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अन्‍ना को मनाने की कोशिशें हुई तेज

अन्ना हज़ारे का अनशन खत्म कराने के लिए केंद्र सरकार अब एक साथ कई रास्ते खोल चुकी है. अब तक दुविधा में दिख रही सरकार लोकपाल बिल में अन्ना की कई मांगें शामिल करने का मन बना चुकी है.

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अन्ना हज़ारे
अन्ना हज़ारे

अन्ना हज़ारे का अनशन खत्म कराने के लिए केंद्र सरकार अब एक साथ कई रास्ते खोल चुकी है.

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अब तक दुविधा में दिख रही सरकार लोकपाल बिल में अन्ना की कई मांगें शामिल करने का मन बना चुकी है.

फोटो: नेताओं के घरों पर अन्‍ना समर्थकों का प्रदर्शन

कपिल सिब्बल और दूसरे केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत के बाद आध्यात्मिक गुरु भय्यू जी महाराज ने अन्ना के पास एक प्रस्ताव भी भेजा, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी, क्योंकि अन्ना तब सो रहे थे. अनशन से अन्ना का शरीर बेशक कमजोर हुआ है, लेकिन जन लोकपाल के लिए उनके आंदोलन की मजबूती बढ़ती जा रही है और साथ ही बढ़ती जा रही है सरकार की बेचैनी.

फोटो: अन्‍ना के आंदोलन में कैसे-कैसे नारे...

सोमवार को पूरे दिन सरकार और कांग्रेस के आला नेता सिर्फ यही माथापच्ची करते रहे कि अन्ना को मनाने के लिए कौन सा फॉर्मूला अपनाया जाए. समझौते की कोशिशें तो भय्यू जी महाराज के जरिए रविवार से ही शुरू हो गई थीं. सोमवार कांग्रेस कोर कमेटी की मीटिंग के बाद भय्यू जी महाराज के चार सहयोगी 11 सूत्रीय प्रस्ताव लेकर अन्ना के पास गए लेकिन अन्ना तब सो रहे थे, इसलिए बात बनी नहीं.

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अन्ना को मनाने के लिए सरकार कुछ और गैर सरकारी सूत्रों के जरिए बातचीत में जुटी है. सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार अब अन्ना को संदेश भेज रही है कि वो उनकी कई प्रमुख मांगें लोकपाल बिल में शामिल करने को तैयार है.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में फैसला हुआ कि अन्ना की कुछ मांगें मौजूदा लोकपाल बिल में संशोधन के रूप में शामिल की जा सकती हैं. प्रधानमंत्री को कुछ शर्तों के साथ लोकपाल के दायरे में लाया जा सकता है जबकि सीबीआई को भी लोकपाल शामिल किया जा सकता है.

इसके अलावा सारे सरकारी कर्मचारी भी लोकपाल के दायरे में आ सकते हैं. इसके साथ ही न्यायपालिका को लेकर सरकार अलग से एक बिल लाने पर विचार कर रही है. फिलहाल इन बातों को अन्ना मानेंगे या नहीं, इस बारे में टीम अन्ना कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. उन्हें अब भी सरकार की ओर से किसी ठोस पहल का इंतज़ार है. उसके बाद खुद अन्ना ही तय करेंगे कि उनका अगला कदम क्या होगा.

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