जनलोकपाल के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रसिद्ध गांधीवादी अन्ना हजारे के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अनशन शुरू करने के बाद से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की पसंद रही ‘गांधी टोपी’ ‘नेहरू टोपी’ के नाम से खूब बिक रही है और लोग इसे ‘गांधी टोपी’ नहीं वरन ‘नेहरू टोपी’ के नाम से खरीद रहे हैं.
आंदोलन से जुड़े अपने अनुभव, खबरें, फोटो हमें aajtak.feedback@gmail.com पर भेजें. हम उसे आजतक की वेबसाइट पर प्रकाशित करेंगे. |
‘जनलोकपाल’ के मुद्दे पर दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन कर रहे अन्ना हजारे के समर्थन में जालंधर सहित पूरे देश में लोग सड़क पर उतर आये हैं. इसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग, गैर सरकारी संगठनों और सभी सियासी पार्टी भी अन्ना के अनशन की आग को अपने-अपने तरीके से हवा दे रहे हैं.
इन सबमें एक समानता है और वह है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रसिद्ध टोपी जिसे अन्ना हमेशा धारण किये रहते हैं. अन्ना के अनशन से लोगों के मन में इस टोपी के प्रति अचानक आकषर्ण पैदा हो गया है. जालंधर में इस टोपी की खासी मांग है. दिलचस्प बात तो यह है कि इसकी मांग ‘गांधी टोपी’ की बजाए ‘नेहरू टोपी’ के रूप में हो रही है.
पंजाब खादी मंडल के जालंधर के प्रबंधक सभासीत चौहान ने बताया, ‘‘दरअसल इस टोपी को गांधी टोपी के नाम से ही जाना जाता है. नेहरू जी भी इसे बहुत पसंद करते थे. यहां लोग नेहरू टोपी खोजने आते हैं. असल में गांधी टोपी और नेहरू टोपी एक ही है.’’
चौहान ने कहा, ‘‘लोगों को इस बात की जानकारी है कि असली गांधी टोपी खादी मंडल में ही मिलेगी, इसलिए हमारे यहां इसकी खूब मांग है. लोग इसे नेहरू टोपी के रूप में खरीदने आते हैं. यहां 30 रुपये में टोपी मिलती है, हालांकि बाजार में पांच दस रुपये में भी उपलब्ध है फिर भी हमारे यहां से लोग यह टोपी ले जाते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘जहां पहले इस टोपी की पूछ केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर होती थी, वहीं अन्ना के इस अनशन ने इस टोपी की मांग बढ़ा दी है. रोजाना 30 से अधिक टोपी बिक रही है. अन्ना के समर्थन में आंदोलन करने वाले कई संगठनों ने बड़ी संख्या में इन टोपियों की मांग की है.’’
चौहान के अनुसार बच्चे, युवा बुजुर्ग सहित तमाम सियासी दलों के लोगों ने भी इसकी जमकर खरीदारी की है. दूसरी ओर शहर के ज्योति चौक के निकट सडक के किनारे गांधी टोपी और तिरंगा झंडा बेचने वाले कुलजीत सिंह का कहना है, ‘‘हमारे पास गांधी टोपी नहीं है, यहां नेहरू टोपी है जो सात से दस रुपये में उपलब्ध है. यहां अधिकतर लोग ‘नेहरू टोपी’ की मांग करते हैं.’’
सियासी दलों में भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अन्ना के समर्थन में इस टोपी को पहने देखा जा सकता है. अन्य दलों तथा विभिन्न गैर राजनीतिक संगठनों के के कार्यकर्ताओं के बीच भी गांधी टोपी काफी लोकप्रिय है.