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वाराणसी में सिपाही ने बूट से दबाया था महिला का हाथ? पीड़िता ने बताया सच

पीड़ित महिला ने कहा है कि आखिर इतना ज्यादा सामान और बच्चे के साथ वह कहां जा पाती? पुलिस की इस हरकत का काफी बुरा लगा. पीड़ित महिला ने सिपाही को लाइन हाजिर किए जाने को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उसके खिलाफ की गई कार्रवाई ठीक है, लेकिन उस पुलिसकर्मी की भी मजबूरी है.

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पीड़ित महिला ने सुनाई आपबीती
पीड़ित महिला ने सुनाई आपबीती
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तस्वीर वायरल होने के बाद सिपाही लाइन हाजिर
  • पीड़िता बोली- बस सामान हटाया, मारपीट नहीं की
  • सिपाही की भी मजबूरी, किया आदेश का पालन

देशभर में जब महाशिवरात्रि मनाई जा रही थी, तब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी की एक तस्वीर सुर्खियों में आ गई. पुलिस की बर्बरता दिखाती इस तस्वीर में सड़क किनारे पूजा-पाठ और रुद्राक्ष की माला की दुकान लगाकर रोजी-रोटी कमाने वाली एक महिला की दुकान पर एक पुलिस का जवान पैर चलाता नजर आ रहा है. तस्वीर के साथ दावे यह भी हुए कि सिपाही ने बूट से महिला का हाथ कुचल दिया. तस्वीर वायरल होने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने सिपाही सुधीर कुमार को लाइन हाजिर कर मामले की विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं.

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सिपाही की वायरल हो रही जिस तस्वीर पर बवाल हो रहा है, आखिर उस समय हुआ क्या था? आजतक से बात करते हुए तस्वीर में नजर आ रही महिला ने यह बताया. महाराष्ट्र के जलगांव की रहने वाली रंगिता अनिल भोसले ने बताया कि वो हमेशा की तरह दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के गोदौलिया और गिरजाघर इलाके के बीच सड़क किनारे पूजा-पाठ और धार्मिक सामग्री से जुड़ी दुकान लगाकर बैठी थीं. रंगिता बताती हैं कि महाशिवरात्रि पर सड़क किनारे दुकान लगाती हैं, लेकिन इस बार उन्हें दुकान नहीं लगाने दिया गया और भगा दिया गया.

तस्वीर वायरल होने के बाद सिपाही लाइन हाजिर
तस्वीर वायरल होने के बाद सिपाही लाइन हाजिर

रंगीता ने बताया कि उन्होंने पुलिस वाले को कहा भी था कि दो-तीन दिन दुकान लगाकर वापस चली जाऊंगी. इस पर पुलिस वाले ने कहा था कि अगर दुकान नहीं हटाई तो सामान उठा ले जाएंगे और महिला पुलिस बुलाकर पिटवाएंगे. उन्होंने बताया कि पुलिस वाले ने अपने पैरों से उसका सामान हटाया था और भद्दी गाली भी दी थी. पीड़ित महिला ने बताया कि पैरों से उसका सामान हटाते वक्त पुलिस वाले ने शंख भी फोड़ दिया था. रंगीता ने साथ ही यह भी कहा कि उसके साथ मारपीट नहीं की गई थी. बस उसका सामान हटाया गया था.

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रंगीता ने कहा कि जब दुकान नहीं लगाने दिया गया तो दुकान समेट करके वह अपनी छोटी बच्ची और सारा सामान समेटकर घाट पर चली गई. पुलिस वाले रोज आकर दुकान हटाने के लिए कहते हैं. रोज भगाया जाता है. कल महाशिवरात्रि के कारण भीड़ ज्यादा थी, गाड़ियां भी बंद थी. जब पुलिस वाले ने हटने की बात की तो मैंने कहा कि दुकान पीछे करके हम अपनी रोजी रोटी कमा लेंगे और बाद में खुद दुकान हटा लेंगे. फिर भी पुलिसवाला माना नहीं और लात से सामान हटाकर फेंकने लगा. पुलिस की बात पहले ना सुनने के सवाल का जवाब देते हुए पीड़ित महिला ने बताया कि वह तब अकेली थी और बच्चा भी साथ में था.

पीड़ित महिला ने कहा कि आखिर इतना ज्यादा सामान, इसके अलावा बच्चा इन्हें उठाकर वह कहां जा पाती? पुलिस की इस हरकत का काफी बुरा लगा. पीड़ित महिला ने सिपाही को लाइन हाजिर किए जाने को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उसके खिलाफ की गई कार्रवाई ठीक है, लेकिन उस पुलिसकर्मी की भी मजबूरी है. पुलिसकर्मी ने अपने अधिकारियों से मिले आदेश का पालन किया है. वहीं, घटना के दौरान मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो शिवरात्रि के कारण भीड़ काफी अधिक थी, इसलिए पुलिसकर्मी ने महिला को हटाया. लोगों ने साथ ही यह भी कहा कि उसका तरीका गलत था.

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