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Nepal Plane Crash: नेपाल के पोखरा में यति एयरलाइंस का जो विमान क्रैश हुआ, उसकी क्रैश से पहले और क्रैश के बाद की बहुत सी तस्वीरें भी सामने आई हैं. उन सारी तस्वीरों से एक बात बिल्कुल साफ है कि हादसे के वक्त पोखरा का आसमान साफ था और मौसम खुशगवार. विमान के अंदर की तस्वीर वायरल हुई, जो एक मुसाफिर के वीडियो लाइव करने की है. शायद वो उस वक्त अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लाइव था. वो विमान के अंदर और बाहर की ना सिर्फ वीडियो बना रहा था, बल्कि कुछ कह भी रहा था. उसी पल ये हादसा हो गया. अब इस हादसे को लेकर कई सवाल हैं, जिनमें सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर हादसा कैसे और क्यों हुआ?
क्या थी हादसे की वजह?
पोखरा विमान हादसे की जांच के लिए नेपाल सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है. जांच का काम चल रहा है. जांच में सहयोग करने के लिए फ्रांस से भी एक्सपर्ट बुलाए गए हैं. अब जांच टीम इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर हादसे की वजह क्या थी?
एयर स्ट्रिप बदलने का फैसला!
जिस एयरपोर्ट के पास ये हादसा हुआ, उसका आगाज कुछ वक्त पहले ही नेपाल के प्रधानमंत्री ने किया है. इस एयरपोर्ट के रनवे पर दो तरफ से प्लेन लैंड और टेकऑफ करते हैं. यति एयरलाइंस के उस विमान को पूरब की तरफ से 30 नंबर रनवे पर लैंड करना था. मगर एटीसी की इजाजत के बावजूद पायलट कमल केसी ने ऐन वक्त पर पश्चिम की तरफ से हवाई पट्टी नंबर 12 पर प्लेन को लैंड कराने की बात कही.
हादसे की संभावित 5 वजह
पायलट कमल केसी के साथ विमान में को-पायलट अंजू थी. जो कुछ समय बाद ही कैप्टन बनने वाली थीं. ऐसे में कुछ रिपोर्ट्स में आशंका जताई गई है कि कहीं को पायलट को सिखाने की कोशिश में तो ये हादसा नहीं हुआ? 72 लोगों की जान लेनेवाले यति एयरलाइंस के इस विमान के हादसे की असली वजह क्या रही, ये तो एक्सपर्ट्स की जांच के बाद ही सामने आएगा, लेकिन शुरुआती जांच में जो इशारे मिल रहे हैं, उससे यही लगता है कि इस विमान हादसे की वजह इनमें से कुछ भी हो सकती है-
हादसे की संभावित वजह नंबर-1
अब तक की जांच में ये बात साफ हो चुकी है कि हादसे का शिकार हुए हवाई जहाज एटीआर-72 के कैप्टन कमल केसी ने लैंडिंग से महज़ चंद सेकंड पहले ही यानी आखिरी वक्त पर हवाई पट्टी बदलने का फैसला किया था और इसके लिए एयर ट्रैफिक कंटोल यानी एटीसी इजाजत भी मांगी थी. कैप्टन ने ऐसा तब किया, जब एटीसी की ओर से विमान को नीचे उतरने की इजाजत दे दी गई थी और रन-वे नंबर 30 को लैंडिंग के लिए चुना गया था. लेकिन उतरने से ठीक पहले कैप्टन केसी ने रन-वे नंबर 12 पर उतरने का फैसला किया और इसके लिए इजाजत मांगी. कैप्टन ने ऐसा तब किया जब हवाई जहाज एयरपोर्ट से महज़ साढ़े चौबीस किलोमीटर दूर था और लैंडिंग के लिहाज़ से ये दूरी काफी कम होती है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर विमान के पायलट ने आखिरी वक्त पर इतना बड़ा फैसला क्यों लिया? इसकी क्या वजह रही?
असल में पोखरा एयरपोर्ट पर पूरब की तरफ से लैंड करने वाले हवाई जहाजों को एयर स्ट्रिप नंबर 30 पर उतरने को कहा जाता है, जबकि पश्चिम की तरफ से नीचे आनेवाले जहाजों के लिए रनवे नंबर 12 की व्यवस्था है. रविवार को जब यति एयरलाइंस का वो विमान लैंडिंग की तैयारी कर रहा था, तो वो वीआरएफ यानी विजुअल फ्लाइट रूल्स तकनीक का इस्तेमाल कर रहा था. आम तौर पर हवाई जहाज मौसम साफ रहने पर इस तकनीक का इस्तेमाल करके नीचे उतरते हैं. यानी इतना तो साफ है कि हादसे वक्त मौसम खराब नहीं था. ऊपर से पोखरा हवाई अड्डे के आस-पास रहने वाले लोग और आसमान से नीचे गिरते हवाई जहाज का वीडियो भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि वहां का मौसम खराब नहीं था. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर फिर पायलट ने नीचे उतरने के लिए एयर स्ट्रिप बदलने की इजाजत क्यों मांगी?
हादसे की संभावित वजह नंबर- 2
नेपाल में हुए विमान की हादसे की एक वजह 5-जी मोबाइल नेटवर्क को भी माना जा रहा है. ये कहा जाने लगा है कि स्मार्ट फोन के इंटरनेट नेटवर्क की वजह से एटीसी को पायलट से संपर्क में रहने से दिक्कत होती है. जिससे विमान के टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान संवादहीनता के चलते असमंजस के हालात पैदा हो सकते हैं. ऊपर से मोबाइल इंटरनेट की वजह से ही जमीन से प्लेन की ऊंचाई का सिग्नल भी सटीक नहीं मिल पाता और यही वजह है कि अक्सर प्लेंस के टेक ऑफ या लैंडिंग के दौरान विमान में बैठे मुसाफिरों से भी अपने-अपने मोबाइल फोन को या तो स्विच्ड ऑफ करने के लिए कहा जाता है या फिर मोबाइल को फ्लाइट मोड पर रखने की सलाह दी जाती है. लेकिन जैसा कि इस हादसे के दौरान तस्वीरें सामने आईं उसके मुताबिक विमान में बैठे कुछ मुसाफिरों के मोबाइल फोन ऑन थे और उनका इंटरनेट भी चालू था.
हादसे की संभावित वजह नंबर- 3
फ्लाइट नंबर एटीआर-72 के हादसे की संभावित वजहों में एक वजह पायलट और को-पायलट की मानवीय भूल भी हो सकती है. असल में जिस तरह से पायलट कमल केसी ने ऐन मौके पर प्लेन को पूरब की जगह पश्चिमी छोर से दूसरे एयर स्ट्रिप पर उतारने का फैसला किया, वो चौंकानेवाला था. नेपाल के इस रनवे की बनावट ऐसी है, जिसमें पश्चिमी छोर से विमान को नीचे उतारने के लिए खास तजुर्बे की जरूरत होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विमान के कैप्टन ने अपनी को-पायलट को ये लैंडिंग सिखाने के लिए आखिरी वक्त पर ये फैसला किया? और क्या चंद सेकंड्स पहले लिया गया उनका ये फैसला ही इस विमान हादसे की वजह बन गया? मीडिया से बात करते हुए कुछ विशेषज्ञों ने इस हादसे को लेकर ये भी एक आशंका जताई है.
हादसे की संभावित वजह नंबर- 4
फ्लाइंग के लिहाज से नेपाल की गितनी दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में होती है. असल में नेपाल एक ऐसा देश है, जिसकी भौगोलिक बनावट काफी मुश्किल है. ऊंचे-ऊंचे पहाड़, उनकी चोटियां, घाटियां और जंगल नेपाल की बनावट का हिस्सा हैं. कुछ इन्हीं वजहों से नेपाल को स्थलरुद्ध यानी लैंड लॉक्ड कंट्री के तौर पर भी गिना जाता है. दुनिया की सबसे ऊंची 8,848 मीटर की ऊंचाई वाली माउंट एवरेस्ट की चोटी नेपाल में ही है. ऊपर से ऐसी बनावट के चलते कभी विजिब्लिटी की कमी, कभी टर्बुलेंस यानी खराब मौसम की आशंका, तो कभी तेज हवाएं नेपाल में पायलटों के लिए चुनौतियां पेश करती रहती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस हादसे के पीछे भी नेपाल की ये भौगोलिक बनावट एक वजह साबित हुई?
हादसे की संभावित वजह नंबर- 5
वैसे तो नेपाल शासन ने मामले की जांच के लिए एक आयोग का गठन कर दिया है. ब्लैक बॉक्स की भी पड़ताल अभी होनी है, लेकिन जिस तरह से ऐन मौके पर पायलट ने हवाई पट्टी बदलने का फैसला किया, उसे देख कर अब ये आशंका भी जताई जाने लगी है कि शायद विमान में लैंडिंग से ऐन पहले कोई तकनीकी खराबी आ गई होगी. वैसे भी विमान नीचे गिरने से पहले जिस तरह अपनी बांयी ओर खतरनाक तरीके से मुड़ गया, विशेषज्ञों की मानें तो वो भी विमान में आई तकनीकी खराबी की निशानी हो सकती है. नेपाल एयरपोर्ट से जुड़े कुछ सूत्रों ने मीडिया से बात करते हुए ये भी दावा किया है कि एटीआर 72 ने लैंडिंग से ठीक पहले जैसे ही अपने लैंडिंग गियर खोले, हवाई जहाज खुद को स्टॉल नहीं कर सका यानी लैंडिंग गियर खुलते ही हवाई जहाज तेजी से नीचे आने लगा और ये अपनी ऊंचाई बरकरार नहीं रख सका. जबकि नीचे उतरने के लिए हवाई जहाज का धीरे-धीरे नीचे आना जरूरी होता है, तेजी से नीचे आना खतरे की निशानी हो सकती है और इस हवाई जहाज के साथ ऐसा ही कुछ हुआ. कम से कम हवाई जहाज पर नीचे से नजर रख रहे लोगों को तो कुछ ऐसा ही लगा.
30 साल और 28 विमान हादसे
ये तो रही रविवार को नेपाल में हुए विमान हादसे की संभावित वजहों की बात. अब आपको बता दें कि नेपाल में विमान उड़ाना और हवाई सफर करना खतरे से खाली नहीं है. नेपाल के हवाई इतिहास की बात करें तो अब तक यहां 104 विमान हादसे हो चुके हैं. इनमें सबसे बड़ा हादसा 31 साल पहले हुआ था, जब एक प्लैन कैश में 167 लोगों की जान चली गई थी. पिछले 30 सालों में यहां 28 बड़े हवाई हादसे हो चुके हैं. अब आइए, हाल के कुछ सालों में नेपाल में हुए बड़े हवाई हादसों पर एक निगाह डालते हैं.
नेपाल में सबसे बड़ा विमान हादसा
साल 1992 में नेपाल में एक बड़ा विमान हादसा हुआ था, जिसे नेपाल में सबसे बड़ा विमान हादसा भी कहा जाता है. उस वक्त पाकिस्तान एयरलाइंस का एक विमान काठमांडू एयरपोर्ट पर हादसे का शिकार हो गया था. जिसमें 167 लोगों की जान चली गई थी.
29 मई 2022 में नेपाल
उस दिन नेपाल में तारा एयरलाइंस का एक विमान हादसे का शिकार हो गया था. जिसमें चार भारतीयों समेत कुल 22 लोगों की जान चली गई थी. उड़ान भरने के बाद ये विमान रडार से बाहर चला गया था. जिसके छह घंटे बाद इसके हादसे का शिकार हो जाने की बात पता चली थी.
साल 2019
उस समय एयर डायनेस्टी कंपनी का एक हेलीकॉप्टर पहाड़ से टकरा गया था. जिसमें नेपाल के पर्यटन मंत्री रविंद्र अधिकारी समेत 7 लोगों की मौत हो गई थी.
साल 2018
उस वक्त नेपाल में यूएस-बांग्ला एयरलाइंस की फ्लाइट हादसे का शिकार बनी थी. 76 सीटों का ये प्लेन काठमांडू के त्रिभुवन एयरपोर्ट पर उतरते वक्त एक्सीडेंट का शिकार हो गया था. इस हादसे में हवाई जहाज में सवार 71 लोगों में से 51 की मौत हो गई थी.
साल 2016
उस साल तारा एयरलाइंस की एक और फ्लाइट हादसे का शिकार बन गई थी. इस हादसे में 23 लोगों की मौत हो गई थी. हवाई जहाज नेपाल के मयागदी में क्रैश होकर गिर गया था.
नेपाल में साल-दर साल ऐसे हादसे होते रहे हैं और ऐसे में वहां की भौगोलिक स्थिति के साथ-साथ नेपाल के तकनीकी तौर पर पिछडे होने, हवाई जहाज के रख-रखाव में लापरवाही बरते जाने समेत और भी कई तरह की वजहें सामने आती रही हैं. ऐसे में अब इस नये हादसे ने नेपाल की हवाई सेवा पर एक और बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.