
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गुरुवार को देशभर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया. 'ऑपरेशन मिडनाइट' के दौरान एनआईए ने सौ से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया. कई जगहों से अहम दस्तावेज बरामद किए गए हैं. इस ऑपरेशन में एनआईए के अलावा अन्य एजेंसियां भी शामिल थीं. छापेमारी की कार्रवाई को बेहद सीक्रेट रखा गया था. गृह मंत्रालय में एक कमांड कंट्रोल रूम बनाकर इस ऑपरेशन की निगरानी की जा रही थी. आइए जानते हैं, इस छापेमारी की पूरी कहानी.
ऑपरेशन मिडनाइट को ऐसे दिया अंजाम
सवाल उठता है कि इस पूरे ऑपरेश की तैयारी कैसे की गई? कैसे इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया गया? असल में इस ऑपरेशन की प्लानिंग काफी पहले और सोच-समझकर तैयार की गई थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राज्य सरकारों की पुलिस की तरफ से एक कोऑर्डिनेटेड ऑपरेशन तैयार किया गया था. बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात एक बजे के आसपास यह ऑपरेशन देश के अलग-अलग राज्यों में शुरू किया गया.
गुरुवार की सुबह करीब 5 बजे तक एनआईए और दूसरी एजेंसियों ने कई राज्यों के अलग-अलग ठिकानों पर रेड की और पीएफआई से जुड़ी गतिविधियों में शामिल लोगों को उठा लिया गया. सूत्र बताते हैं कि बाकायदा इसके लिए कंट्रोल रूम बनाए गए थे. जहां से गृह मंत्रालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो इस पूरे ऑपरेशन को मॉनिटर कर रहा था. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कार्यकर्ता और सदस्य कोई हंगामा न करें, इसलिए 6 कंट्रोल रूम बना करके निगरानी की जा रहा थी.
NIA समेत 5 एजेंसियों ने लिया एक्शन
गुरुवार की छापेमारी में अकेले एनआईए ही एक्शन में नहीं है, बल्कि उनके साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ED), आईबी (IB), आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) और स्पेशल टॉस्क फोर्स (STF) भी शामिल है. इन एजेंसियों के अधिकारी अपने-अपने स्तर पर इस मेगा ऑपरेशन में शामिल हुए हैं.
छापेमारी में बड़ी तादाद में शामिल थी फोर्स
PFI के खिलाफ इस देशव्यापी छापेमारी अभियान में 4 आईजी, 1 एडीजी, 16 एसपी समेत 200 एनआईए के जवान शामिल हैं. जबकि राज्य पुलिस और सीएपीएफ के जवानों की संख्या लगभग 1000 है. इस ऑपरेशन की निगरानी के लिए 6 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए थे. जबकि कमांड कंट्रोल सेंटर गृह मंत्रालय में बनाया गया था.
PFI संदिग्धों के डोजियर
छापेमारी अभियान में शामिल टीमों को 200 से अधिक पीएफआई संदिग्धों के सभी डोजियर टीम को दिए गए हैं. जिसमें 150 से अधिक मोबाइल, 50 से अधिक लैपटॉप, आपत्तिजनक सामग्री, दस्तावेज, विजन दस्तावेज, नामांकन फॉर्म, बैंक विवरण आदि शामिल हैं. संदिग्धों की धरपकड़ के लिए एनआईए और एजेंसियों ने अपने-अपने स्थानों पर स्पॉटर लगाए हैं. छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम देने के बाद सभी बड़े अफसर अपने दफ्तरों में वापस आ गए हैं.
आखिर क्यों की गई छापेमारी?
हर कोई जानना चाहता है कि आखिर एनआईए को पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की जरूरत क्यों आ पड़ी? इसका जवाब हम आपको बताते हैं. यह छापेमारी टेरर फंडिंग, ट्रेनिंग कैम्प और पीएफआई संगठन में शामिल लोगों के खिलाफ की गई. सूत्रों का कहना है कि पीएफआई के जरिए बिहार के फुलवारी शरीफ में गजवा-ए-हिंद स्थापित करने की साजिश की जा रही थी. वहां NIA ने कुछ दिन पहले ही रेड की थी. तेलंगाना के निजामाबाद में भी कराटे ट्रेनिंग के नाम पर पीएफआई शाखा चला रही थी. जहां हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. इसके अलावा कर्नाटक के हिजाब विवाद और प्रवीण नेत्तरू हत्याकांड में भी PFI का कनेक्शन सामने आया था.
दिल्ली दंगों और एंटी-सीएए प्रोटेस्ट में रोल
पिछले साल मार्च 2021 में यूपी एसटीएफ ने भी शाहीन बाग में स्थित PFI के दफ्तर की तलाशी ली थी. इससे पहले एक बार और भी PFI ऑफिस की तलाशी ली जा चुकी है. बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग और विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर दिल्ली और यूपी के दंगों में पीएफआई की भूमिका की जांच कर रहा है.
ऐसे हुई थी PFI की स्थापना
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की स्थापना 22 नवंबर 2006 को हुई थी. यह तीन मुस्लिम संगठनों से मिलकर बना था. जिसमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई शामिल था. PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है और दावा करता है कि देश के 20 राज्यों में उसकी यूनिट है. शुरुआत में PFI का हेडक्वॉर्टर केरल के कोझिकोड में था, जिसे बाद में इसे दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया था.
MP में पकड़े गए सदस्यों की कोर्ट में पेशी
मध्य प्रदेश में गुरुवार को छापेमारी के दौरान पकड़े गए पीएफआई के चार सदस्यों को शुक्रवार के दिन भोपाल की विशेष अदालत में पेश किया गया. उन चारों पर एजेंसी ने विदेशी फंडिंग और टेरर फंडिंग का आरोप लगाया है. गुरुवार को NIA ने छापेमारी अभियान के दौरान PFI के 3 सदस्यों को इंदौर से और 1 सदस्य को उज्जैन से गिरफ्तार किया था.
तमिलनाडु में मिले नेविगेशन डिवाइस
एनआईए सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गुरुवार को तमिलनाडु में एनआईए की छापेमारी के दौरान बरकतउल्लाह को गिरफ्तार किया गया था. उसके ठिकानों से NIA को नेविगेशन डिवाइस, GPS रिसीवर डिवाइस और 2 वायरलेस सेट भी बरामद हुए हैं. NIA इस मामले में विस्तृत जांच कर रही है. अधिकारी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि पीएफआई के सदस्य बरामद किए गए डिवाइस का का इस्तेमाल कहां और कैसे कर रहा था?
केरल में बंद का आह्वान, तोड़फोड़
पीएफआई के खिलाफ एनआईए की कार्रवाई को लेकर केरल में शुक्रवार को बंद का आह्वान किया गया है. जहां कन्नूर, कोट्टायम, कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में बंद का व्यापक असर देखने को मिला. वहां एनआईए की छापेमारी के खिलाफ बंद के दौरान केएसआरटीसी की बस पर अलुवा के पास कंपनीपाडी में प्रदर्शनकारियों ने हमला कर दिया. इसी तरह से तिरुवनंतपुरम में प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को अपना निशाना बनाया.
तमिलनाडु में भी प्रदर्शन
तमिलनाडु के कोयंबटूर में पीएफआई के खिलाफ एनआईए की छापेमारी के बाद गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय के पास पेट्रोल से भरी बोतलें फेंकी और नारेबाजी भी की. काफी देर तक वहां हंगामा चलता रहा.
सबूत हैं तो कार्रवाई जरूरी
दिल्ली में अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि वह नागरिकों, विशेषकर मुस्लिम युवाओं से अनुरोध करते हैं कि पीएफआई के खिलाफ किए जा रहे छापेमारी के दौरान धैर्य रखें क्योंकि यह कार्रवाई देश में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए की जा रही है. अगर किसी संगठन के खिलाफ सबूत हैं तो ऐसी कार्रवाई जरूरी है.
100 से ज्यादा गिरफ्तारी
बताते चलें कि गुरुवार को देश के कई राज्यों में की गई छापेमारी के दौरान एनआईए ने 106 लोगों को हिरासत में लिया था. जिनमें अब तक सबसे ज्यादा 22 लोगों को केरल से गिरफ्तार किया गया. महाराष्ट्र और कर्नाटक से 20-20 लोगों को गिरफ्तार किया गया. तमिलनाडु से 10, असम से 9, उत्तर प्रदेश से 8, आंध्र प्रदेश से 5, मध्य प्रदेश से 4, पुडुचेरी और दिल्ली से 3-3 और राजस्थान से 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.