ड्रग्स का नशा जब धीरे धीरे नसों के ज़रिए दिमाग की तरफ परवाज़ करने लगता है. तो वहां सोई हुई ये बत्तियां अचानक जगमगा कर बेचैन हो उठती हैं. बिजलियां इस तरह कौंधना शुरु करती हैं. जैसे दूर कोई बादल कांपता है. दिमाग का पूरा का पूरा निज़ाम रुई के फुए की तरह हल्का महसूस होने लगता है. दिमाग खाली. जिस्म खाली. ऐसा लगता है जैसे सब हवा में है. बस इसे ही ड्रग्स के तलबगारों की ज़बान में फील हाई कहते हैं. यानी वो फीलिंग वो एहसास जो आपको सितारों के पार पहुंचा दे. सारा दीवानापन इसी हाई को फील करने का है.
इसी हाई को फील करने के चक्कर में कुछ हाई प्रोफाइल लोग ऐसे फंसे कि कुछ दिन के लिए ही सही पर नशा हिरन हो गया. बॉलीवुड के इतिहास में ये पहला मौका था, जब तीन तीन हीरोइन एक साथ बिना किसी स्क्रिप्ट के असली पुलिस वालों के सामने बैठी थी. असली जिंदगी की इस फिल्म में तीनों की कहानी का सब्जेक्ट ड्रग्स और नशा था. दीपिका पादुकोण, सारा अली खान और श्रद्धा कपूर इससे पहले कभी इस तरह से किसी से मिलने नहीं आई. माथे पे शिकन, चेहरे पे घबराहट, दिल में बेचैनी, सितारे जमीन पर थे और ज़मीन पर पैर कांप रहे थे.
दीपिका से साढ़े 5 घंटे हुई थी पूछताछ
कभी-कभी दो लोगों की बीच हुई ऐसी बातचीत क्या गुल खिला सकती है, ये दीपिका को अब समझ आया. तीन साल पहले दिए ड्रग्स के ऑर्डर ने, तीन साल बाद दीपिका को एनसीबी के दफ्तर पहुंचा दिया. दीपिका पर इल्ज़ाम है कि वो ड्रग्स लेती है. इस इल्ज़ाम की गवाही ये चैट दे रहा था. फिर क्या था, एनसीबी के दफ्तर की दूसरी मंज़िल पर बिना फीस लिए दीपिका को साढ़े पांच घंटे बैठना पड़ा. दीपिका ने ड्रग्स को लेकर अपने सारे बयान दिए. बीच-बीच में अदाकारी भी दिखाने की कोशिश की. पर एनसीबी की एसआईटी मुंबई फिल्म देखने नहीं बल्कि फिल्म बनाने आई है.
दीपिका को याद दिलाया कि यहां शूटिंग नहीं चल रही है. तीन बार पूछताछ के दौरान दीपिका टूट पड़ी, तीन बार बाकायदा उनकी आंखें नम हुईं. लेकिन आंसू भी काम ना आए. एनसीबी अपना काम करती रही. दीपिका के पास कोई चारा नहीं था. ड्रग्स चैट की बात कबूल कर ली. पर कहा मैं तो सिगरेट पीती हूं. जिस ड्रग्स का नाम आप ले रहे हैं, मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता. दीपिका पूरी तैयारी से आई थी.
पूछताछ के बाद एनसीबी की टीम ने दीपिका का मोबाइल अपने पास रख लिया. दीपिका परेशान हो उठी. कहा इस मोबाइल में उनके सारे डेटा और कॉन्टेक्ट नंबर हैं. एनसीबी ने कहा कि थोड़ा इंतज़ार कीजिए. कुछ वक्त के लिए फोन हमारे पास रहने दीजिए. अब एनसीबी दीपिका के इस मोबाइल में घुस कर डेटा वीडियो चैट और उन नंबरों को खंगालेगी, जिनके ज़रिए शायद नशे का कोई सुराग मिल जाए. क्या पता इस मोबाइल में कुछ और सितारों की तकदीर बंद हो. मोबाइल से राज खुल गया तो वो भी ज़मीन पर होंगे.
दीपिका की लोकेशन एनसीबी का अस्थाई गेस्ट हाउस था. वहां से पांच मिनट की दूरी पर एनसीबी के मुंबई दफ्तर में एक दूसरा सेट लगा हुआ था. जहां सारा अली खान और श्रद्धा कपूर मौजूद थीं. इन दोनों पर भी नशा सिर चढ़ाने का इल्ज़ाम था. ये दोनों भी खुद को नशे के गुबार से दूर बता रही थी. करीब छह घंटे इन दोनों ने भी एनसीबी के इस दफ्तर में गुज़ारे. सुशांत समेत दूसरे लोगों के ड्रग्स लेने की बात कही. पर खुद पे बात आई तो कहा कि तौबा-तौबा. मैं और नशा? हो ही नहीं सकता. जुबान ने जो कहा वो झूठ था सच, एनसीबी की टीम को समझ नहीं आ रहा था.
लिहाजा उन्होंने इन दोनों के भी मोबाइल को कब्ज़े में ले लिए. ताकि मोबाइल में घुस कर असली बोली सुन सकें. सारा एक बड़ी मोबाइल कंपनी की ब्रैंड अंबेस्डर हैं. वो उसी कंपनी का मोबाइल लेकर आई थी. लेकिन एनसीबी को उनका एक साल पुराना मोबाइल चाहिए था. पूछा वो मोबाइल कहां है, सारा ने बड़ी मासूमियत से एनसीबी के उस अफसर से उल्टा सवाल पूछ लिया. अफसर ने कहा, नहीं. सारा ने कहा फिर मुझे कहां से याद रहेगा.
सारा का नया मोबाइल तो एनसीबी के पास है. लेकिन कहते हैं कि असली राज पुराने मोबाइल में ही है, जो बकौल सारा उन्हें याद नहीं कि वो मोबाइल कहां है. एनसीबी सारा से केदारनाथ फिल्म की शूटिंग के दौरान ड्रग्स के इस्तेमाल का सच जानना चाहती थी. सारा का नाम रिया चक्रवर्ती ने अपने बयान में लिया था. सारा ने जवाब दिया कि सुशांत तो ड्रग्स लेते थे. मैंने कभी नहीं लिया.
तीसरी हीरोइन श्रद्धा कपूर भी परेशान हाल में एनसीबी दफ्तर पहुंची थी. एनसीबी उनसे पावना डैम पर हुई छिछोरी पार्टी का सच जानना चाहती थी. ये भी जानना चाहती थी कि पावना डैम के उन्होंने सुशांत के साथ कई चक्कर लगाए, वहां ड्रग्स का खुल कर इस्तेमाल हुआ, आपने कितना इस्तेमाल किया. श्रद्धा ने मासूमियत से जवाब दिया मैं तो बस पार्टी में थी. ड्रग्स से मेरा कोई वास्ता नहीं. हां, सीबीडी ऑयल मैंने जरूर इस्तेमाल किया. लेकिन एक्सटरनल यूज़ के लिए. श्रद्धा होम वर्क करके आई थी शायद. क्योंकि उन्हें पता था कि सीबीडी ऑयल मुंह से लिया तो एनडीपीएस एक्ट में फंस जाएंगी, एक्सटर्नल यूज बताया तो फिर ये किसी जुर्म में आता ही नहीं.
लगभग छह-छह घंटे तीनों हीरोइन रियल लाइफ की पुलिस के सामने बैठी रहीं. बोलती रहीं. बयान दर्ज कराती रहीं और फिर निकल गईं. इन तीनों के हिसाब से पिक्चर खत्म हो गई. मगर एनसीबी के हिसाब से पिक्चर का क्लाइमेक्स अभी बाकी है.