एटीलियां केस में गिरफ्तार किए गए मुंबई पुलिस के पूर्व सुपरकॉप और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को पूर्व एपीआई सचिन वाज़े अपना गुरु मानता है. गुरु प्रदीप शर्मा और चेले सचिन वाज़े के बीच अजीब रिश्ता है और अजीब समानता भी. पुलिस की नौकरी में रहते हुए सचिन वाज़े भी गिरफ्तार हुआ और जेल गया. ऐसे ही प्रदीप शर्मा भी गिरफ्तार हुए और जेल गए. सचिन वाज़े भी नौकरी से बर्खास्त किया गया और प्रदीप शर्मा भी बर्खास्त हुए थे. सचिन वाज़े ने भी शिवसेना ज्वाइन की थी. प्रदीप शर्मा ने भी शिवसेना ज्वाइन की थी.
कुल मिलाकर एंटीलिया केस अब में तक पांच पुलिसवाले सलाखों के पीछे जा चुके हैं. ये केस एक पुलिस कमिश्नर की कुर्सी छीन चुका है और महाराष्ट्र के गृहमंत्री को उनकी कुर्सी से उतार चुका है. लेकिन प्रदीप शर्मा की गिरफ्तारी के बाद फिलहाल सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या वाकई एंटीलिया केस की साजिश गुरु और चेले यानि प्रदीप शर्मा और सचिन वाजे के अकेले दिमाग की उपज थी या उसमें अभी और पुलिसवाले नपेंगे.
इस साल अप्रैल में जब लगातार दो दिनों तक प्रदीप शर्मा से एनआईए पूछताछ कर रही थी तब भी उसी वक्त मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह से एनआईए ने पूछताछ की थी. प्रदीप शर्मा की गिरफ्तारी उस पूछताछ के करीब सवा दो महीने बाद हुई. अब सवाल ये है कि एनआईए ने परमवीर सिंह से क्यों पूछताछ की, उनका इस केस से क्या लेना देना.
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सूत्रों के मुताबिक परमवीर सिंह का प्रदीप शर्मा और सचिन वाजे के साथ बहुत पुराना रिश्ता रहा है. नब्बे के दशक में जब परमवीर सिंह डीसीपी हुआ करते थे तब प्रदीप शर्मा और सचिन वाजे उनकी टीम का खास हिस्सा थे. 2020 में जब सचिन वाजे को 16 साल की बरखास्तगी के बाद दोबारा मुंबई पुलिस में भर्ती किया गया तब उस भर्ती का आदेश जारी करने वाले कमिश्नर परमवीर सिंह ही थे. हालांकि जिस फर्जी एनकाउंटर के इल्जाम में सचिन वाजे को जेल जाना पड़ा और उनकी नौकरी गई, ख्वाजा यूनूस का वो मामला आज भी अदालत में है.
ख्वाजा यूनूस के कत्ल के इल्जाम से सचिन वाजे आज भी बरी नहीं हुए लेकिन इसके बावजूद परमवीर सिंह ने न सिर्फ सचिन वाजे की दोबारा बहाली की बल्कि उसे सीआईयू जैसी अहम ब्रांच में तैनाती भी की. इतना ही नहीं सचिन वाजे को सीआईयू का हैड भी बना दिया. जबकि कायदे से सीआईयू का हैड अमूमन कोई इंस्पेक्टर रैंक का अफसर ही होता है. और सचिन वाजे असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर थे. और तो और एंटीलिया केस की जांच तक परमवीर सिंह ने सचिन वाजे को ही सौंपी थी.
इतना ही नहीं इल्जाम ये भी है कि सीआईयू में रहते हुए सचिन वाजे सिवाय परमवीर सिंह के अपने किसी भी सीनियर अफसर को रिपोर्ट ही नहीं करता था. यानी वो सीधे-सीधे मुबई के पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह को रिपोर्ट करता था. अब जब सचिन वाजे और प्रदीप शर्मा जैसे लोगों से इस कदर करीबी हो तो जाहिर है उंगली परमवीर सिंह की तरफ भी उठेगी और इन्ही तमाम वजहों से एनआईए ने परमवीर सिंह से भी पूछताछ की. सवाल फिर वही है कि क्या अब प्रदीप शर्मा की गिरफ्तारी और उनसे पूछताछ के बाद बात और भी दूर तलक जाएगी.