सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में 15 लोगों को बरी कर दिया है. इनको पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में आगजनी करने और सिख विरोधी दंगा भड़काने के मामले में निचली अदालत ने दोषी ठहराया था. इसके बाद नवंबर 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकी सजा को बरकरार रखा था. अब सुप्रीम कोर्ट ने इनको रिहा करते हुए कहा कि इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. कोई गवाह इनकी सीधे तौर पर पहचान नहीं पाया.
दरअसल, करीब साढ़े 34 साल पहले 1984 में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में सिख विरोधी दंगा हुए थे. इस मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंगा भड़काने और घरों को जलाने के आरोप में दोषी ठहराया था. इसके बाद मामले की अपील दिल्ली हाईकोर्ट में गई. मामले में सुनवाई करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इन को दोषी पाया और सजा बरकरार रखी. इसके बाद मामले की अपील सुप्रीम कोर्ट में की गई और शीर्ष अदालत ने इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया.
आपको बता दें कि 1984 के सिख विरोधी दंगा में त्रिलोकपुरी में करीब 95 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था और करीब 100 घरों को जला दिया गया था. इसके बाद 95 शव बरामद हुए थे.
वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से बलवान खोखर की पैरोल याचिका पर जल्द फैसला लेने को कहा है. 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के साथ बलवान खोखर भी उम्रकैद की सजा काट रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एके चावला ने सरकार को बलवान खोखर की याचिका पर लोकसभा चुनाव खत्म होने के दो हफ्तों के भीतर फैसले लेने के निर्देश दिए हैं.
किसी भी दोषी ठहराए गए व्यक्ति को पैरोल देने पर राज्य सरकार कमेटी बनाकर फैसला लेती है. सरकार के फैसले के आधार पर ही कोर्ट दोषी ठहराए गए व्यक्ति को पैरोल देने का निर्णय लेता है. सोमवार को दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दरम्यान कहा कि आचार संहिता लागू रहने के दौरान कैदियों को चुनाव अवधि में रिहा नहीं किया जा सकता है. इसके बाद हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को लोकसभा चुनाव के खत्म होने के बाद बलवान खोखर की याचिका पर विचार करने के लिए समय दिए जाने का निर्देश दिया है.
सिख दंगा मामले में दोषी ठहराए गए खोखर ने अपनी याचिका में कहा कि 17 दिसंबर 2018 के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए उसको पैरोल चाहिए. दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 सिख दंगा मामले में पूर्व पार्षद बलवान खोखर, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार, गिरिधर लाल, कृष्णा खोखर और सेवानिवृत्त कैप्टन भागमल को दोषी ठहराया था.