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हाथरस कांडः क्या PFI से है भीम आर्मी का कनेक्शन, फंडिंग के संकेत!

आपको बता दें कि हाथरस कांड के नाम पर यूपी में उन्माद फैलाने के लिए जातीय संघर्ष कराने का फार्मूला निकाला गया था. लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से वो साजिश टल गई.

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पुलिस इस मामले में विदेशी फंडिंग के तार खंगाल रही है
पुलिस इस मामले में विदेशी फंडिंग के तार खंगाल रही है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हाथरस कांड के बाद रची जा रही थी साजिश
  • सुरक्षा एजेंसियों ने किया साजिश को नाकाम
  • मथुरा पुलिस ने किए 4 संदिग्ध गिरफ्तार

हाथरस कांड के बाद जातीय उन्माद फैलाने की साजिश का खुलासा हुआ है, जिसके पीछे पीएफआई का नाम आया है. इसी दौरान पुलिस ने PFI के मुखपत्र के संपादक को गिरफ्तार किया है, जो केरल में है. वह शाहीन बाग के पीएफआई कार्यालय का सचिव भी था. पुलिस को इस मामले में भीम आर्मी के पीएफआई के साथ संलिप्त होने के संकेत भी मिले हैं.

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पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए पत्रकार के एक बैंक एकाउंट से भारी बैंक ट्रांजेक्शन हुआ है. उसके बाकी बैंक एकाउंट्स की तलाश भी की जा रही है. अब पुलिस उसे रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है, ताकि उससे पूछताछ की जा सके.

पुलिस की मानें तो एक राजनीतिक दल से जुड़े पश्चिमी यूपी के एक बदनाम खनन माफिया ने भी इस मामले में फंडिग की है. वो खनन माफिया योगी सरकार आने के बाद काफी परेशान है. उसका नाम चीनी मिल घोटाले में भी शामिल है.

आपको बता दें कि हाथरस कांड के नाम पर यूपी में उन्माद फैलाने के लिए जातीय संघर्ष कराने का फार्मूला निकाला गया था. लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से वो साजिश टल गई. 

हाथरस कांड के बाद हाथरस को जलाने की एक बड़ी साज़िश रची गई थी. विदेशी पैसे से हाथरस की बोली लग चुकी थी. सरकारी सूत्रों से ये जानकारी दी कि पीएफआई को इस मामले में 50 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई है और ये सब मॉरीशस के रास्ते उन तक पहुंचा है और यही नहीं हाथरस के बहाने 100 करोड़ की फंडिंग की जा चुकी है. 

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यूपी सरकार को पहले दिन से ही संदेह था. हाथरस का माहौल बिगाड़ा जा रहा है. पीएफआई पर सवाल इसलिए भी हैं, क्योंकि बार बार हिंसा के मामलों में इसी संगठन का नाम आता है. इस संगठन को बैन करने की मांग भी उठती रही है. 

 

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