद उनका नाम उदय सिंह देशमुख रखा गया था. उनके पिता विश्वासराव देशमुख एक जमींदार थे, जबकि माता कुमुदिनी देवी एक गृहणी थीं.

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भय्यूजी महाराज का असली नाम उदय सिंह देशमुख था
भय्यूजी महाराज का असली नाम उदय सिंह देशमुख था

भय्यूजी महाराज की आत्महत्या के बहुचर्चित मामले में इंदौर की अदालत ने शुक्रवार को उनके सेवादार विनायक और शिष्या पलक समेत तीनों दोषियों को कारावास की सजा सुना दी. भय्यूजी के जीवन की कहानी भी काफी दिलचस्प है, वो युवावस्था में मॉडल बनना चाहते थे. लेकिन किस्मत ने उन्हें एक संत बना दिया. सारी जिंदगी वो समाज की सेवा करते रहे. लोगों के काम आते रहे. आपको बताते हैं भय्यूजी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें.

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कौन थे भय्यूजी महाराज
मूल रूप से भय्यूजी महाराज मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के रहने वाले थे. जहां शुजलपुर नाम की जगह पर उनका जन्म 29 अप्रैल 1968 को हुआ था. जन्म के बाद उनका नाम उदय सिंह देशमुख रखा गया था. उनके पिता विश्वासराव देशमुख एक जमींदार थे, जबकि माता कुमुदिनी देवी एक गृहणी थीं. जब भय्यूजी बड़े हुए, तो उन्होंने मॉडलिंग करने की कोशिश की. मगर उसमें उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बाद वह महाराष्ट्र में अपने गुरु अन्ना महाराज की शरण में पहुंचे. उनके प्रभाव में ही भय्यूजी ने सामाजिक कार्यों में भागेदारी शुरू कर दी. मराठी संतों के साथ उठना बैठना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया था. इसके बाद जब भय्यूजी वापस लौटे तो वे भय्यूजी महाराज बन चुके थे. उन्होंने मध्य प्रदेश में रहकर महिलाओं, बच्चों और अनाथ लोगों के लिए बड़े स्तर पर काम करना शुरु कर दिया था. लोग उन्हें उनके काम से जानने लगे.

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इंदौर को बनाया था कर्मस्थली
भय्यूजी महाराज की ख्याति दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही थी. उन्होंने मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को अपना केंद्र बनाया. इंदौर के पॉश इलाके सिल्वर स्प्रिंग कॉलोनी में वह महलनुमा आलीशान बंगले में रहते थे. उनकी पत्नी और परिवार के लोग भी वहीं रहा करते थे. भय्यूजी को लोग गृहस्थ संत भी कहा करते थे. उनके काम और नाम से उनका रुतबा और रसूख काफी बढ़ चुके थे. बड़े बड़े राजनेता, अफसर, कारोबारी और समाजसेवी उनसे मिलने इंदौर आया करते थे.

आश्रमों और ट्रस्ट की स्थापना
समाजसेवा के क्षेत्र में भय्यूजी महाराज का मुकाम बहुत ऊंचा हो चुका था. इसी काम को विस्तार देने के लिए उन्होंने श्री सदगुरु दत्त धार्मिक एवं परमार्थ ट्रस्ट की स्थापना की. इसी ट्रस्ट ने आगे चलकर इंदौर, पुणे, नासिक समेत मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई शहरों में आश्रम स्थापित किए. वे सभी आश्रम समाज सेवा का केंद्र बन चुके थे. 

भारत माता मंदिर और सूर्योदय आश्रम
भय्यूजी महाराज का इंदौर शहर से बहुत लगाव था. लिहाज उन्होंने वहां भारत माता मंदिर और सूर्योदय आश्रम की स्थापना की. इस मंदिर और आश्रम जरिए गरीब लड़कियों की शादियां, बेसहारा अनाथों की परवरिश और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था. यही नहीं भय्यूजी स्वच्छ पर्यावरण के पैरोकार थे. लिहाजा उनकी ट्रस्ट ने 18 लाख पौधे रोपित किए थे. उन्होंने आदिवासी इलाकों में कई सौ तालाब खुदवाए और हजारों गरीब बच्चों को छात्रवृत्ति भी दी. उनके आश्रम और ट्रस्ट दान से ही चलते थे.

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कारों और घड़ियों का शौक
भय्यूजी महाराज अपने सामाजिक कार्यों से मशहूर हो चुके थे. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बड़े कारोबारी, राजनेता और रसूख वाले लोग भी उनसे मुलाकात के लिए आतुर रहते थे. भय्यूजी को नई नई कारों का बड़ा शौक था. सफर छोटा हो या बड़ा वो कार से ही जाया करते थे और खुद ड्राइव करते थे. इसी शौक की वजह से उन्हें दो बार जानलेवा सड़क हादसों का सामना भी करना पड़ा था. एक बार तो वे कई सप्ताह तक बेड पर रहे थे. वे अक्सर मर्सिडीज कारों के एक काफिले में चला करते थे. कारों के बाद अगर उन्हें कोई दूसरा शौक था, तो वो था रोलेक्स की घड़ियों का. वो अक्सर रोलेक्स की शानदार घड़ियां पहना करते थे.

ब्लैकमेलर था सबसे खास सेवादार
अपनी मौत से करीब दो साल पहले भय्यूजी महाराज कुछ ऐसी परेशानियों में घिर गए थे कि वह समाजसेवा और आश्रमों से जुड़े काम पर ध्यान नहीं दे पाते थे. उनकी मौत के बाद चौंकाने वाले खुलासे हुए. पता चला कि उनका सबसे खास सेवादार ही एक लड़की और अन्य सेवादार के साथ मिलकर उन्हें ब्लैकमेल करते थे. ये वही सेवादार विनायक था, जिस पर भय्यूजी महाराज आंख बंद करके भरोसा करते थे, यही वजह थी कि उन्होंने सुसाइड नोट के दूसरे पन्‍ने पर अपने आश्रम, प्रॉपर्टी और वित्‍तीय शक्‍तियों की सारी जिम्‍मेदारी सेवादार विनायक को दिए जाने की बात लिखी थी.

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सेवादार समेत तीनों दोषियों को मिली सजा
इस मामले में 19 जनवरी 2019 को उनके सेवादार विनायक और पलक नाम की लड़की समेत 3 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन तीनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 का मुकदमा दर्ज किया गया था. और अब 28 जनवरी 2022 को इंदौर की अदालत ने उन तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए 6 साल कैद की सजा सुनाई है.

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