दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में भड़की हिंसा को एक साल पूरा हो गया. उस वक्त सीएए के खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शनों का ख़ात्मा दंगों की शक़्ल में हुआ था. उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगाइयों ने जमकर तांडव किया था. दर्जनों घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया. 23 फरवरी से 26 फरवरी 2020 के बीच हुए इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी. 13 जुलाई को हाईकोर्ट में दायर दिल्ली पुलिस के हलफनामे के मुताबिक, मारे गए लोगों में 40 मुसलमान और 13 हिंदू थे.
581 लोग हुए थे घायल
दिल्ली नार्थ ईस्ट दंगो की जांच कोर्ट की दहलीज पर है. 23 फरवरी 2020 को हुए इन दंगों में 581 लोग घायल हुए थे. 24 और 25 फरवरी को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था. इन दंगो के मामले में कुल 755 एफआईआर दर्ज की गई थीं. इनमें सभी शिकायतें शामिल हैं.
1818 लोग किए गए थे गिरफ्तार
पुलिस ने दिल्ली दंगों की जांच के लिए 3 एसआईटी गठित की थी. क्राइम ब्रांच को 60 केस जांच के लिए सौंपे गए थे, जबकि 1 केस स्पेशल सेल ने दर्ज किया था. इन दंगों में जांच के दौरान 1818 गिरफ्तार किए गए थे. पुलिस अफसरों का दावा है कि इन्वेस्टिगेशन के लिए टेक्नोलॉजी की मदद ली गई. दंगाइयों का वीडियो एनेल्टीका, सीसीटीवी फुटेज का FRS एनेलाइजेशन किया गया था.
जांच के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि दंगाइयों और आरोपियों के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से डेटा रिकवर किया गया. दंगा क्षेत्र में उनकी मौजूदगी के लिए जियो लोकेशन ली गई. मौका-ए-वारदात की ड्रॉन मैपिंग कराई गई और डीएनए के साथ-साथ फिंगर प्रिंट्स भी लिए गए. जलाए गए वाहनों की जांच और दंगाइयों के वाहनों की जांच के लिए ई-वाहन डाटाबेस तैयार किया गया.
सीसीटीवी और वीडियो से पकड़े गए 231 आरोपी
फेशियल रिकंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी की मदद से दंगाइयों की पहचान की गई थी. इसके साथ ही फ़ॉरेंसिक टीम, फिजिकल, केमिकल, बॉयोलीजिकल, बैलेस्टिक विशेषज्ञों की मदद ली गई. वीडियो और फोटोग्राफ के ओपन सोर्स के जरिए जांच कर उनके डिटेल्स चार्जशीट में शामिल किए गए. 231 आरोपी सीसीटीवी फुटेज और वीडियो से पहचान होने पर गिरफ्तार हुए. साथ ही कपड़ों के कलर के हिसाब से 2 दर्जन दंगाई पकड़े गए थे.