तकरीबन ढाई साल पहले रेप की शिकार हुई नाबालिग पीड़िता को इंसाफ चाहिए था. कोर्ट में जज के सामने उसका मुजरिम खड़ा था. आरोपी की शक्ल देख डरी-सहमी बच्ची ने जज के कानों में जाकर अपनी दर्दनाक दास्तां सुनाई. जिसे सुनने के बाद कोर्ट ने मासूम के साथ इंसाफ करते हुए आरोपी को दोषी करार देते हुए 7 साल की सजा सुनाई.
रेप की यह घटना मुंबई की है. 9 वर्षीय पीड़िता के पिता की मौत हो चुकी है. वह अपनी दिव्यांग मां के साथ फुटपाथ पर ही रहती है. पीड़िता का परिवार आरोपी मांगी सोनकर (49) को पहले से जानता था. हर रोज की तरह 9 सितंबर, 2014 को भी मासूम अपनी मां के साथ फु़टपाथ पर सो रही थी.
इसी दौरान मांगी सोनकर भी बच्ची के पास आकर सो गया. देर रात मांगी ने मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाया. वारदात को अंजाम देने के बाद सोनकर फरार हो गया. पीड़ित ने अपनी मां को आपबीती बताई. मां ने पास ही रहने वाले शख्स युसूफ की मदद से बायकुला पुलिस स्टेशन में आरोपी मांगी सोनकर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई.
पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपी मांगी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कर उसे अरेस्ट कर लिया. केस की तारीखें चलती गईं और एक दिन डरी-सहमी पीड़िता ने भरी अदालत में आरोपी के सामने जज के पास जाकर उनके कानों में अपनी आपबीती सुनाई. पीड़िता की बात सुनकर जज भी दंग रह गए.
जिसके बाद केस में सबूतों और बच्ची की गवाही को ध्यान में रखते हुए जज ने आरोपी मांगी सोनकर को रेप का दोषी करार दिया और उसे 7 साल कैद की सजा सुनाई.