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गांव लौटने पर अन्‍ना का जोरदार स्‍वागत

वैसे तो गुरुवार को गणेश चतुर्दशी है, लेकिन रालेगण सिद्धि में अन्ना हजारे के लौटने की खुशी में गुड़ी-पड़वा मनाया जा रहा है. इस खुशी में लोग अपने घरों के सामने रंगोली बना रहे हैं, पूजा-पाठ कर रहे हैं.

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अन्ना हजारे
अन्ना हजारे

वैसे तो गुरुवार को गणेश चतुर्दशी है, लेकिन रालेगण सिद्धि में अन्ना हजारे के लौटने की खुशी में गुड़ी-पड़वा मनाया जा रहा है. इस खुशी में लोग अपने घरों के सामने रंगोली बना रहे हैं, पूजा-पाठ कर रहे हैं.
देखें कैसे अस्पताल से निकले अन्ना | LIVE TV 

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लोग घरों के सामने खुशहाली का प्रतीक गुड़ी लगा रहे हैं. वैसे यह त्योहार अप्रैल में आता है और इस साल 4 अप्रैल को मनाया गया है. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इसे नया साल माना जाता है और इसी दिन से नई फसल की शुरुआत होती है. त्योहार से किसान शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं, लेकिन इस वक्त आधी जंग जीतकर लौटे अन्ना के लिए ये पर्व मनाया जा रहा है.
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अन्ना हजारे को गणपति बप्पा याद आ रहे थे, तो रालेगण सिद्धि को याद आ रहे थे अन्ना हजारे. आखिर 12 दिन के अनशन की कामयाबी और चार दिन के इलाज के बाद अन्ना अपने गांव पहुंच गए हैं. गांव पहुंचने पर उनका जोरदार स्वागत हुआ और देर रात तक आतिशबाजी हुई.

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पुणे का रालेगण सिद्धि गांव गणपति बप्पा के आने का इंतजार कर रहा था, लेकिन इसी बीच अन्ना हजारे के आने की खबर आई, तो पूरा गांव स्वागत के लिए उमड़ पड़ा. गांव के मुख्य चौराहे पर इंतजार कर रही महिलाओं ने उनकी आरती उतारी और प्रसाद बांटा.
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अन्ना का चेहरा उनकी सेहत की गवाही दे रहा था. लोग जानते थे अन्ना ठीक महसूस नहीं कर रहे हैं. अनशन ने उन्हें कमजोर कर दिया है, लेकिन गांव पहुंचकर उन्होंने बताया कि आखिर अस्पताल से छुट्टी लेने का राज क्या है. जब गांव में गणपति बप्पा आने वाले हों, तो अन्ना दूर कैसे रह सकते थे?

गांव पहुंचकर अन्ना हजारे सबसे पहले संत यादव बाबा मंदिर पहुंचे. उसी मंदिर में, जहां वो पिछले 35 साल से रहते आए हैं. अन्ना यहां अपने इष्टदेव से गले मिले और पूरी श्रद्धा के साथ मत्था टेका.

यादव बाबा मंदिर से अन्ना पद्मावती मंदिर पहुंचे और वहीं गेस्ट हाउस में रात के करीब डेढ़ बजे सोने चले गए, लेकिन उनके गांव रालेगण में देर रात तक जश्न का दौर चलता रहा. आतिशबाजी से पूरा गांव रोशन रहा और ढोल-नगाड़ों की थाप पर रालेगण नाच रहा था. रात गहरा रही थी, लेकिन किसी की आंखों में नींद न थी.

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गणेश चतुर्थी के दिन गांव पहुंचे अन्ना का जोरदार स्वागत तो किया ही गया. गुरुवार को दिन भर क्या-क्या होगा, ये सब भी रालेगण के लोग पहले ही तय कर चुके थे.

22 दिन पहले यहीं से जगह से अन्ना भ्रष्टाचार भगाने का प्रण करके निकले थे. वे वापस आए, तो उन्हें छूने और अपने बीच महसूस करने के लिए लोगों की भीड़ टूट पड़ी.

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