एंटीलिया केस की जांच में जुटी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का मानना है कि निलंबित एपीआई सचिन वाज़े ने कथित तौर पर मनसुख हिरेन की हत्या इसलिए कर दी, क्योंकि वह इस मामले में सबसे कमजोर कड़ी था. अब तक की जांच के अनुसार, वाज़े को आशंका थी कि मामला उसके हाथ से निकल रहा है और अगर ऐसा हुआ तो हिरेन उसकी साजिश का राज़ उगल देगा.
जांच एजेंसी इस निष्कर्ष की ओर बढ़ रही है कि वाज़े ने एंटीलिया के बाहर बम प्लांट करने की योजना बनाई थी, लेकिन एटीएस और एनआईए जैसी एजेंसियों ने हिरेन की स्कॉर्पियो चोरी होने की थ्योरी पर काम शुरू कर दिया था. खुद को बचाने के लिए वाज़े ने हिरेन को इस मामले की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा. उसे मनाने की कोशिश की. लेकिन जब मनसुख हिरेन ने इनकार कर दिया, तो वाज़े को उसकी योजना को विफल होती दिखने लगी.
एनआईए के एक अधिकारी ने बताया "वाज़े फर्जी सिम कार्ड और वाहनों पर बदली हुई नंबर प्लेट का इस्तेमाल कर रहा था. एंटीलिया के बाहर से बरामद की गई स्कॉर्पियो कार का चेसिस नंबर खरोंच दिया गया था. जिससे कार के मालिक का पता लगाना मुश्किल हो गया. लेकिन इसके बावजूद एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने की रात में ही एटीएस ने मनसुख हिरेन को पकड़ लिया था. तब वाज़े ने एटीएस को मनसुख हिरेन को छोड़ने के लिए कहा था."
एनआईए अधिकारी ने आगे कहा "सचिन वाज़े को इस बात का अहसास था कि अन्य एजेंसियों की पूछताछ में मनसुख हिरेन टूट जाएगा. वो एक कमजोर कड़ी साबित होगा. क्योंकि उसने जिलेटिन की छड़ें लगाने की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था. इसलिए हिरेन को खत्म करने के लिए वाज़े ने एक योजना बनाई. यह योजना एक आत्महत्या की तरह लग रही थी, लेकिन मुंब्रा क्रीक में लो टाइड की वजह से लाश जल्द बरामद हो गई. हिरेन के परिवार को पता था कि वाज़े ने पहले स्कॉर्पियो का इस्तेमाल किया था."
हिरेन की विसरा रिपोर्ट आना बाकी है. हालांकि, सबूतों के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि हिरेन की हत्या कर दी गई थी. उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण नहीं बताया गया है. लिगचर निशान नहीं हैं, इसलिए गला घोंटने से मौत का कारण नहीं बनता है. जिन डॉक्टरों ने हिरेन का पोस्टमार्टम किया था, वे भी शव परीक्षण के दौरान कुछ खामियों के लिए जांच के दायरे में आ गए हैं.
सीसीटीवी फुटेज के कारण एजेंसियों को मामले में बड़ी सफलता मिली है. एटीएस के एक अधिकारी ने कहा कि एक एजेंसी को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि अपराध के अगले 45 दिनों तक सीसीटीवी फुटेज को नष्ट नहीं करना है. अधिकारी ने कहा "वाज़े ने माना कि 30 दिनों में फुटेज हटा दी जाएगी. जब एनआईए जांच शुरू कर पाती. लेकिन हमने यह सुनिश्चित किया कि कोई सबूत न खो जाए."
एनआईए अधिकारियों ने कहा कि सचिन वाज़े के खिलाफ सबूत बढ़ रहे हैं और फॉरेंसिक सबूत उनके मामले को मजबूत करेंगे. एनआईए अभी भी उस कार का पता लगाने में जुटी है. जिसमें हिरेन को कथित तौर पर मुंब्रा क्रीक में फेंकने से पहले मार दिया गया था.