Section 144 in Bhima Koregaon: पुणे प्रशासन ने भीमा कोरेगांव में धारा 144 लगा दी है. ये पाबंदी एहतियात के तौर पर लगाई है. क्योंकि 4 साल पहले 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव में जमकर बवाल हुआ था. इस बार भी ऐसा बवाल न हो, उसके लिए धारा 144 लागू कर दी गई है. इसके बाद यहां पोस्टर, बैनर या होर्डिंग लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. यहां पर 30 दिसंबर की रात 12 बजे से 2 जनवरी की सुबह 6 बजे तक धारा 144 लागू रहेगी.
दरअसल, 1 जनवरी 1818 को भीमा कोरेगांव में पेशवाओं और अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ था. इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई थी. 1 जनवरी को इसी युद्ध की 204वीं वर्षगांठ है.
दलित समुदाय का कहना है कि 1 जनवरी 1818 को भीमा कोरेगांव में पेशवाओं से लड़ने वाली ब्रिटिश सेना में मुख्य रूप से दलित म्हार समुदाय के सैनिक शामिल थे. इन सैनिकों ने पेशवाओं के 'जातिवाद' से 'आजादी की लड़ाई' छेड़ी थी.
हर साल 1 जनवरी को दलित समुदाय के लोग, खासतौर से म्हार जाति के लोग भीमा कोरेगांव में बने विजय स्तंभ के पास जाते हैं. ये स्तंभ पेशवाओं के खिलाफ बहादुरी से लड़ने वाले सैनिकों की याद में अंग्रेजों ने बनवाया था.
ये भी पढ़ें-- 'देश के खिलाफ युद्ध का था प्लान', भीमा कोरेगांव केस में NIA की ड्राफ्ट चार्जशीट में JNU का भी नाम
कलेक्टर की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, अफवाहें फैलाने वाली और दो समुदायों में नफरत पैदा करने वाली कंटेंट पोस्ट करना प्रतिबंध है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी भ्रामक जानकारी पोस्ट करने पर रोक रहेगी. सार्वजनिक स्थानों पर बैनर, होर्डिंग या फ्लेक्स लगाने पर भी प्रतिबंध है.
1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ पर विजय स्तंभ के पास हिंसा भड़क गई थी. पुलिस के अनुसार, एक दिन पहले एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम में भड़काऊ भाषणबाजी हुई थी, जिससे ये हिंसा भड़की थी. इस मामले में एल्गार परिषद से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है.