कहते हैं ये सफेद पाउडर का नशा भी बड़ा अजीब होता है, जो दुनिया जीत चुके हैं वो इसे पाकर दुनिया को भुला देते हैं. और जो ज़िंदगी से हार चुके हैं, वो इसे अपनाकर सिकंदर सा महसूस करने लगते हैं. अलमुख्तसर बस इसी सफेद तसल्ली का नाम है ड्रग्स. जो इस हाई हो जाने वाली तसल्ली को महसूस कर लेता है. वो बार-बार इसे महसूस करना चाहता है. ना कर पाए तो यही सितारों के पार चले जानी वाली तसल्ली उसे बेचैन करने लगती है. इतना बेचैन की उस बेचैनी को मिटाने के लिए सब मिट भी जाए तो गम ना हो.
एक बार इस नशे के चंगुल में आ जाने के बाद इसका तलबगार एक आद मिसालों को छोड़ दें तो अमूमन फिर कभी इससे बाहर नहीं निकल पाता. कईयों की ज़िंदगी इस सफेद पाउडर ने तबाह कर दी. किसी की जायदाद. किसी का नाम. किसी का रुतबा. सब कुछ खत्म हो जाता है.
अब एक बार फिर कुछ नामचीनों का करियर और रुतबा दांव पर लगा है. जिनमें दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर, सारा अली खान, रकुल प्रीत और ना जाने ऐसे ही कितने नाम एनसीबी के राडार पर हैं. एनसीबी को इन कड़ियों तक रिया चक्रवर्ती ने पहुंचाया. रिया इस शिकंजे में सुशांत की मौत की वजह से आईं. सुशांत की मौत को कंगना ने नेपोटिज़्म का नतीजा बताया. बॉलीवुड में ड्रग्स का मुद्दा उठाया. वहीं इस मुहिम की अलमबरदार बनीं. मगर जो कंगना ड्रग्स के खिलाफ इस जंग की अलमबरदार हैं. वही कभी इस ड्रग्स की तलबगार भी थी. उनके भी ड्रग्स के नशे में हाई हो जाने की तस्वीरें और कहानियां भरी पड़ी हैं. यानी इस हमाम में सब नंगे हैं.
अब तक एनसीबी इस सफेद पाउडर को लेने-देने और रखने के इल्ज़ाम में कई दर्जन लोगों से पूछताछ कर चुकी है. जिसमें दीपिका, सारा, श्रृद्धा और रकुल प्रीत शामिल हैं. इसके अलावा डेढ़ दर्जन से ज़्यादा लोग गिरफ्तार किए गए हैं. जिसमें रिया चक्रवर्ती और उनका भाई शोविक भी है. कुल मिलाकर ड्रग्स के मामले में एनसीबी के हाथ में वो सिरा लग गया है. जो आधे से ज़्यादा बालीवुड को अपनी गिरफ्त में ले सकता है. जिसमें ड्रग्स लेकर सितारों के पार जाने वाले कई दर्जन सितारे फंसते हुए नज़र आ रहे हैं. एनसीबी की कार्रवाई से भी ऐसा लग रहा है कि उसने इन चेहरों से नकाब उतारने और बॉलीवुड में ड्रग्स रैकट को बस्ट करने की कसम खा ली है.
सुशांत की मौत की जांच से शुरु हुई ये जांच कितनों पर आंच लाएगी ये फिलहाल तो कह पाना मुश्किल लग रहा है. क्योंकि ड्रग्स है. ड्रग्स लिया भी जाता है. ड्रग्स बेचा भी जाता है. इसके पीछे बहुत बड़ा सिंडिकेट भी काम करता है. ये एक अनकहा सच है कि सब सरकारों को पता है. सिर्फ हिंदुस्तान की ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी मुल्कों की. ड्रग्स की सप्लाई को एक झटके में बंद कर देना किसी भी सरकार के लिए मुमकिन नहीं है. ये ऐसा होगा जैसे गले में दर्द होने पर गला ही काट दिया जाए.
ऐसा नहीं है कि हिंदुस्तान में पहली बार ड्रग्स का मुद्दा सामने आया है. हमारे यहां ड्रग्स को लेकर साल 1985 में कानून बन गया था. ये मुद्दा दरअसल, गरम इसलिए हुआ क्योंकि मायानगरी से जुड़ा हुआ है. जहां अफवाह भी बेच दी जाती है. और इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री होने की वजह से इसके खरीदार भी बहुत हैं. ज़ाहिर है अब बात निकली ही है तो फिर दूर तलक जानी ही चाहिए. क्योंकि इस सफेद पाउडर से आजतक किसी का भी भला नहीं हुआ है.