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एंटीलिया केसः जानिए कौन हैं 113 एनकाउंटर करने वाले प्रदीप शर्मा, जिन्हें NIA ने किया गिरफ्तार

1983 में प्रदीप शर्मा का चयन महाराष्ट्र पुलिस सेवा में हो गया. इसके बाद उन्होंने पलटकर नहीं देखा. प्रदीप की पहली पोस्टिंग मुंबई के माहिम पुलिस स्टेशन में हुई थी. जहां वो कुछ समय रहे और इसके बाद उन्हें जुहू में पुलिस की स्पेशल ब्रांच में तैनात किया गया.

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प्रदीप शर्मा ने 35 साल महाराष्ट्र पुलिस में काम किया
प्रदीप शर्मा ने 35 साल महाराष्ट्र पुलिस में काम किया
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आगरा में हुआ था प्रदीप शर्मा का जन्म
  • 1983 में हुआ था महाराष्ट्र पुलिस में चयन
  • 2019 में वीआरएस लेकर लड़ा था चुनाव

मुंबई के एंटीलिया केस में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है. प्रदीप शर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है. अब इस मामले में उनका नाम पूर्व एपीआई सचिन वाजे के साथ जोड़ा जा रहा है. यही वजह है कि एनआईए की टीम ने उनके घर पर छापेमारी की और घंटों पूछताछ के बाद प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार कर लिया. आपको बताते हैं कि आखिर ये प्रदीप शर्मा हैं कौन?

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कभी मुंबई के टॉप कॉप रहे प्रदीप शर्मा मूल रूप से आगरा, उत्तर प्रदेश के निवासी हैं. उनका जन्म आगरा में ही हुआ था. उनके पिता अंग्रेजी के प्रोफेसर थे. जिन्हें महाराष्ट्र के धुले में एक कॉलेज में नौकरी मिल गई थी. लिहाजा तभी वे अपने परिवार को लेकर महाराष्ट्र चले गए थे और फिर वहीं बस गए. प्रदीप शर्मा धुले में ही जवान हुए और उनकी पढ़ाई लिखाई भी वहीं पूरी हुई. प्रदीप ने एम.एससी किया था.

इसके बाद वर्ष 1983 में प्रदीप शर्मा का चयन महाराष्ट्र पुलिस सेवा में हो गया. इसके बाद उन्होंने पलटकर नहीं देखा. प्रदीप की पहली पोस्टिंग मुंबई के माहिम पुलिस स्टेशन में हुई थी. जहां वो कुछ समय रहे और इसके बाद उन्हें जुहू में पुलिस की स्पेशल ब्रांच में तैनात किया गया. वक्त का पहिया तेजी से घूमने लगा और प्रदीप शर्मा अपनी पहचान बनाने में जुट गए.

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1990 के दशक में मुंबई में अंडरवर्ल्ड का बोलबाला था. बेखौफ माफिया मुंबई पर राज करते थे. कानून और पुलिस उनके लिए मजाक थे. तभी सरकार ने उन अपराधियों का सफाया करने के लिए एक विशेष टीम बनाई. जिसमें प्रदीप शर्मा समेत मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के कुछ चुनिंदा अफसरों को शामिल किया गया. इसके बाद ये टीम अंडरवर्ल्ड के सफाए में जुट गई. एक बाद एक अपराधी मुठभेड़ में मारे जाने लगे. इस टीम और टीम में शामिल पुलिस अधिकारियों को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाने लगा.  

प्रदीप शर्मा का नाम अखबारों की सुर्खियों में रहता था. प्रदीप शर्मा के नाम का आंतक अंडरवर्ल्ड पर दिखने लगा था. पुलिस विभाग में भी प्रदीप का रुतबा बढ़ गया. उन्हें तरक्की देकर मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में सीनियर इंस्पेक्टर बना दिया गया. तब तक उन्हें पुलिस सेवा में 25 साल हो चुके थे. उनके नाम 113 अपराधियों के एनकाउंटर लिखे गए. प्रदीप शर्मा का निशाना बनने वाले केवल बदमाश या अपराधी ही नहीं थे, बल्कि कई आतंकियों को भी उन्होंने ढेर किया था. अंडरवर्ल्ड के सबसे बड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कास्कर को भी प्रदीप ने ही गिरफ्तार किया था.

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प्रदीप शर्मा और 26/11 के मुंबई हमले में शहीद हुए विजय सालसकर ने क्राइम ब्रांच में साथ काम करते हुए सुभाष मकाडवाला और अंडरवर्ल्ड डॉन रवि पुजारी के गुरु श्रीकांत मामा को भी मुठभेड़ में ढेर कर दिया था. इसके कुछ समय बाद प्रदीप शर्मा को क्राइम ब्रांच से एंटी नार्कोटिक्स सेल में तैनात कर दिया गया था. 

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साल 2006 सीनियर इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा के लिए परेशानी लेकर आया. अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के गुर्गे रामनारायण गुप्ता को प्रदीप शर्मा ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था. लेकिन जब जांच हुई तो वो मुठभेड़ फर्जी निकली. प्रदीप शर्मा गंभीर विवाद में घिर गए. इस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया. अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए प्रदीप शर्मा को दोषी करार दिया और उन्हें साढ़े 3 साल कैद की सजा सुनाई. नतीजा ये हुआ कि महाराष्ट्र सरकार ने प्रदीप शर्मा को साल 2008 में पुलिस सेवा से बर्खास्त भी कर दिया.

इसके बाद उनके खिलाफ और भी मामले सामने आए. लेकिन वर्ष 2013 में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया. 4 साल वो विभाग में वापसी के लिए जद्दोजेहद करते रहे. साल 2017 में उन्हें महाराष्ट्र पुलिस सेवा में वापस ले लिया गया. हालांकि इस बीच उन पर अंडरवर्ल्ड के साथ मिलीभगत के आरोप भी लगे. बाद में अदालत ने उन्होंने बेकसूर मान लिया. 

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वर्ष 2019 में प्रदीप शर्मा ने अचानक पुलिस सेवा से वीआरएस ले लिया. इसके बाद उन्होंने राजनीति का रुख किया और शिवसेना की सदस्यता ले ली. शिवसेना ने प्रदीप शर्मा को मुंबई की नालासोपारा सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा. लेकिन वो चुनाव हार गए. उन्हें बहुजन विकास अघाड़ी के उम्मीदवार क्षितिज ठाकुर ने मात दे दी. प्रदीप शर्मा ने 35 साल पुलिस में काम किया. इस दौरान उन्होंने सुर्खियां भी बंटोरी और विवादों में भी रहे. अब प्रदीप शर्मा अपनी एनजीओ चलाते हैं. अगर प्रदीप शर्मा 2019 में वीआरएस नहीं लेते, तो मई 2020 में महाराष्ट्र पुलिस से उनका रिटायरमेंट होता. 

 

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