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चंदौली ही नहीं इन केसों में भी योगी सरकार की UP पुलिस ने कराई थी किरकिरी!

उत्तर प्रदेश के चंदौली में पुलिस की दबिश के दौरान एक लड़की की संदिग्ध मौत हो गई. इस मामले में योगी सरकार की खूब फजीहत हो रही है. यूपी पुलिस की वजह से प्रदेश सरकार की किरकिरी का यह पहला मामला नहीं है. आइए जानते हैं किन-किन वारदातों में पुलिस की किरकिरी हुई है-

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थाने का मुआयना करते सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
थाने का मुआयना करते सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चंदौली में पुलिस दबिश के दौरान लड़की की मौत
  • गोरखपुर में पुलिसवालों ने कारोबारी को मार डाला था

उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर सवालों के घेरे में है. चंदौली में पुलिस की दबिश के दौरान एक लड़की की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि लड़की के साथ पुलिसवालों ने मारपीट की और उसे मार दिया. हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मारपीट की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन आत्महत्या की भी पुष्टि नहीं हुई. यानी गुत्थी उलझी है.

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दरअसल सैयदराजा थाना क्षेत्र के मनराजपुर गांव के रहने वाले कन्हैया यादव नाम के एक गैंगस्टर और जिलाबदर अपराधी के घर पुलिस रविवार की शाम दबिश देने गई थी. कन्हैया यादव पर पहले से आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और गुंडा एक्ट की कार्रवाई करते हुए उसे पहले जिला बदर किया गया था. साथ ही साथ उसके ऊपर गैंगस्टर की कार्रवाई भी की गई थी.

हिस्ट्रीशीटर के घर पर दबिश, बेटी की मौत

कोर्ट द्वारा कन्हैया यादव के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी हुआ था और पुलिस उसकी तलाश में रविवार की शाम उसके घर पर दबिश देने गई थी. उधर कन्हैया यादव और उनके परिजनों का आरोप है कि उस वक्त घर पर निशा और गुंजा नाम की दो बहनें ही मौजूद थीं. पुलिस ने दबिश देने के दौरान पूछताछ के नाम पर दो बहनों के साथ मारपीट की. 

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इससे बचने के लिए बड़ी बहन निशा पहली मंजिल पर चली गई. उसके पीछे महिला और पुलिस कॉन्स्टेबल भी गए और उसके साथ कथित मारपीट की. परिजनों का आरोप है कि इसी दौरान निशा की मौत हो गई और पुलिसकर्मियों ने उसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की. इसके बाद पुलिसकर्मी वहां से फरार हो गए.

यह पहला मौका नहीं है जब उत्तर प्रदेश पुलिस की वर्दी पर सवाल उठे हैं. योगी सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल के दौरान ऐसी कई वारदातें हुई हैं, जब पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हुए हैं. हाल में ही गोरखपुर में एक व्यापारी की पुलिसवालों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. आइए जानते हैं किन-किन वारदातों में पुलिस की किरकिरी हुई है-

गोरखपुरः मनीष गुप्ता हत्याकांड

पिछले साल सितंबर में गोरखपुर में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. हत्या का आरोप 6 पुलिसवालों पर है. पहले तो पुलिस मामले को रफा-दफा कर देना चाहती थी, लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ लिया तो इस केस में एफआईआर दर्ज कर ली गई. मृतक की पत्नी ने खुद पुलिसवालों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 30 सितंबर 2021 को मनीष गुप्ता के परिवार से मुलाकात की थी. योगी ने मनीष की पत्नी मीनाक्षी को इंसाफ दिलाने का पूरा भरोसा दिया था और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. सीएम ने मनीष की पत्नी को सरकारी नौकरी के साथ मुआवजा भी दिया था. फिलहाल यह केस ट्रायल में चल रहा है.

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कानपुर: संजीत यादव किडनैपिंग-मर्डर केस

कानपुर में संजीत यादव का 22 जून, 2020 को अपहरण किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी. उसके शव को पांडु नदी में फेंक दिया गया था. परिवार के अनुसार, अपहरणकर्ताओं ने संजीत की रिहाई के लिए फिरौती की मांग की थी और स्थानीय पुलिस की सलाह पर, परिवार ने पैसे दिए, लेकिन न तो उन्हें संजीत मिला और न ही पैसे मिले.

इस केस में पुलिस की भूमिका काफी सवालों के घेरे में थी. इस वजह से योगी सरकार ने सख्त एक्शन लेते हुए ढिलाई बरतने के आरोप में एक आईपीएस अधिकारी और 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था. 

हाथरस कांड

साल 2020 में हाथरस की 19 वर्षीय युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म, प्रताड़ना और हत्या का मामला सामने आया था. इस मामले में योगी सरकार और यूपी पुलिस बुरी तरह से घिर गई थी. पीड़िता की मौत के बाद पुलिस ने जबरन उसका शव जला दिया था. इस आरोप के बाद यूपी समेत पूरे देश में इस केस को लेकर आक्रोश बढ़ गया था. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कॉलिंग के जरिए पीड़ित परिवार से बात कर हरसंभव मदद का भरोसा दिया था. 

लखनऊः विवेक तिवारी हत्याकांड

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लखनऊ के गोमतीनगर में 4 साल पहले एपल कंपनी में काम करने वाले विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस कत्ल को किसी अपराधी ने नहीं, बल्कि एक पुलिसवाले ने वर्दी पहनकर अंजाम दिया था. इस मामले को लेकर भी यूपी की सियासत में भूचाल आ गया था. ब्राह्मण समाज भी इस घटना को लेकर नाराज था. 

पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा चरम पर था. हालांकि गोरखपुर की तरह पुलिस आरोपी सिपाही को बचाने की कोशिश में लगी रही थी. लेकिन जनता का गुस्सा और सरकार के प्रति बढ़ती नाराजगी को भांपकर आरोपी पुलिसावालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.

 

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