यूपी के महराजगंज जिले में मनरेगा घोटाला में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे भ्रष्टाचार के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं. परतावल ब्लॉक में मनरेगा की जांच घुघली तक पहुंच गई है. खास बात यह है कि परतावल ब्लॉक में मनरेगा में फर्जीवाड़े का केस दर्ज कराने वाले खंड विकास अधिकारी के ही डोंगल (डिजिटल सिग्नेचर) से घुघली ब्लॉक के ग्रामसभा अहिरौली में 16 लाख 85 हजार 586 रूपया का भुगतान मिट्टी भराई के काम पर हुआ है.
डोंगल का क्लोन बना फर्जी भुगतान
अब फर्जीवाड़ा में नाम आने के बाद बीडीओ का कहना है कि उनके डोंगल का क्लोन बनाकर फर्जी तरीके से भुगतान कराया गया है. इसकी जानकारी उन्हें है ही नहीं. पहले वन विभाग के डोंगल और अब बीडीओ के डोंगल से मनरेगा में फर्जी भुगतान का मामला सामने आने के बाद इस बात का अंदेशा जताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के इस खेल में कई विभागीय खिलाड़ी भी शामिल हो सकते हैं. क्योंकि मनरेगा में ठेकेदारी पर काम कराने की व्यवस्था है ही नहीं. ऐसे में वह कौन हैं जो विभागीय अधिकारियों की नाक के नीचे से ही उनका ही फर्जी डिजिटल सिग्नेचर से मनरेगा में लाखों रुपये का भुगतान हड़प रहे हैं? जिम्मेदार तंत्र काम क्यों नहीं कर रहे हैं? इन सभी सवालों का जवाब मिलने पर कई अधिकारी भी जांच के कठघरे में खड़े मिलेंगे.
वैसे धांधली केवल मजदूरी भुगतान में ही नहीं हुई है. बताया जा रहा है कि दो साल पहले जिस वर्क आईडी पर काम कराया गया है उसी आईडी को दोबारा खोल भुगतान कराया गया है. धरातल पर मनरेगा का कार्य नहीं दिख रहा है. जबकि भुगतान वित्तीय वर्ष 2020-21 में हुआ है. अभी तक की जांच में जो बातें सामने आई हैं उसमें परतावल और घुघली ब्लॉक के मनरेगा घोटाला का कनेक्शन एक-दूसरे से जुड़ता नजर आ रहा है. दोनों घोटालों को एक में ही मर्ज कर मामले की लीपापोती की कवायद शुरू कर दी गई है.
बीडीओ के गृह ब्लॉक में तैनाती का भी मामला गरमाया
घुघली के बीडीओ प्रवीण शुक्ला के पास परतावल ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी का अतिरिक्त चार्ज है. मनरेगा फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने के बाद एक परिवार रजिस्टर का नकल भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसके मुताबिक यह बताया जा रहा है कि बीडीओ परतावल क्षेत्र के पिपरा खादर गांव के मूल निवासी हैं. वहां के परिवार रजिस्टर में उनका नाम भी दर्ज है. ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि शासनादेश के इतर बीडीओ प्रवीण शुक्ला का उनके गृह ब्लॉक परतावल में खंड विकास अधिकारी के पद पर तैनाती कैसे हो गई. खास बात यह है कि घुघली ब्लॉक के मनरेगा भुगतान फर्जीवाड़ा में जिस सदर ब्लॉक के फर्जी मजदूरों का नाम दिखाया गया है उस सदर ब्लॉक के बीडीओ पद के चार्ज पर पर डीसी मनरेगा अनिल चौधरी हैं. मनरेगा से जुड़े इतने बड़े अधिकारियों के नाक के नीचे भुगतान में फर्जीवाड़ा चलता रहा लेकिन जिम्मेदारों को भनक तक नहीं लगी.
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जेल जाएगा बर्खास्त एपीओ, धन की होगी रिकवरी: सीडीओ
इस मामले में मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह सोगरवाल का कहना है कि विकास खंड घुघली में वर्ष 2018-19 में एक वर्क आईडी थी. जिसमें चार-पांच काम थे. कुछ में काम हुआ है. कुछ में तय मानक से अधिक का भुगतान किया गया है. ऐसा कोई मामला घुघली में सामने नहीं आया है जिसमें काम नहीं हुआ हो. परतावल में बिना काम कराए ही भुगतान हो गया था. जिसमें घुघली के एपीओ की सेवा समाप्त की जा चुकी है. जांच में यह बात सामने आई है कि परतावल में जिन मजदूरों को भुगतान किया गया था. उन्हीं मजदूरों को घुघली में भी इस्तेमाल किया गया है. यह भी वर्ष 2018-19 में हुआ है.पूरे प्रकरण की जांच चल रही है. दो-तीन दिन में रिपोर्ट मिल जाएगी. उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी. फर्जीवाड़ा में शामिल एपीओ को नियम के मुताबिक जेल भेजने की कार्रवाई भी सुनिश्चित कराई जाएगी.
परतावल व घुघली ब्लॉक में मनरेगा फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद डीएम डॉ. उज्ज्वल कुमार ने स्थलीय निरीक्षण शुरू कर दिया है. शुक्रवार को डीएम मिठौरा क्षेत्र के सेखुई गांव में पहुंचे. यहां मनरेगा से चकरोड पर 5 लाख 742 रूपये की लागत से मिट्टी कार्य 29 मई 2021 से 11 जून 2021 तक कराया जाना था. इसके लिए कुल 234 मानव दिवस सृजित करना था. लेकिन डीएम के निरीक्षण में बिना कार्य का ही मस्टरोल तिथिवार भरा मिला. दो सौ मिट्टी कार्य में 20 मानव दिवस के बजाय 18 मजदूर ही काम पर मिले. दूसरे साइड में भी पूर्व की मिट्टी कार्य को ही घास व गड्ढे भरे जा रहे थे. इस पर डीएम ने नाराजगी जताते हुए टी.ए. रविशंकर, ग्राम विकास अधिकारी अनुज कुमार व रोजगार सेवक रामप्रसाद के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश डीसी मनरेगा अनिल कुमार को दिया. ग्राम सभा में छह मिट्टी कार्य की जांच कर शाम तक रिपोर्ट भी मांगा.