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IPS अफसर अरविंद दिग्विजय नेगी गिरफ्तार, लश्कर-ए-तैयबा को गोपनीय दस्तावेज मुहैया करने का आरोप

SP रैंक का अधिकार अरविंद दिग्विजय नेगी पहले NIA में भी पोस्टेड रहा है. जांच शुरू होने पर आरोपी को हिमाचल प्रदेश मूल कैडर भेजा गया, जहां वह शिमला जिले में बतौर पुलिस अधीक्षक (SP) तैनात था. इस अफसर ने सुरक्षा से जुड़े गोपनीय दस्तावेज लश्कर के ओवर ग्राउंड वर्कर को मुहैया करवाए थे.

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NIA ने एसपी रैंक के IPS अफसर को गिरफ्तार किया. (फाइल)
NIA ने एसपी रैंक के IPS अफसर को गिरफ्तार किया. (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिमला जिले का SP रह चुका आरोपी
  • NIA में पदस्थ रह चुका है आरोपी IPS
  • अब NIA ने ही किया है गिरफ्तार

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक एसपी रैंक के अफसर को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को भारत की गोपनीय जानकारी लीक करने के मामले में गिरफ्तार किया है. हिमाचल प्रदेश कैडर के आईपीएस अफसर अरविंद दिग्विजय नेगी इसके पहले NIA में ही बतौर एसपी तैनात थे. जहां से इस मामले की जांच आरंभ होने के बाद उन्हें वापस उनके कैडर में भेजा गया था.

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एनआईए के एक आला अफसर ने बताया, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सपोर्ट करने वाले ओवरग्राउंड वर्कर्स के खिलाफ एक मुकदमा 6 नवंबर 2021 को दर्ज किया था. इस मामले में आरोप था कि ये ओवर ग्राउंड वर्कर आतंकवादी संगठनों को हर तरह की सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं जिसके चलते आतंकवादी कई बार अपने नापाक इरादों में कामयाब भी हो रहे हैं. इस मामले की जांच के दौरान एनआईए ने आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था. IPS अरविंद दिग्विजय नेगी उस समय एजेंसी में बतौर एसपी तैनात थे.

आरोप है कि इस मामले से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां इन ओवरग्राउंड वर्करों के जरिए आतंकवादी संगठन तक पहुंचीं. जिसके बाद इस मामले की जांच की गई कि आखिर यह जानकारियां आतंकवादी संगठन तक कैसे पहुंच गईं? जांच एजेंसी के अफसर के मुताबिक, इस मामले में शक की सुई आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी की तरफ बढ़ी, तब तक नेगी को एजेंसी से उनके मूल कैडर हिमाचल प्रदेश भेज दिया गया था, जहां नेगी बतौर एसपी शिमला में तैनात थे.

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NIA ने नेगी के ठिकानों पर छापेमारी की और मामले से संबंधित अनेक गोपनीय दस्तावेज उनके ठिकानों से मिले, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. अब तक की जांच के दौरान यह भी पता चला है कि IPS नेगी के माध्यम से ही अनेक सूचनाएं ओवरग्राउंड वर्कर तक और फिर आतंकवादी संगठन तक पहुंची थीं.

 

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