Shraddha Walker Murder Case: श्रद्धा हत्याकांड की जांच में अभी तक कई अहम मोड़ आ चुके हैं. पुलिस मामले की तह तक पहुंचने के लिए लगातार सबूत जुटा रही है. आऱोपी आफताब से सच उगलवाने के लिए पुलिस उसका नार्को टेस्ट भी करवाएगी. हालांकि इससे पहले आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाएगा. इसके लिए पुलिस को कोर्ट से परमिशन भी मिल गई है.
दरअसल, आरोपी आफताब पुलिस को गोलमाल जवाब दे रहा है. ऐसे में दिल्ली पुलिस सबूतों के लिए आफताब के नार्को टेस्ट पर निर्भर है. नार्को टेस्ट की पूरी प्रक्रिया और इससे मिलने वाले जवाब के कानूनी पहलुओं को समझने के लिए आजतक ने एक्सपर्ट के साथ बातचीत की. साथ ही ये समझने की कोशिश की कि आखिर यह टेस्ट होता कैसे है?
ये होती है नार्को टेस्ट की प्रॉसेस
नोएडा के विनायक अस्पताल के एमडी और जनरल फिजिशियन डॉक्टर सौरभ चौधरी ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नार्को टेस्ट से पहले काफी तैयारियां करनी होती हैं. जिसके तहत आरोपी की शारीरिक और मानसिक स्थिति का जायजा लिया जाता है और फिर उसे एनेस्थीसिया देकर नार्को टेस्ट के लिए तैयार किया जाता है.
किस मानसिक अवस्था में होता है आरोपी?
एनेस्थीसिया देने वाले विशेषज्ञ डॉ. अनुज त्रिपाठी कहते हैं कि एनेस्थीसिया देने के बाद ट्रुथ सिरम जैसी कई केमिकल कंपोजिशन वाली दवाइयां होती हैं, जो नार्को टेस्ट करने वाले को दी जाती है. इससे वह ऐसी मानसिक अवस्था में आ जाता है, जिससे कह सकते हैं कि ना तो वह होश में होता है ना ही बेहोश होता है. लेकिन जिसका नार्को टेस्ट होता है, वह बातें सुन सकता है और कम शब्दों में जवाब देने की स्थिति में होता है.
छोटे सवाल क्यों पूछे जाते हैं?
मनोचिकित्सक डॉक्टर पुनीत जैन बताते हैं कि जब एनेस्थीसिया दिया जाता है, तो उसके बाद आरोपी के सारे वाइटल और पैरामीटर डिजिटल स्क्रीन पर लगातार मॉनिटर किए जाते हैं, ताकि उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था पर नजर रखी जा सके. इसके बाद आरोपी का सवालों से आमना-सामना होता है. डॉक्टर जैन कहते हैं कि आरोपी एक ऐसी मानसिक अवस्था में होता है, जब उससे लंबे सवालों की जगह छोटे सवाल पूछे जाते हैं. जिसका जवाब हां या ना में दिया जा सके.
सही जवाब पता करने की कोशिश
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेद प्रकाश ने बताया कि नार्को टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर हर वह सवाल पूछने की कोशिश करता है, जिसके जवाब जांच की कड़ी को आगे ले जा सके. उन्होंने बताया कि आरोपी ने अगर गलत बयान दिया होगा तो ऐसे में वह सवाल उससे टेस्ट के दौरान पूछे जाते हैं, ताकि सही जवाब निकाला जा सके.
कई हथकंडे अपनाते हैं आरोपी
फॉरेंसिक विशेषज्ञ आदर्श मिश्रा ने बताया कि कई बार आरोपी नार्को टेस्ट को भी छलने की कोशिश करते हैं और जांच को गुमराह करने के लिए कई हथकंडे अपनाते हैं. ऐसे में फॉरेंसिक की टीम टाइटंस पर नजर रखने के साथ-साथ उसके हाव-भाव और सवालों में बदलाव करके सही जवाब लेने की कोशिश करती है.
आरोपी की हालत बिगड़े तो कैसे करते हैं कंट्रोल
विशेषज्ञ कहते हैं कि नार्को टस्ट की प्रक्रिया और उसमें लगने वाला समय सवालों की संख्या पर निर्भर करता है. साथ ही टेस्ट के दौरान आरोपी की शारीरिक दशा बिगड़ने की स्थिति में हर संभव तैयारी पहले ही कर ली जाती है. फिर चाहे ऑक्सीजन की व्यवस्था हो या फिर एडवांस हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम. सभी को तैयार रखा जाता है ताकि हर स्थिति में आरोपी को जिंदा रखा जा सके. विशेषज्ञों ने बताया कि अगर आरोपी नार्को टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान जवाब नहीं दे पाता और उसका स्वास्थ्य खराब होने लगता है, तो प्रक्रिया को तुरंत रोक दिया जाता है.
टेस्ट के बाद कई राज खुलने की उम्मीद
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी बताते हैं कि अदालत के सामने नार्को टेस्ट की रिपोर्ट पूरी तरह से अगर पूर्व नहीं भी है तो कम से कम इस टेस्ट के बाद पुलिस को जांच में एक सही दिशा मिल जाती है और जो बातें अपराधी ने पुलिस के सामने नहीं कबूली हैं, उनसे जुड़े हुए सबूतों का पता लगाने में पुलिस को आसानी होती है. अब जब भी विशेषज्ञों की टीम आफताब से पूछताछ करेगी और इस टेस्ट में वह राज खोलेगा, तभी उम्मीद की जा सकती है कि श्रद्धा हत्याकांड में बहुत सारे सबूत सामने आएंगे और हत्या की गुत्थी सुलझेगी.
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