पहले एंटीलिया के बाहर आधा-अधूरा बम, फिर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का लेटर बम और अब एनआईए की हिरासत में बैठे सचिन वाज़े का एक और लेटर बम. कुल मिलाकर इन बमों की बौछार के बीच एंटीलिया की साजिश तो हाशिए पर चली गई. लेकिन नए-नए चेहरे और नई-नई साजिशें सामने आने लगीं. सचिन वाज़े के एक खत ने महाराष्ट्र की सियासत में तूफान खड़ा कर दिया. वाज़े ने अपने खत में अनिल देशमुख के साथ-साथ परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी गंभीर इल्जाम लगाए हैं.
एंटीलिया साज़िश से जुड़ी वो गाड़ी फिलहाल पार्किंग के किसी कोने में खामोश खड़ी है. लेकिन उस गाड़ी के बाहर अचानक शोर बढ़ता जा रहा है. ऐसा लगता है मानों एंटीलिया की साज़िश फिलहाल हाशिए पर चली गई है. लेकिन इस साज़िश ने जो-जो उगला है. या उगल रहा है. वो हर रोज़ कोहराम मचा रहा है. साज़िश ने पहला चेहरा दिखाया अस्सिटेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाज़े का. पर इसके बाद जो जो चेहरे सामने आए. उन्होंने हंगामा बरपा कर दिया. बात अब सिर्फ गाड़ी में बम रखने तक नहीं रही. किस्सा अब सिर्फ वसूली तक भी नहीं रहा. बल्कि अब मामला कहीं आगे बढ़ चुका है.
एक लेटर बम 20 मार्च को मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने फोड़ा था. अब एक दूसरा लेटर बम फूटा है. और इस बार ये लेटर बम फोड़ने वाला कोई और नहीं बल्कि वही सचिन वाज़े है, जिसने 40 दिन पहले स्कॉर्पियो में बम रखा था.
आपको याद होगा कमिश्नर की कुर्सी से हटाए जाने के दो दिन बाद ही परमबीर सिंह ने एक खत लिखा था. जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर पुलिस की मदद से हर महीने करीब 100 करोड़ की वसूली करने का इल्ज़ाम लगाया था. परमबीर सिंह के इस इल्ज़ाम के बाद 5 अप्रैल को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौप दी थी. इस शर्त पर कि बिना एफआईआर दर्ज किए 15 दिनों के अंदर वो अपनी शुरुवाती रिपोर्ट दें. इस रिपोर्ट के बाद ही अनिल देशमुख की किस्मत का फैसला होगा. बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के आते ही गृह मंत्री अनिल देशमुख को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
लेकिन लगता है अनिल देशमुख की मुसीबत अभी टलने वाली नहीं है. क्योंकि परमबीर सिंह के बाद अब सचिन वाज़े ने बाकायदा एनआईए की हिरासत में रहते हुए एक ख़त लिख डाला. ये खत एनआईए की स्पेशल कोर्ट के नाम है. सचिन वाज़े ने ये खत 3 अप्रैल को लिखा है. बुधवार को सचिन वाज़े ने अदालत को ये खत सौंपने की कोशिश की लेकिन कोर्ट ने कहा कि वो खत को कानूनी तरीके से अदालत तक पहुंचाए. सचिन वाज़े का ये खत मीडिया में लीक हो चुका है. आइये सचिन वाज़े के इस खत पर एक नज़र डालते हैं.
पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर इल्जाम
वाज़े लिखता है "मैं मार्च 2004 से सस्पेंड था. 6 जून 2020 से मैं दोबारा बहाल हुआ. बहाली के तुरंत बाद एक रोज़ गृहमंत्री अनिल देशमुख ने नागपुर से मुझे फोन पर कहा कि कुछ लोग मेरी बहाली के खिलाफ हैं. उन्होंने ये भी कहा कि शरद पवार भी नहीं चाहते कि मेरा सस्पेंशन ख़त्म हो. इसके बाद अनिल देशमुख ने मुझसे कहा कि वो शरद पवार साहब को मना लेंगे. लेकिन इसके बदले उन्होंने मुझसे 2 करोड़ रुपये मांगे. मैंने इतनी बड़ी रकम देने में मजबूरी जताई. इस पर गृहमंत्री ने कहा कि कोई नहीं बाद में कभी दे देना. इसके बाद मुझे क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में बहाली मिल गई. जनवरी 2021 में मैं गृहमंत्री अनिल देशमुख के सरकारी बंगले पर उनसे मिला. गृहमंत्री के पीए कुंदन भी तब मौजूद थे. तब गृहमंत्री ने मुझसे मुंबई में मौजूद करीब 1650 बार और रेस्ट्रां से वसूली करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा था कि हर रेस्ट्रां से 3 से साढ़े 3 लाख रुपये कलेक्ट करो. तब मैंने उन्हें ये कहा था कि मुंबई में 200 के करीब ही बार और रेस्ट्रां हैं 1650 नहीं. मैंने उनसे ये भी कहा कि मैं इस पोज़ीशन में नहीं हूं कि बार और रेस्ट्रां से वसूली कर सकूं. क्योंकि ये मेरे अधिकार क्षेत्र के बाहर है. इस पर गृहमंत्री के पीए मि. कुंदन ने मुझे सलाह दी कि मैं अगर अपनी नौकरी और पोस्ट बचाए रखना चाहता हूं तो वही करूं जो गृहमंत्री जी ने कहा है. गृहमंत्री के साथ हुई इस मीटिंग के फौरन बाद मैंने सीपी सर (कमिश्नर परमबीर सिंह) को सारी बात बता दी थी. मैंने उनसे ये भी कहा था कि बहुत मुमकिन है कि आने वाले दिनों में मुझे किसी झूठे केस में फंसा दिया जाए. तब सीपी सर ने मुझे साफ साफ ये कहा था कि गैर कानूनी तरीके से वसूली के इस काम में किसी के भी कहने पर शामिल मत होना."
परिवहन मंत्री अनिल परब पर आरोप
सचिन वाज़े ने अपने इस ख़त में गृहमंत्री अनिल देशमुख के अलावा महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी संगीन इल्ज़ाम लगाए हैं. सचिन वाज़े खत में लिखता है "जुलाई-अगस्त 2020 में मंत्री अनिल परब ने मुझे अपने सरकारी बंगले पर बुलाया था. ये वही हफ्ता था, जब अगले तीन चार दिनों में मुंबई के डीसीपी के इंटरनल ट्रांसफर का फैसला होना था. मुलाकात के दौरान अनिल परब ने SBUT के खिलाफ चल रही किसी जांच का हवाला देते हुए कहा कि इसके ट्रस्टी को समझौते के लिए मैं उनके पास लेकर आऊं. अनिल परब ने मुझसे ये भी कहा कि मैं SBUT के ट्रस्टी से बात करूं और जांच को बंद करने के लिए 50 करोड़ रुपये मांगू. तब मैंने मंत्री जी के सामने अपनी मजबूरी जताई कि ना तो मैं SBUT में किसी को जानता हूं और ना ही मामले की जांच मेरे अख्तियार में है. जनवरी 2021 में अनिल परब ने फिर से मुझे अपने सरकारी बंगले में पर बुलाया. उन्होंने मुझसे बीएमसी की लिस्ट में शामिल कुछ कांट्रैक्टर की जांच करने को कहा. जिनके खिलाफ पहले से ही जांच चल रही थी. मंत्री अनिल परब ने मुझे ऐसे 50 कांट्रैक्टर से कम से कम 2 करोड़ रुपये कलेक्ट करने को कहा. इन कांट्रैक्टरों के खिलाफ शिकायत किसी गुमनाम शख्स ने की थी. सीआईयू ने कांट्रैक्टर के खिलाफ जांच शुरु भी की थी. लेकिन जांच में कुछ नहीं निकला."
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर भी इल्जाम
सचिन वाज़े ने 4 पन्नों के अपने इस ख़त में एक जगह महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का भी ज़िक्र किया है. सचिन वाज़े खत में लिखता है कि "नवंबर 2020 में दर्शन घोदावत नाम का एक शख्स मेरे पास आया. उसने अपना परिचय देते हुए कहा कि वो उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का बेहद करीबी है. दर्शन ने मुझे महाराष्ट्र में गुटका और तंबाकू के अवैध धंधे की पूरी जानकारी दी. यहां तक की फोन नंबर भी दिए. उसने मुझसे गुटका और तंबाकू का अवैध कारोबार करने वाले लोगों से हर महीने सौ करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा, जब मैंने ऐसा करने से इंकार किया तो उसने मुझे धमकी दी कि मैं अपनी नौकरी खो दूंगा. 2021 में पहले ही दिन से मैंने कानून के दायरे में रहते हुए मुंबई में करोड़ों रुपये का अवैध गुटका और तंबाकू ज़ब्त किया और दोषियों के खिलाफ एक्शन भी लिया. ऐसी ही एक कार्रवाई के बाद दर्शन घोदावत मेरे दफ्तर आए और मुझसे कहा कि इस कार्रवाई से उपमुख्यमंत्री बेहद नाराज़ हैं. उसने मुझे गुटका और तंबाकू बनाने वाले मैनूफैक्चरर को या तो उससे या फिर उपमुख्यमंत्री से मिलने को कहा. मैंने साफ इनकार कर दिया."
तो कुल मिलाकर पूर्व एपीआई सचिन वाज़े ने अपने एक खत के ज़रिए महाराष्ट्र के तीन-तीन मंत्रियों पर निशाना साधा है. एक मंत्री को पद से हाथ धोना पड़ा. वसूली रैकेट की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने शुरु कर दी है. एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को सीबीआई को वसूली मामले की जांच के लिए एनआईए की हिरासत में सचिन वाज़े से पूछताछ करने की इजाजत भी दे दी. अब देखना ये है कि जांच की आंच सिर्फ अनिल देशमुख तक जाएगी या वाज़े के इस नए खुलासे से आने वाले दिनों में जांच का दायरा और भी बढ़ेगा.
(रिपोर्ट- आजतक ब्यूरो)
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