सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है. जांच एजेंसी ने पूर्व शिक्षा मंत्री और निलंबित टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी को घोटाले का एक आरोपी बनाया है. हालांकि प्राथमिकी में उनका नाम नहीं था. सीबीआई की चार्जशीट में कुल 16 नामों का जिक्र किया है.
पार्थ चटर्जी ने जमानत याचिका दायर की थी लेकिन सीबीआई की एक विशेष अदालत ने पिछले हफ्ते उनकी याचिका खारिज कर दी. उसे 5 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की सिफारिशों पर सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में ग्रुप-सी और डी स्टाफ के साथ-साथ शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही है. प्रवर्तन निदेशालय घोटाले में मनी ट्रेल पर नजर रख रहा है.
सीबीआई ने इन्हें बनाया है आरोपी
सीबीआई ने चार्जशीट में डॉ. शांति प्रसाद सिन्हा, पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग के तत्कालीन सलाहकार समरजीत आचार्य, तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी प्रो. सौमित्र सरकार, पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक कुमार साहा, तत्कालीन सहायक सचिव, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में तदर्थ समिति के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. कल्याणमय गांगुली, डॉ. पार्थ चट्टोपाध्याय, तत्कालीन स्कूल शिक्षा विभाग के प्रभारी मंत्री दीपांकर घोष, सुब्रत खान, अक्षय मोनी, समरेश मंडल, सौम्य कांति मिड्या, अविजित दलाई, सुकांत मलिक, इदरीश अली मोल्ला, अजीत बार और फोर्ड हुसैन लस्कर को आरोपी बनाया है.
चार्जशीट में कहा गया कि इन आरोपितों ने 2016 में ग्रुप-सी के कर्मचारियों के पदों पर अयोग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति देने के मामले में शामिल थे. वहीं इस समय डॉ. शांति प्रसाद सिन्हा, अशोक कुमार साहा, डॉ. कल्याणमय गांगुली और डॉ. पार्थ चट्टोपाध्याय न्यायिक हिरासत में हैं.
अर्पिता के घर से 50 करोड़ कैश मिलने के बाद हुए थे अरेस्ट
पार्थ चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के कई आवासों से लगभग 50 करोड़ रुपये नकद बरामद करने के बाद ईडी ने जुलाई में पार्थ को गिरफ्तार कर लिया था.
इसके तुरंत बाद, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को वाणिज्य और उद्योग सहित कई बड़े विभागों के प्रभारी मंत्री के रूप में उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया था. पार्थ चटर्जी को तृणमूल कांग्रेस से भी निलंबित कर दिया गया था.
2014 में घोटाले के वक्त शिक्षा मंत्री थे पार्थ
ईडी के पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार करने के कई हफ्तों बाद सितंबर में सीबीआई ने एसएससी घोटाले में पूर्व मंत्री को हिरासत में ले लिया. 2014 जब यह घोटाला हुआ था, उस पार्थ चटर्जी के पास ही शिक्षा विभाग था.
ईडी की पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे पार्थ
ईडी ने कोर्ट में बताया है कि पार्थ चटर्जी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. ईडी जांच में सामने आया है कि पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के पास APA utility के नाम से एक कंपनी थी. उस कंपनी के जरिए उन्होंने दूसरी 201 कंपनियों से जमीन खरीदी थी. कुछ जमीनों की जो खरीदी हुई, उनमें APA utility का नाम लगातार आया.
ईडी के मुताबिक अब उन्हीं सबूतों के दस्तावेज जब पार्थ चटर्जी को दिखाए गए, उन्होंने उन डीलिंग से ही इनकार कर दिया. यहां तक कह दिया कि वो जमीन वाले दस्तावेज उनके नहीं है. अब ईडी के मुताबिक पूछताछ के दौरान पार्थ ने उन्हीं दस्तावेजों पर अपने हस्ताक्षर नहीं किए. इससे पहले भी कोर्ट में ईडी कई बार कह चुकी है कि पार्थ जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
(रिपोर्ट: राजेश साहा)