भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के बाद पहली बार बैठक करते हुए अन्ना हजारे और उनके कोर समूह ने फैसला किया कि वे चुनाव सुधार और जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने और उन्हें खारिज करने के अधिकार समेत सांसदों के प्रदर्शन का लेखा-जोखा कराने के संबंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखेंगे.
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भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सशक्त लोकपाल विधेयक के लिए अभियान का नेतृत्व कर रहे अन्ना हजारे प्रधानमंत्री को इन मुद्दों के साथ-साथ भूमि अधिग्रहण विधेयक के संबंध में पत्र लिखेंगे और उसपर अपने विचार जाहिर करने को कहेंगे.
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हजारे के गांव में पहली बार हो रही बैठक में अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, संतोष हेगड़े, किरण बेदी और मेधा पाटकर समेत कोर समूह के शीर्ष सदस्यों ने हिस्सा लिया.
दो दिन तक चलने वाली बैठक के पहले दिन की बैठक समाप्त होने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, ‘‘आंदोलन की तरफ से अन्ना हजारे प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे और उनसे सांसदों के प्रदर्शन का वाषिर्क लेखा-जोखा कराने, खारिज करने का अधिकार, वापस बुलाने का अधिकार और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर उनसे अपने विचार जाहिर करने की मांग करेंगे.’’
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केजरीवाल ने कहा कि हजारे सांसदों के प्रदर्शन का लेखा-जोखा कराने, और उस आधार पर क्या सांसदों को खारिज करने या उन्हें वापस बुलाने के अधिकार की आवश्यकता है, इस बारे में मनमोहन सिंह से अपना विचार जाहिर करने की मांग करेंगे. उन्होंने कहा कि खारिज करने के अधिकार के लिए कानून में किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं है. खारिज करने और जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार के मुद्दे पर टीम अन्ना के सदस्य जल्द ही मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से मुलाकात करेंगे.
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केजरीवाल ने कहा कि हजारे प्रधानमंत्री से कहेंगे कि क्या प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक में किसी भी विकास परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण से पहले ग्राम सभा की रजामंदी लिए जाने की आवश्यकता का भी प्रावधान होना चाहिए.
अरुणा राय की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा कि ऐसी बात नहीं है और उन्होंने राय और उनकी टीम के साथ कई दौर की बातचीत की है. राय ने आरोप लगाया था कि टीम अन्ना उनके साथ चर्चा करने की इच्छुक नहीं है.
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केजरीवाल ने दावा किया कि राय की टीम ने कानून का कोई मसौदा तैयार नहीं किया है बल्कि सिर्फ प्रस्ताव हैं. उन्होंने कहा कि टीम अन्ना और अरुणा राय में तीन मुद्दों पर मतभेद है. इसमें प्रधानमंत्री, निचली नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में लाना और नागरिक चार्टर शामिल हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम बातचीत के लिए तैयार हैं. हम राय और उनकी टीम को सार्वजनिक चर्चा के लिए आमंत्रित करते हैं.’’
भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी यात्रा करने के भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा, ‘‘यात्रा नहीं बल्कि लोकपाल विधेयक पारित चाहते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक को पारित कराने के लिए भ्रष्टाचार के विरोधी सभी दलों को एकसाथ आना चाहिए. उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थायी समिति और संसद में उनके सांसद जन लोकपाल विधेयक के लिए मत डालें.’’
दूसरी ओर पुणे में टीम अन्ना के प्रमुख सदस्यों में से एक न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े ने देश के पहले लोकपाल के रूप में उनकी नियुक्ति की संभावना संबंधी चर्चाओं को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पद का इच्छुक नहीं हूं. मैं इसके लिए लड़ रहा हूं.’’
संतोष हेगड़े ने यह भी कहा कि सरकार और टीम अन्ना दोनों के मसौदे में लोकपाल के लिए आयुसीमा 70 रखी गई है, जबकि वे अब 72 के हैं.