पत्नी बीमार थी तो पति ने 11 महीने के बच्चे को एक दंपती को बेच दिया जिनकी कोई संतान नहीं थी. पत्नी ठीक हुई तो वह बच्चे को मांगने गया लेकिन वह दंपती को खोज ही नहीं पाया. पत्नी ने बच्चे की बरामदगी के लिए पुलिस के चक्कर लगाए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद बच्चा अपनी मां के पास पहुंच गया.
महिला सुरक्षा यात्रा के दौरान जब स्वाति मालीवाल शाहबाद डेरी क्षेत्र में महिलाओं को संबोधित कर रही थीं तभी एक महिला ने उनसे संपर्क किया और उनको अपनी आप-बीती सुनाई. पीड़ित महिला ने बताया कि उसके पति ने उसके 11 महीने के बच्चे को 2 साल पहले बेच दिया था. उस समय वह बहुत बीमार थी.
उसने बताया कि वह अपने बच्चे को ढूंढ़ने की कोशिश कर रही है, एक थाने से दूसरे थाने जा रही है, मगर उसे कोई मदद नहीं मिल रही. उसने बताया कि उसे यह भी नहीं पता कि उसका बच्चा जिन्दा है भी या नहीं. आयोग की अध्यक्ष ने तुरंत शिकायत पर संज्ञान लिया और शाहबाद डेरी थाने के एसएचओ से तुरंत कार्रवाई करने को कहा. एसएचओ ने भी उन्हें कार्रवाई का भरोसा दिलाया.
पुलिस ने जल्द से जल्द एक टीम का गठन किया और 2 दिन में बच्चे को दिल्ली के खजूरी इलाके से ढूंढ निकाला.
दरअसल बच्चे के पिता ने 11 महीने के बच्चे को एक पति-पत्नी को बेच दिया था जिनका कोई बच्चा नहीं था. उसकी पत्नी बहुत बीमार थी और वह बच्चे की देखभाल नहीं कर सकता था इसलिए उसने ऐसा किया. 2-3 महीने के बाद जब वह बच्चे को वापस लेने गया तो उन लोगों को नहीं ढूंढ पाया. उसको केवल इतना पता था कि वो लोग खजूरी में रहते थे. बच्चे के माता-पिता ने अपनी पूरी कोशिश से उनको ढूंढना जारी रखा, उन्होंने दिल्ली पुलिस से भी संपर्क किया, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन अब दिल्ली महिला आयोग के प्रयास से बच्चा सही सलामत अपने माता-पिता से मिल गया.
इसके बाद बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया और कागज़ी कार्रवाई के बाद बच्चे को उसके असली माता-पिता को सौंपा गया.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि महिला सुरक्षा यात्रा के दौरान एक मां को रोते हुए देखना बहुत दुखद था जिसका बच्चा खो गया था और वह बहुत असहाय महसूस कर रही थी. क्योंकि कोई भी उसके खोये हुए बच्चे को ढूंढ़ने के लिए उसकी मदद नहीं कर रहा था. हमारे अनुरोध पर शाहबाद डेरी के एसएचओ ने तुरंत बच्चे को ढूंढ़ लिया. मैं उनके इस प्रयास के लिए उनको बधाई देती हूं. मेरी 13 दिन की पदयात्रा करने का मकसद था कि मैं लोगों तक पहुंचूं और आयोग की सेवाओं को उन तक पहुंचाऊं. मैं बहुत खुश हूं कि हम अपने लक्ष्य में सफल हुए.