इस हफ्ते की शुरुआत में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अनिल शुक्ला एनआईए में अपने छह साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अपने मूल कैडर दिल्ली पुलिस में वापस लौट आए. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर से जुड़े मामलों समेत कई हाई प्रोफ़ाइल केस सुलझाने का काम किया. एनआईए में रहते हुए उनका आखिरी केस एंटीलिया मामला था.
उनके स्थानांतरण आदेश तब आया, जब वे मुंबई में कार्रवाई कर रहे थे. एनआईए अधिकारी बहुत ही कम मामलों में बोलते हैं. आईजी शुक्ला ने भी सचिन वाज़े की ब्लैक मर्सिडीज बेंज बरामदग होने की पुष्टि कैमरा पर की थी. उस कार से पांच लाख से अधिक की नकदी, नोट गिनने वाली मशीन, पेट्रोल से भरी बोतलें और कुछ नंबर प्लेट्स भी बरामद हुई थीं.
एनआईए में कुछ लोगों ने उनकी मीडिया से बातचीत पर एतराज जताया था. लेकिन हाई प्रोफाइल मामलों में पारदर्शिता अनिल शुक्ला के काम करने के तरीका का अहम हिस्सा रहा है.
अनिल शुक्ला 1996 बैच के आईपीएस अफसर हैं. अपने कार्यकाल के दौरान वे अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम में काम करने के बाद वापस केंद्र शासित प्रदेश (AGMUT) कैडर में वापस आए हैं. उनकी तैनाती दिल्ली पुलिस में संयुक्त पुलिस आयुक्त, कार्यालय के पद पर होगी.
आजतक/इंडिया टुडे की टीम ने एनआईए ऑफिस में उनके आखिरी दिन उनसे बातचीत की. जब उनसे कई तरह के आतंकी मामलों में टॉप 3 मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए कहा गया. तो उन्होंने तुरंत जवाब दिया "मैं कहूंगा कि 2017 में जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग मामला अभी तक सबसे चुनौतीपूर्ण और संतोषजनक है."
शुक्ला ने बताया "जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग के एक मामले को हमने सुलझा लिया है, हमने मजबूत सबूत के साथ ये केस बनाया है. एनआईए ने सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक सहित कई अलगाववादियों के ठिकानों की तलाशी ली थी." उन्होंने यासीन मलिक से पूछताछ भी की थी.
अनिल शुक्ला ने आगे कहा "दो अन्य मामलों में फरवरी 2019 में हुआ पुलवामा आतंकी हमला था, जिसमें 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे. यह एनआईए के लिए एक ब्लाइंड केस था. हमने देखा था कि उरी, नगरोटा और पठानकोट में भी लीड बहुत मुश्किल से मिली थी. लेकिन जांचकर्ताओं की टीम बहुत मेहनती थी."
वो कहते हैं "मैंने अपनी टीम के कई सदस्यों की प्रशंसा की. एनआईए ने अगस्त 2020 में 19 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. जिसमें प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर भी शामिल था. उस पर दक्षिणी कश्मीर में पुलवामा हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का आरोप था. यह एक महत्वपूर्ण केस रहा है."
उनके निर्देशन में टीम ने डीएसपी दविंदर सिंह का केस संभाला था. जिसमें गद्दार डीएसपी को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार किया गया था. यह मामला पिछले साल ही जांच के लिए एनआईए को दिया गया था. एनआईए ने दविंदर सिंह और छह अन्य लोगों के खिलाफ इस मामले में चार्जशीट दायर की थी और डीएसपी सिंह की कथित भूमिका को भी उजागर किया था. जिसमें खुलासा हुआ था कि डीएसपी दविंदर सिंह दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों के संपर्क में था. जिन्होंने उसे सुरक्षा प्रतिष्ठान में गहरी पैठ बनाने का निर्देश दिया था.
एनआईए में उनका कार्यकाल खत्म होने से कुछ महीने पहले उन्हें महाराष्ट्र रवाना किया गया. वहां उन्हें चर्चित एंटीलिया के पास एसयूवी में विस्फोटक लगाए जाने की जांच का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह से भी पूछताछ की. हालांकि उस मामले के कई अहम सुराग अभी तक नहीं मिले हैं, लेकिन शुक्ला ने सचिन वाज़े को गिरफ़्तार कर लिया.
उन्होंने बताया कि सबूत मिलने के बाद उन्होंने डीजी को सूचित किया था कि हमने उसे गिरफ्तार कर लिया. हालांकि चार्जशीट दायर होने से पहले कई महीने बीतने वाले हैं. उनका मानना है कि टीम ने पहले ही मामले को सुलझा लिया है. वह मुस्कुराते हुए कहते हैं कि शायद एक दिन वो सबकुछ बताने के लिए एक किताब लिखेंगे.