देश की बागडोर असल मायने में अफसरों के हाथ में होती है. यदि नौकरशाही दुरुस्त हो तो कानून-व्यवस्था चाकचौबंद रहती है. जिस तरह से भ्रष्टाचार का दीमक नौकरशाही को खोखला किए जा रहा है, लोगों का उससे विश्वास उठता जा रहा है. लेकिन कुछ ऐसे भी IAS और IPS अफसर हैं, जो अपनी साख बचाए हुए हैं.
aajtak.in ऐसे ही अफसरों पर एक सीरीज पेश कर रहा है. इस कड़ी में पेश है IPS अफसर राकेश अस्थाना की कहानी, जिन्हें बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी. उन्होंने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की थी. उसके बाद लालू यादव को गिरफ्तार किया गया था.
राकेश अस्थाना का जन्म 1961 में रांची में हुआ था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा झारखंड स्थित नेतरहाट स्कूल से हुई है. इनके पिता एचआर अस्थाना नेतरहाट स्कूल में भौतिकी के शिक्षक थे.इसके बाद रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई की थी. 1978 में आईएससी करने के बाद आगरा स्थित अपने पैतृक घर चले गए.
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज में इतिहास पढ़ाना शुरू किया. 1984 में उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली और आईपीएस अधिकारी बन गए. उनको गुजरात कैडर मिला.
वह धनबाद में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के एसपी रह चुके हैं. रांची में वह डीआईजी के पद पर थे. राकेश अस्थाना का नाम कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार अधिकारियों की सूची में खास तौर से शामिल रहा है. 1994 में उन्होंने सनसनीखेज पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप केस की फील्ड इंवेस्टिगेशन सुपरवाइज की थी.
उन्हें बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच की जिम्मेदारी दी गई. उन्होंने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की थी. 1997 में उनके समय ही लालू पहली बार गिरफ्तार हुए. उस समय उनकी उम्र 35 वर्ष थी. वो तब सीबीआई एसपी के तौर पर तैनात थे.
अस्थाना को मूल रूप से लालू से पूछताछ के लिए ही जाना जाता है. 1997 को उन्होंने चारा घोटाले में लालू से 6 घंटे तक पूछताछ की थी. अस्थाना ने ही धनबाद में डीजीएमएस के महानिदेशक को घूस लेते पकड़ा था. उस समय तक पूरे देश में अपने तरीके का यह पहला मामला था, जब महानिदेशक स्तर के अधिकारी सीबीआई गिरफ्त में आये थे.
अस्थाना ने ही चर्चित गोधरा कांड की भी जांच की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आरके राघवन की अगुआई में गठित हुई एसआईटी ने भी सही माना था. अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 को हुए बम ब्लास्ट की जांच का जिम्मा राकेश को ही दिया गया था. उन्होंने 22 दिनों में ही केस को सुलझा दिया था.
आसाराम बापू और उनके बेटे नारायण सांईं के मामले में भी अस्थाना ने जांच की थी. फरार चल रहे नारायण सांईं को हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर पकड़ा था. वर्तमान समय में अस्थाना को सीबीआई का एडिशनल डायरेक्टर बनाया गया है. इस पद पर इनकी नियुक्ति 4 साल के लिए हुई है.