राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एंटीलिया मामले को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाज़े की एक भयावह साजिश बताया है. गिरफ्तार किए जा चुके मुंबई पुलिस एपीआई सचिन वाज़े के घर से बरामद पासपोर्ट मिलने के बाद अब एनआईए को इस केस में 'एनकाउंटर एंगल' भी दिख रहा है.
एंटीलिया केस की पहेली में एक महत्वपूर्ण सुराग यानी वो पासपोर्ट जांच टीम के हाथ लगा है. एनआईए सूत्रों के मुताबिक वाज़े ने कथित तौर पर उस पासपोर्ट वाले शख्स समेत दो लोगों को खत्म करने का इरादा बना लिया था. बाद में वो उन दोनों को जिलेटिन की छड़ों से भरी स्कॉर्पियो को प्लांट करने के आरोप में फंसा देता. वो पासपोर्ट एनआईए को 17 मार्च को वाज़े के घर पर छापे के दौरान मिला था.
इस मामले ने पूरे महाराष्ट्र को हिला कर रख दिया. और बाद में ये एक राजनीतिक ड्रामा बन गया. एंटीलिया के बाहर 25 फरवरी को एक संदिग्ध स्कॉर्पियो मिली थी. मूल योजना के अनुसार, जिन दो व्यक्तियों का नाम एनआईए ने जांच में रखे ही नहीं, उन्हें उसी दिन एनकाउंटर में मार गिराना था और फिर इस मामले का खुलासा करने का दावा किया जाना था.
उसकी साजिश के मुताबिक फिर यह कहा जाता कि दो लोग औरंगाबाद से चोरी की एक मारुति ईको ड्राइव करके लाए थे और उसे एंटीलिया के बाहर एक आईईडी के साथ पार्क कर रहे थे. एनआईए ने मीठी नदी से एक गाड़ी की नंबर प्लेट दोबारा बरामद की है. इस केस में वाज़े की किस्मत खराब थी, इसलिए उसका प्लान फेल हो गया.
वाज़े ने अपनी उस साजिश के बजाए, प्लान बी के तहत काम किया और उसने चोरी मारुति ईको कार की बजाय उस एसयूवी का इस्तेमाल किया, जिसे मनसुख हिरेन चलाता था. इस केस में नाम आने के बाद मनसुख हिरेन की हत्या कर दी गई थी. सचिन वाज़े को लगा था कि मनसुख हिरेन एटीएस टीम के सामने पूछताछ में टूट जाएगा, इसलिए उसका कत्ल कर दिया गया.
जांच में शामिल एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि वाज़े खुद एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट था, लेकिन उसने पूरी साजिश खराब तरीके रची थी. वाज़े ने स्कॉर्पियो की नंबर प्लेट बदल दी थी और यहां तक कि उसका चेसिस नंबर भी खरोंच दिया था. लेकिन स्कॉर्पियो पर एक बीमा कंपनी का स्टिकर लगा था, जिसके ज़रिए एटीएस ने हिरेन को ट्रैक किया था, वहीं से वाज़े की साजिश पटरी से उतर गई थी.
अधिकारी के अनुसार एक एनकाउंटर की योजना बनाने के बाद, जो कभी नहीं हुआ. उनका प्लान ये था कि उन्हें नायकों के रूप में सम्मानित किया जाएगा. वाज़े लाभ कमाने के लिए इस साजिश का इस्तेमाल करने की फिराक में था. अधिकारी ने कहा कि यह सब खुलासा जांच का हिस्सा है.
हालांकि अभी तक उस संदिग्ध की तलाश जारी है, जिसने आखिरकार मनसुख हिरेन का गला घोंट दिया था. क्योंकि उसकी मौत का कारण दम घुटना था वाज़े ने कुछ सीनियर्स का नाम उन लोगों के रूप में रखा है, जिन्हें उसने लूप में रखा था. लेकिन वाज़े ने अपने दावे को साबित करने वाले सबूत अभी तक एनआईए को नहीं दिए हैं.
सूत्रों ने कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने पूछताछ के दौरान वाज़े के गलत काम के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया है. हालांकि इस पहेली में एक अहम सुराग लापता है, जो एक सेल फोन है. वो फोन इस केस से जुड़ी जानकारी का खजाना हो सकता है. रिकॉर्ड के अनुसार, गिरफ्तारी से एक दिन पहले तक सचिन वाज़े मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा था, जो बाद में कभी नहीं मिला. हालांकि मीठी नदी से कई सामान बरामद हुए हैं. आयुक्त कार्यालय की डीवीआर और सीसीटीवी फुटेज नष्ट हो जाना भी एजेंसी के लिए एक चुनौती है.
एनआईए ने इस मामले में चार गिरफ्तारियां कीं. जिनमें सचिन वाज़े, निलंबित कांस्टेबल विनायक शिंदे, क्रिकेट बुकी नरेश गौड़ और वाज़े का सहयोगी रियाज़ काज़ी शामिल है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया "किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी गई है. हम क्लीन चिट देने का कारोबार नहीं करते. हम यहां जांच करने और साजिश की तह तक जाने के लिए हैं."