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उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के पुलिस मेस में खाने की गुणवत्ता को लेकर एक कॉन्स्टेबल मनोज कुमार का वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें वो खाने की शिकायत करने पर उसे बर्खास्त किए जाने की बात भी कह रहा है. अलीगढ़ निवासी मनोज इस वक्त फिरोजाबाद कोर्ट में ड्यूटी पर तैनात है. उसके वायरल वीडियो और मीडिया से बातचीत ने नया विवाद खड़ा कर दिया है. अब सवाल उठ रहा है कि क्या वो बर्खास्त हो जाएगा? इस बारे में aajtak.in ने दो पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बात की. आइए जानते हैं कि उन्होंने इस मामले को लेकर क्या कहा?
पीयूष श्रीवास्तव, पूर्व आईजी
उत्तर प्रदेश के पूर्व वरिष्ठ आईपीएस और पूर्व आईजी पीयूष श्रीवास्तव ने aajtak.in को बताया कि पुलिस नियमावली में एक लाइन साफ-साफ लिखी है कि यदि कोई भी कार्य जो पुलिस की छवि को धूमिल करता है, तो उसके संबंध में सख्त कार्रवाई की जाएगी. अगर आप यूनिफॉर्म सर्विस में हैं तो आपको अपने डीएसपी, एसपी से जाकर संबंधित की शिकायत करनी चाहिए. इसके बाद डीआईजी और आईजी बैठे हैं. वहां जाकर शिकायत की जा सकती है. लेकिन अगर आप इस तरह से कर रहे हैं, तो यह मिसकंडक्ट बनता है. यह अनुशासनात्मक कार्रवाई का मामला बन जाता है.
पुलिस के आंतरिक नियम कहते हैं कि कोई भी आदमी ऐसे मामले को मीडिया के बीच जाकर डिस्कस नहीं कर सकता है. बतौर अधिकारी हम केवल किसी केस से जुड़ा बयान दे सकते हैं. लेकिन सरकार की किसी नीति या नियम की आलोचना करना मिसकंडक्ट की श्रेणी में आता है. आप ऐसा नहीं कर सकते हैं.
पूर्व आईपीसी पीयूष श्रीवास्तव कहते हैं कि हो सकता है उस सिपाही की शिकायत सही हो, लेकिन जिस तरह से उसने अपनी शिकायत को सामने रखा है, उसका तरीका सही नहीं है. यह विभाग की छवि को धूमिल करता है और यह मिसकंडक्ट की श्रेणी में आएगा और इसकी वजह से उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. ऐसे कोई भी अगर अपने आरआई से नाराज होगा, तो वो कहेगा कि खाना खराब है. ऐसी बातों को विभाग में कोई बढ़ावा नहीं देता है. आपका कोई एक्शन जो पुलिस की छवि को धूमिल करता है, तो वह मिसकंडक्ट माना जाएगा.
बर्खास्तगी के बारे में पूर्व आईजी पीयूष बताते हैं कि यह फैसला तो विभाग में गठित अनुशासन समिति ही कर सकती है. मान लीजिए कि संबंधित सिपाही या कर्मचारी की चरित्र पंजिका में अनुशासनहीनता के ऐसे ही कम से कम 5 मामले और निकल आते हैं, तो ऐसा आदमी विभाग में कार्य करने लायक नहीं रहता. उसे विभाग में रखना उचित नहीं है, तो उसके खिलाफ बर्खास्तगी की अनुशंसा की जाती है.
महेश कुमार मिश्रा, पूर्व डीआईजी
आगरा रेंज के पूर्व डीआईजी महेश कुमार मिश्रा ने इस बारे में aajtak.in से बात करते हुए कहा कि ऐसा करने वाले कॉन्सटेबल या सिपाही को सीधे बर्खास्त तो नहीं किया जा सकता लेकिन उसके खिलाफ विभागीय या अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. यूपी के कई जिलों में एसपी रह चुके महेश कुमार मिश्रा बताते हैं कि विभाग में एक चैनल बना हुआ है, जिसके तहत अगर आपको निवास या खाने से संबंधित किसी तरह की कोई शिकायत है तो आप अपने वरिष्ठ अधिकारी के पास जा सकते हैं और उन्हें शिकायत कर सकते हैं.
आप उन्हें बता सकते हैं कि जो खाना या सुविधा आपको मिल रहा है, उससे आप संतुष्ट नहीं हैं. आप उनके समक्ष अपनी बात रख सकते हैं. जहां तक खाने की बात है, तो यह एक महत्वपूर्ण विषय है. पुलिस लाइन के मेस में बनने वाले खाने को लेकर एसपी, एएसपी, सीओ लाइन या आरआई यह सुनिश्चित करते हैं कि मेस में बनने वाले खाने की गुणवत्ता अच्छी हो. वो खाना पोष्टिक और स्वास्थवर्धक हो.
पूर्व डीआईजी मिश्रा कहते हैं कि जिस सिपाही के बारे में बात हो रही है, उसे चाहिए था कि वो अपने एसपी, एएसपी या सीओ के पास जाता. उनसे मिलकर शिकायत दर्ज कराता. लेकिन आज कल ये बड़ा ट्रेंड चल गया है कि फौरन कुछ भी सोशल मीडिया में वायरल कर देना.
हालांकि ऐसे मामले में वरिष्ठ अधिकारियों की भी यह देखने की जिम्मेदारी है कि मेस में कैसा खाना बन रहा है. यदि खाना ठीक बन रहा है, तो यह सही नहीं है. अगर खाना ठीक नहीं बन रहा है तो संबंधित अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है. अगर पहले से शिकायत की गई है तो वरिष्ठ अधिकारी की जवाबदेही बनती है. कई बार पुलिस लाइन में भी लापरवाही के मामले सामने आते हैं.
जांच की बात
बताते चलें कि कॉन्स्टेबल मनोज का वीडियो वायरल हो जाने के बाद फिरोजाबाद पुलिस ने सीओ सिटी को फूड क्वॉलिटी की जांच करने को कहा है. साथ ही फिरोजाबाद पुलिस ने ट्वीट कर कहा कि शिकायकर्ता मनोज कुमार को अनुशासनहीनता, गैरहाजिरी और लापरवाही को लेकर पिछले कुछ वर्षों में कई बार दंडित किया जा चुका है.