लखनऊ केजीएमयू के डॉक्टरों ने बाराबंकी की रेप पीड़ित 13 वर्षीय नाबालिग बच्ची की जांच करने के बाद उसका गर्भपात करने से इनकार कर दिया. डॉक्टरों की तीन सदस्यीय टीम ने जांच में पाया कि बच्ची के पेट में साढ़े सात माह का बच्चा है, जिसका गर्भपात करना सही नहीं है.
केजीएमयू प्रशासन ने इस संबंध में अपनी जांच रिपोर्ट शुक्रवार को लखनऊ हाईकोर्ट के समक्ष भेज दी. रिपोर्ट में डॉक्टरों के पैनल सभी पहलुओं पर गौर करते हुए बच्ची के गर्भपात से मना किया है. अब इस मामले में हाई कोर्ट को अपना फैसला देना है. इस मामले की सुनवाई कोर्ट में 15 सितंबर को होगी.
गौरतलब है कि बाराबंकी के मुजफ्फरपुर गांव में रहने वाली 13 साल की नाबालिग बच्ची के साथ एक युवक ने रेप किया था. डर की वजह से बच्ची ने किसी से कुछ नहीं बताया. लेकिन जब 8 जुलाई को पेट में दर्द की शिकायत होने पर बच्ची ने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने उसके पेट में 21 हफ्ते का गर्भ होने की जानकारी परिजनों को दी.
इसके बाद बच्ची के पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी बच्ची का गर्भपात कराये जाने की मांग की थी. साथ ही कोर्ट से लखनऊ के केजीएमयू में बच्ची की जांच कराने का आग्रह भी किया था. गर्भपात कराने से पहले यह देखना जरूरी था कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है या नहीं. या पीड़ित बच्ची की जान को कोई खतरा तो नहीं है.
डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि बच्ची के पेट में साढ़े सात माह का बच्चा है. जिसे प्रसव से जीवित ही निकलना पड़ेगा. इस बाबत एक लिफाफा बंद रिपोर्ट केजीएमयू प्रशासन ने हाई कोर्ट को सौंप दी है. गर्भपात की मनाही से पीड़ित बच्ची के पिता नाराज़ है. फिलहाल फैसला अब कोर्ट को करना है.