34 साल पहले 1984 में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुए दंगों के सिलसिले में सभी 88 दोषियों की अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सजा बरकरार रखा है.
कड़कड़डूमा कोर्ट ने साल 1996 में दंगा भड़काने, घरों को जलाने और धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में 107 लोगों को 5 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद 88 लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की थी.
इन पर 2 नवंबर 1984 को कर्फ्यू का उल्लंघन कर हिंसा करने का आरोप था. उस हिंसा में त्रिलोकपुरी में करीब 95 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था और करीब सौ घरों को जला दिया गया था.
इस मामले में 95 शव बरामद होने के बाद भी किसी भी दोषी पर हत्या की धाराओं में आरोप तय नहीं हुए थे.1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी पाए गए करीब 80 से ज्यादा लोगों की अपील पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सितंबर में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
जस्टिस आरके गौड़ा ने इस मामले पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ इन लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
सभी 88 दोषियों पर निचली अदालत में ये आरोप साबित हो गए थे कि इन्होंने ही 2 नवंबर 1984 को कर्फ्यू का उल्लंघन कर हिंसा की थी. इस हिंसा के दौरान करीब 100 घरों को जलाया गया था, जिसमें 95 लोगों की मौत हो गई थी.