मुंबई में जांच के लिए मौजूद एनआईए टीम के सूत्रों से पता चला है कि एंटीलिया के बाहर विस्फोटक के साथ गाड़ी खड़ी करने की साजिश को पूरा करने के बाद सचिन वाज़े किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की प्लानिंग कर रहा था. इस साजिश के नाम का खुलासा तो नहीं हुआ लेकिन वो एक या दो लोगों को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के नाम पर निशाना बनाना चाहता था.
एनआईए सूत्रों से पता चला है कि इस मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का बयान गवाह के रूप में दर्ज किया गया है न कि संदिग्ध के रूप में. इस केस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की भूमिका की जांच सभी एंगल से की जा रही है. एजेंसी पता लगानी चाहती है कि वो इस मामले में कितना सक्रिय था. क्या गाड़ी में विस्फोटक छोड़ने या मनसुख हिरेन की हत्या में उसने किसी भी तरह से वाज़े की मदद की थी?
उधर, मनसुख हिरेन की लाश की केमिकल एनालिसिस रिपोर्ट से पता चला है कि उसके शरीर में किसी तरह का कोई ज़हर नहीं था. इससे पहले जानकारी मिली थी कि मौत से पहले मनसुख हिरेन को बुरी तरह से मारा पीटा गया था. जब आरोपियों ने मनसुख हिरेन को समंदर में फेंका था, तब उसकी सांसें चल रही थीं. यानी वो ज़िंदा थे.
केमिकल एनालिसिस का मकसद यह पता लगाना था कि मनसुख को किसी तरह का कोई जहर तो नहीं दिया गया था. और उसे मारने के बाद पानी में फेंका गया था या फिर ज़िंदा? रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा कर दिया है. ग्रांट गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में किए गए डायटम टेस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक मनसुख हिरेन जब पानी के संपर्क में आए, तब वो ज़िंदा थे.
दरअसल, किसी मुर्दा शख्स को जब पानी में फेंका जाता है, तो पानी उसके फेफड़े, ख़ून या बोन मैरो में नहीं जाता. लेकिन मनसुख हिरेन के बोन मैरो में डायटम मिले हैं, जो मुंब्रा क्रीक के पानी से मैच करते हैं.