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देश की संसद में बुधवार को महज चार लोगों ने हंगामा बरपा दिया. दो ने संसद भवन के बाहर नारेबाजी और हंगामा किया. कलर स्मोक उड़ाया. इसी तरह से दो लोगों ने संसद के अंदर सांसदों के बीच जाकर स्मोक उड़ाया. ये चारों लोग पकड़े गए. चारों की शिनाख्त भी हो गई. आरोपियों की पहचान अनमोल शिंदे, नीलम आजाद, सागर शर्मा और मनोरंजन के तौर पर हुई है. पकड़े जाने के बाद इन चारों से पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां लगातार पूछताछ कर रही हैं. इन चारों और इनके साथ इस साजिश में शामिल अन्य दो लोगों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Amendment Act) यानी UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस संबंध में नई दिल्ली के संसद मार्ग पुलिस थाने में जिन धाराओं में मामला दर्ज हुआ है. वो इस प्रकार से हैं-
यूएपीए की धारा 16 - इसमें आतंकवादी कृत्यों के लिए दंड दिया जाता है.
यूएपीए की धारा 18 - इसके तहत साजिश आदि के लिए दंड दिया जाता है.
आईपीसी की धारा 120बी - यह आपराधिक साजिश के लिए लगाई जाती है.
आईपीसी की धारा 452 - सरकारी भवन, संपत्ति में अवैध प्रवेश के लिए लगाई जाती है
आईपीसी की धारा 153 - यह धारा दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाने पर लगाई जाती है.
आईपीसी की धारा 186 - लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा पहुंचाने पर लगाई जाती है.
आईपीसी की धारा 353 - लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल करना अथवा हमला करने पर लगाई जाती है.
क्या है UAPA कानून?
UAPA कानून देश की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए 1967 में बनाया गया था. तब से लेकर अब तक इसमें चार बार संशोधन किए जा चुके हैं. 2004, 2008, 2012 और 2019 में इस कानून में बदलाव किए गए. इसके तहत ऐसे किसी भी व्यक्ति या संगठन, जो देश के खिलाफ या फिर भारत की अखंडता और संप्रभुता को भंग करने का प्रयास करे उस पर कार्रवाई की जाती है.
इतनी हो सकती है सजा
इसके तहत आरोपी को कम से कम 7 साल की सजा हो सकती है. अभी तक इस कानून के तहत कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. यूएपीए का इस्तेमाल आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैय्यबा के मुखिया हाफिज सईद, आतंकी जकी-उर-रहमान लखवी और आतंकी दाउद इब्राहिम के खिलाफ किया जा चुका है.
अगस्त 2019 में किया गया अहम संशोधन
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में इस कानून में बदलाव के लिए संशोधन विधेयक पेश किया था जो संसद के दोनों सदनों से पास हो गया. इस कानून में हुए संशोधन के बाद एनआईए को कई अधिकार मिल गए. इस कानून में अगस्त 2019 में हुए संशोधन के बाद अब इसके तहत संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. साथ ही उस व्यक्ति की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है.
NIA को मिले असीमित अधिकार
इस कानून के तहत एनआईए के पास कार्रवाई करने के असीमित अधिकार हैं. यह कानून एनआईए को अधिकार देता है कि वो आतंकी गतिविधियों में शक के आधार पर लोगों को उठा सकती है और उन्हें गिरफ्तार कर सकती है. इसके अलावा संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर उन पर कार्रवाई कर सकती है.
आतंकवादी ठहराने का प्रावधान
इस संशोधन से पहले किसी को व्यक्तिगत आतंकवादी ठहराने का कोई प्रावधान नहीं था. ऐसे में जब किसी आतंकवादी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाता था तो उसके सदस्य एक नया संगठन बना लेते थे. इस प्रक्रिया पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यूएपीए कानून में संशोधन किया.
ज़रूरी नहीं राज्य पुलिस की अनुमति
यही नहीं, इस कानून के आधार पर एनआईए को जांच के लिए पहले संबंधित राज्य की पुलिस से अनुमति लेनी पड़ती थी, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं है. हाल में हुए संशोधन के बाद एनआईए को ये अधिकार है कि वो बिना राज्य पुलिस की इजाजत के उस राज्य में कार्रवाई कर सकती है.
केवल चाहिए NIA DG की अनुमति
यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) चाहे तो वो आतंकवाद से जुड़े किसी भी मामले में सबूत के आधार पर व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है और उसे आतंकी घोषित कर संपत्ति सीज कर सकती है. पहले इसके लिए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से अनुमति लेनी होती थी, लेकिन 2019 में किए गए संशोधन के बाद अब यह विधेयक एनआईए को अधिकार देता है कि आतंकवाद से जुड़े किसी मामले की जांच के लिए एनआईए के अधिकारियों को सिर्फ NIA डायरेक्टर जनरल से अनुमति लेनी होगी.
यूएपीए बिल के तहत केंद्र सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है अगर इन 4 में से किसी एक में उसे शामिल पाया जाता है. आतंक से जुड़े किसी भी मामले में उसकी सहभागिता या किसी तरह का कोई कमिटमेंट पाया जाता है. आतंकवाद की तैयारी करने. आतंकवाद को बढ़ावा देना और आतंकी गतिविधियों में किसी अन्य तरह की संलिप्तता पाए जाना.
एनआईए को मिली और ताकत
जांच के संबंध में भी एनआईए (NIA) के पास अब ताकत और बढ़ गई है. कानून में हुए संशोधन के बाद अब एनआईए के अफसरों को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं. अब इंस्पेक्टर रैंक या उससे ऊपर के अफसर आतंकवाद से जुड़े ऐसे किसी भी मामले की जांच कर सकते हैं.