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जानिए, क्या होता है पंचनामा? कब इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करती है पुलिस

जब पुलिस आकस्मिक मौत या संदिग्ध मौत के मामले में घटनास्थल पर जाकर शव कब्जे में लेती है, तो उससे पहले पंचनामा की कार्रवाई की जाती है. जिसे पंचायत नामा भी कहते हैं.

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पुलिस शव को कब्जे में लेने से पहले पंचनामा करती है (फाइल फोटो)
पुलिस शव को कब्जे में लेने से पहले पंचनामा करती है (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आकस्मिक या संदिग्ध मौत के मामलों में होता है पंचनामा
  • कम से कम एसआई स्तर का अधिकारी करता है कार्रवाई
  • कस्टोडियल डेथ के मामले में मजिस्ट्रेट करते हैं पंचनामा

देश में जब कहीं भी कोई अपराध होता है, तो पुलिस को मौके पर बुलाया जाता है. ऐसे ही जब कहीं भी किसी जगह पर किसी शख्स की आकस्मिक मौत या संदिग्ध मौत हो जाती है, तब पुलिस वहां घटनास्थल पर जाकर शव कब्जे में लेती है और पंचनामे की कार्रवाई की जाती है. जिसे पंचायत नामा भी कहते हैं. आइए जानते हैं कि पुलिस प्रक्रिया में पंचनामा क्या होता है.   

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क्या होता है पंचनामा
जब किसी स्थान पर किसी पुरुष या महिला की मौत किसी घटना से हो जाती है, या उसकी आकस्मिक मौत हो जाती है या फिर उसकी मौत संदिग्ध हो, तो ऐसे हालात में मृतक के परिजनों या किसी भी शख्स की सूचना पर पुलिस पांच व्यक्तियों को पंचांग के रूप में नियुक्त करते हुए पंचनामा यानी पंचायत नामा की कार्यवाही करती है. पंचनामा की कार्यवाही को अंजाम देने के लिए कम से कम उपनिरीक्षक स्तर का पुलिस अधिकारी मौके पर होना ज़रूरी होता है. 

पूर्व पुलिस महानिरीक्षक और यूपी कैडर के सेवानिवृत्त आईपीएस पीयूष श्रीवास्तव के मुताबिक पंचायत नामा एक अहम कार्रवाई होती है. जिसे पूरा करने के बाद ही मृतक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए संबंधित चिकित्सालय में भेजा जाता है. ताकि चिकित्सा और वैज्ञानिक आधार पर उसकी मौत का वास्तविक कारण जाना जा सके.

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यूपी के कई जिलों में एसएसपी, डीआईजी और आईजी रह चुके पूर्व आईपीएस पीयूष बताते हैं कि अगर किसी की मौत पुलिस हिरासत में हो जाती है, तो ऐसे हालात में पंचनामा की कार्रवाई पुलिस नहीं बल्कि मजिस्ट्रेट करते हैं. ऐसे ही अगर किसी मामले में पुलिस को लगता है कि उन पर किसी तरह के आरोप लग सकते हैं, तो पुलिस भी मजिस्ट्रेट से पंचनामा कराने की गुजारिश कर सकती है.

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क्या होती है पुलिस

पुलिस अधिनियम 1861 के अधीन भर्ती संबंधित विभाग में भर्ती किए गए सभी लोग 'पुलिस' माने जाते हैं. इसका मतलब यह है कि इस अधिनियम के अंतर्गत जितने भी लोगों को पुलिस बल के लिए भर्ती किया गया है, वे सभी पुलिस के अंतर्गत आते हैं. यह जनता के जान-माल की रक्षा करने, शांति व्यवस्था बनाए रखने और सामाजिक सुरक्षा का प्रबंध करने वाला सरकारी महकमा है. जिसके तहत पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं.

 

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