
रेप और मर्डर के संगीन मामले में सजायाफ्ता मुजरिम गुरमीत राम रहीम को 6 बार पैरोल मिल चुकी है. अभी भी रेपिस्ट बाबा पैरोल पर जेल से बाहर है. वो अपना म्यूजिक वीडियो लॉन्च कर रहा है. आश्रम में भक्तों को प्रवचन दे रहा है. देश के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार होगा कि किसी सजायाफ्ता मुजरिम को एक सूबे की सरकार बार-बार पैरोल दे रही है. उसके कार्यक्रमों में सत्ताधारी दल और सरकार के लोग शामिल हो रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि किस आधार पर मुजरिम को पैरोल दी गई? किसी कैदी को कितनी बार पैरोल दी जा सकती है? चलिए आपको विस्तार से बताते हैं.
क्या है पैरोल?
पहले बात पैरोल से जुडे नियम कानूनों की. पैरोल सजा पूरी होने से पहले सजायाफ्ता मुजरिम को जेल से मिली कुछ दिनों की रिहाई होती है. जिसके लिए अच्छा व्यवहार होना भी एक शर्त है. इसके लिए कैदी को जेल से बाहर निकलने के लिए जरूरी वजह बतानी पड़ती है और संबंधित राज्य की सरकार उसे पैरोल देने पर आखिरी फैसला करती है.
क्या है फर्लो?
फर्लो जेल में लंबे वक्त से सजा काट रहे सजायाफ्ता कैदियों को दी जानेवाली एक छुट्टी होती है. खास बात ये है कि इसे लेने के लिए किसी वजह की ज़रूरत नहीं होती. यानी इसका वजह से कोई सीधा लेना देना नहीं है. इसे एक कैदी का अधिकार माना जाता है. जेल की रिपोर्ट के आधार पर सरकार इसे मंजूर या नामंजूर करती है.
सरकार के पास सुरक्षित है अधिकार
कानूनी जानकार और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अजय अग्रवाल बताते हैं कि पैरोल और फर्लो राज्य सरकार के विषय हैं. इसके लिए कोई सीमा तय नहीं है. राज्य सरकार जब चाहे, तब वो नियमों के मुताबिक किसी भी सजायाफ्ता कैदी को पैरोल या फर्लो दे सकती है. उसकी अवधि भी सरकार ही करती है.
राम रहीम के लिए बदला था कानून?
हरियाणा सरकार ने पिछले साल अपने पैरोल से जुड़े कानून में भी तब्दीली की है. ऐसे में सवाल ये भी उठाए जाने लगे हैं कि कहीं सरकार ने जानबूझ कर राम रहीम को फायदा पहुंचाने के लिए तो अपने कानून में तब्दीली नहीं की? पैरोल को लेकर 11 अप्रैल 2022 में हरियाणा सरकार ने एक नया कानून बनाया. जिसका नोटिफिकेशन 19 अप्रैल को जारी किया गया. इसके बाद से राम रहीम को जल्दी-जल्दी पैरोल मिलने लगी.
28 अगस्त 2017, रेप के मामले में सजा
अदालत ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दो साध्वियों से रेप के जुर्म में 20 साल की सज़ा सुनाई.
17 जनवरी 2019, हत्या के मामले सजा
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के जुर्म में अदालत ने गुरमीत राम रहीम को उम्र कैद की सज़ा सुनाई.
24 अक्टूबर 2020, पहली बार पैरोल
पहली बार हरियाणा सरकार ने गुरमीत राम रहीम सिंह को एक दिन की पैरोल दी. कारण और आधार बताया गया कि गुरुग्राम के एक अस्पताल में बीमार मां से मिलने के लिए ये 1 दिन की पैरोल दी गई.
21 मई 2021, दूसरी बार पैरोल
हरियाणा सरकार ने फिर से यानी दूसरी बार गुरमीत राम रहीम सिंह को बीमार मां से मिलने के लिए 1 दिन की पैरोल दी.
18 अक्टूबर, 2021, रंजीत सिंह मर्डर केस में सजा
अदालत ने डेरा मैनेजर रंजीत सिंह के कत्ल के एक मामले में गुरमीत राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
7 फरवरी 2022, 21 दिन की पैरौल
हरियाणा सरकार ने इस बार रेपिस्ट बाबा गुरमीत राम रहीम को 21 दिनों की पैरोल दी.
जून 2022, 30 दिन की पैरोल
कातिल गुरमीत राम रहीम को फिर से हरियाणा सरकार ने एक महीने की पैरोल दे दी.
अक्टूबर 2022, 40 दिन की पैरोल
इस बार हरियाणा सरकार ने रेपिस्ट बाबा गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर से 40 दिनों की पैरोल पर रिहा किया.
साल 2022 में गुरमीत राम रहीम को पैरोल पर रिहाई देने की वजह हरियाणा सरकार ने कई बताई. जिसमें कभी डेरे की गोद ली गई बेटियों का सामूहिक विवाह समारोह वजह बना तो कभी खेतों के देखभाल करने की बात को आधार बनाया गया. जबकि हकीकत ये है कि उस दौरान पंजाब विधानसभा चुनाव के साथ-साथ हरियाणा नगर पालिका के चुनाव भी हो रहे थे. जून में ही आदमपुर विधानसभा सीट और हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव था. इसलिए बाबा की पैरोल को लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा भी किया था और इस पर सवाल भी उठे थे.
21 जनवरी 2023, 40 दिन की पैरोल
और अब नए साल में कातिल-रेपिस्ट बाबा गुरमीत राम रहीम को पूर्व डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती में शामिल होने के लिए हरियाणा सरकार ने 40 दिन की पैरोल पर रिहा कर दिया था. इसी के बाद उसने हाल ही में अपना एक नया म्यूजिक वीडियो जारी किया है.
आसान कर दी बाबा की राह
असल में हरियाणा सरकार गुरमीत राम रहीम को हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं मानती, हाई कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगाई है. लेकिन भविष्य में राम रहीम को किसी तरह कोर्ट हार्डकोर क्रिमिनल घोषित भी कर देती है तो उसे कुछ शर्तों के साथ पैरोल मिल जाएगी. जबकि 1988 से लेकर नए कानून के बनने तक यानी 34 सालों के बीच किसी हार्डकोर क्रिमिनल को पैरोल या फर्लो देने के लिए कानून नहीं था. पर 2022 वाले इस नए कानून में कुछ शर्तो के साथ पैरोल मिल सकती है. शायद यही वजह है कि नए 2022 वाले कानून को राम रहीम के लिए बेहद आसान कहा जा रहा है.