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संसद भवन की तीन लेयर में सुरक्षा व्यवस्था, इतनी प्रक्रिया से गुजरते हैं विजिटर, फिर कैसे हुई चूक?

संसद भवन में प्रवेश करने से पहले किसी भी विजिटर को कई चरणों से गुजरना होता है. तीन लेयर में संसद की सुरक्षा व्यवस्था की गई है. इसके बावजूद बुधवार को चार लोग संसद परिसर में घुस गए. उनमें से दो ने लोकसभा के अंदर जमकर हंगामा काटा. लोकसभा स्पीकर ने इस मामले में गृह मंत्रालय के स्पेशल सेक्रेटरी को पत्र लिखा है.

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22 साल बाद एक बार फिर लोकतंत्र का मंदिर दहल उठा.
22 साल बाद एक बार फिर लोकतंत्र का मंदिर दहल उठा.

साल 2001 में संसद पर हुए आंतकी हमले के 22 साल बाद एक बार फिर लोकतंत्र का मंदिर दहल उठा. यहां बुधवार को चार लोगों ने मिलकर समूचे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए. इनमें से दो ने तो लोकसभा की कार्रवाही के दौरान संसद में घुसकर हंगामा काटा. पीले रंग का स्प्रे किया. हालांकि, संसद सदस्यों ने उन्हें काबू करके सुरक्षा कर्मियों के हवाले कर दिया, लेकिन फिर भी सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल जरूर खड़े हो रहे हैं. सूत्रों के हवाले से सूचना आ रही है कि ऑल पार्टी फ्लोर लीडर्स की मीटिंग में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इसे बहुत गंभीर मामला बताया है. उन्होंने गृह मंत्रालय के स्पेशल सेक्रेटरी को पत्र भी लिखा है. नई संसद भवन के सिक्योरिटी सिस्टम का नए सिरे से रिव्यू किया जाएगा.

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बताया जा रहा है कि एंट्री गेट पर अब फुल बॉडी स्कैनर लगाने की व्यवस्था की जाएगी. इसके साथ ही नई संसद में अलग-अलग गेट से एंट्री की व्यवस्था की जाएगी. हालांकि, पहले भी सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद ही थी. संसद भवन में तीन लेयर की सुरक्षा होती है. इसमें संसद परिसर की सुरक्षा सीआरपीएफ के पास रहती है. मुख्य भवन की सुरक्षा का जिम्मा जॉइंट सिक्योरिटी सेक्रेटरी के पास होता है, जो पूरे संसद परिसर की सुरक्षा को देखता है. इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में अपने डायरेक्टर सिक्योरिटी सिस्टम होते हैं. विजिटर पास के लिए लोकसभा सचिवालय के फॉर्म पर किसी सांसद का रिकमेंडेशन सिग्नेचर जरूरी होता है. इसके साथ ही विजिटर को पास के लिए आधार कार्ड ले लाना होता है.

विजिटर जब रिसेप्शन पर पहुंचता है, तो वहां मौजूद सुरक्षा गार्ड महिला और पुरुष को अलग-अलग फ्रिस्किंग करके जांच करते हैं. इसके बाद रिसेप्शन पर फोटो आईडी कार्ड बनता है. मोबाइल फोन को रिसेप्शन पर ही जमा कर लिया जाता है. इसके बाद विजिटर फोटो आइडेंटिटी कार्ड के साथ सिक्योरिटी कमांडो के जरिए गैलरी तक पहुंचता है. विजिटर गैलरी में ठहरने के लिए एक समयावधि होती है, जिसके बाद उसे बाहर कर दिया जाता है. संसद के हर सेशन से पहले सारी सुरक्षा एजेंसियां एक साथ मिलकर सिक्योरिटी रिव्यू करती हैं. किसी तरह की जरूरत होने पर जॉइंट सेक्रेटरी सिक्योरिटी रिकमेंडेशन देता है. नई संसद भवन बनने के बाद आधा दर्जन से ज्यादा सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बैठक हो चुकी है.

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नई संसद की सुरक्षा व्यवस्था ऐसी है...

- नए संसद भवन में थर्मल इमेजिंग सिस्टम लगाया गया है. इससे संसद भवन परिसर में किसी भी तरह की घुसपैठ का आसानी से पता लगाया जा सकेगा. 

- संसद भवन परिसर की निगरानी के लिए फेस रिकग्निशन सिस्टम से लैस एडवांस सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं. ये कैमरे 360 डिग्री रोटेट होते हैं.

- संसद भवन के अंदर मौजूद सुरक्षा बलों को हर तरह के आधुनिक हथियार और उपकरण दिए गए हैं. ताकि वो किसी भी स्थिति से निपट सके.

- नए संसद भवन में साइबर सुरक्षा पर विशेष जोर दिया गया है. इसके लिए दो अलग-अलग सिक्योरिटी ऑपरेटिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं. 

- संसद भवन परिसर में किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को रोकने के लिए नए स्मार्ट कार्ड आधारित आईकार्ड की व्यवस्था की गई है. 

यह भी पढ़ें: खुफिया इनपुट के बावजूद सुरक्षा एजेंसियां फेल, 6 लोगों ने मिलकर रची साजिश

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एक बड़ा सवाल, जिसका जवाब जरूरी है...

नए संसद भवन में हुए हंगामे और प्रदर्शन ने सुरक्षा एजेंसियों को सकते में ला दिया है. यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि देश की सबसे सुरक्षित माने जानी वाली इमारत की सुरक्षा व्यवस्था ऐसी है, तो बाकी जगहों का क्या हाल होगा? तीन लेयर में सिक्योरिटी सिस्टम, अत्याधुनिक इंतजाम और स्मार्ट कार्ड आधारित आईडी जैसी व्यवस्था होने के बावजूद चार संदिग्ध लोग संसद भवन परिसर के अंदर कैसे पहुंच गए? इससे भी बड़ी बात ये है कि खुफिया एजेंसियों और दिल्ली पुलिस को पहले ही इनपुट मिल चुका था कि इस तरह की घटना हो सकती है, इसके बावजूद इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया? सुरक्षा एजेंसियों के आलाधिकारियों को इसका जवाब देना चाहिए.

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