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दो दोस्त, दो गैंग, दो साल में दोनों का खात्मा, गैंगस्टर गोगी और टिल्लू ताजपुरिया की कहानी

तिहाड़ जेल में मंगलवार सुबह गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी गई. बताया गया कि गोगी की हत्या का बदला लेने के लिए उसकी हत्या की गई. गोगी और टिल्लू किसी समय में बहुत अच्छे दोस्त थे लेकिन बाद में वह ऐसे जुश्मन बन गए कि एक-दूसरे की जान लेने पर तुल गए थे. 2021 में टिल्लू ने कथित तौर पर गोगी की भरी कोर्ट में हत्या करवा दी थी. दो साल बाद अब टिल्लू की जान ले ली गई.

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डीयू के श्रद्धानंद कॉलेज में दोस्त थे गोगी और टिल्लू (फाइल फोटो)
डीयू के श्रद्धानंद कॉलेज में दोस्त थे गोगी और टिल्लू (फाइल फोटो)

तिहाड़ जेल में मंगलवार सुबह बड़ी वारदात हो गई. यहां गैंगवार में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की लोहे की रॉड और सूए से गोदकर हत्या कर दी गई. गोगी गैंग के ही चार बदमाशों ने इस अंजाम दिया. गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या का बदला लेने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया गया. रोहिणी कोर्ट में हुई शूटआउट में गोगी की 8 गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्या में टिल्लू ताजपुरिया का नाम सामने आया था. आइए जानते हैं कि कैसे कॉलेज के दो जिगरी दोस्त एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए? और कैसे दो साल के भीतर ही दोनों की हत्या हो गई.

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जितेंद्र गोगी और टिल्लू ताजपुरिया की दोस्ती दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रद्धानंद कॉलेज में हुई थी. दोनों में इतनी गहरी दोस्ती थी कि वह हर समय एक-दूसरे के साथ रहते थे. लोग उन्हें जय-वीरू कहा करते थे. दोनों की दोस्ती में खटास उस समय आई, जब कॉलेज में छात्र संघ चुनाव हुए. दोनों ही छात्रसंघ की राजनीति में अपना दबदबा कायम करना चाहते थे. दोनों छात्र संघ चुनाव में उपाध्यक्ष पद के लिए खड़े हुए अलग-अलग उम्मीदवारों का समर्थन करने लगे. यहां से पैदा हुआ यह मतभेद धीरे-धीरे बढ़ गई.

छात्र संघ के चुनाव में न तो टिल्लू ताजपुरिया चुनाव लड़ा था और नहीं जितेंद्र गोगी लेकिन वह अलग-अलग प्रत्याशियों को सपोर्ट कर रहे थे. यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि इतने करीबी दोस्त होने के बावजूद दोनों के बीच आखिर किस बात पर झगड़ा इतना बढ़ गया कि दोनों अलग-अलग उम्मीदवारों को न सिर्फ मदद करने लगे बल्कि एक-दूसरे के दुश्मन भी बन बैठे.

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गोगी के खिलाफ 2008 में दर्ज हुआ पहला केस

सूत्रों का कहना है कि इसी दौरान जितेंद्र गोगी और टिल्लू ताजपुरिया दोनों अपराधियों के संपर्क में आए. जितेंद्र गोगी के खिलाफ पहला मामला 2008 में दर्ज हुआ था. यह मामला अलीपुर इलाके में कॉलेज के उसके और दूसरे छात्रों के बीच झगड़े का था. एफआईआर में हत्या के प्रयास की भी धारा दर्ज थी. इसके बाद जीतेंद्र गोगी ने दिल्ली के कुछ गैंगस्टर से हाथ मिला लिया. वहीं टिल्लू ताजपुरिया ने नीरज बवाना, नवीन वाली चीनू, सुनील राठी जैसे गैंगस्टस के साथ अपने संबंध बना लिए और उनके साथ काम करना शुरू कर दिया.

2015 में दोनों के बीच शुरू हुआ था खूनी गैंगवार

दोनों के बीच खूनी गैंगवार की शुरुआत अब से 8 साल पहले 21 जनवरी 2015 में शुरू हुई. 21 जनवरी 2015 को जितेंद्र गोगी गिरोह ने टिल्लू ताजपुरिया के बेहद करीबी राजू चोर की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद दोनों गैंग के बीच खूनी गैंगवार शुरू हो गई. टिल्लू ताजपुरिया गैंग ने सुमित और देवेंद्र प्रधान को मार गिराया तो गोगी गैंग ने अरुण कमांडो और निरंजन मास्टर की हत्या करवा दी.

पुलिस ने टिल्लू और उसके करीबी विकास को 2016 में और रोहतक के गांव में निरंजन की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था. 2018 में बुराड़ी में सरेआम दोनों गैंग के बीच गोलियां चली. इसमें 4 लोग मारे गए थे, जिसमें दो राहगीर भी शामिल थे. इस हमले का आरोप जितेंद्र गोगी पर लगा.

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2021 में रोहिणी कोर्ट में कर दी गई थी गोगी की हत्या

इसके बाद जेल में बंद टिल्लू ने अपने सहयोगी गैंगस्टर्स के साथ मिलकर जितेंद्र को को मारने की साजिश रच दी. फिर 24 सितंबर 2021 रोहिणी कोर्ट पेशी के दौरान जितेंद्र गोगी की हत्या कर दी गई. इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम टिल्लू के करीबी उमंग यादव और विनय ने काले कोट पहनकर अंजाम दिया था. कहा तो यह भी जाता है कि जब गोगी की हत्या की गई थी, उस वक्त जेल में बंद टिल्लू को लगातार अपडेट किया जा रहा था.

टिल्लू पर लोहे की रॉड, सूए से 40 बार हमला

गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया पर सुबह 6:15 बजे गोगी गैंग के दीपक तीतर, योगेश, राजेश और रियाज ने यह हमला किया है. हालांकि टिल्लू की हत्या के पीछे रोहित मोई का हाथ बताया जा रहा है. टिल्लू पर लोहे की रॉड और सूए से 40 से ज्यादा बार वार कर उसकी हत्या कर दी गई. प्रशासन ने बताया कि चारों बदमाश जेल नंबर-9 की फर्स्ट फ्लोर पर बंद थे. हमलावरों ने वारदात को अंजाम देने के लिए पहले लोहे की ग्रिल काटा उसके बाद चादर की मदद से ग्राउंड फ्लोर पर कूदकर हाई सिक्योरिटी जेल में बंद टिल्लू की हत्या कर दी.

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