भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे का अनशन जारी है और सरकार सकते में है. नतीजा है कि सरकार के आधा दर्जन मंत्री एक साथ बयानबाजी में जुटे हैं. सरकार कह रही है कि हजारे थोड़ा वक्त दें तो हम जन लोकपाल बिल पर ज्वाइंट कमेटी पर विचार कर सकते हैं.
पर अन्ना का कहना है कि सरकार की नीयत ठीक नहीं है वो लोगों को बहका रही है. वीरप्पा मोइली, कपिल सिब्बल, अंबिका सोनी, पृथ्वीराज चौहान, सहित सरकार के कई मंत्री और कांग्रेस के कई नेता अन्ना हजारे पर बयान देने में जुटे हैं.
अन्ना हजारे की मांग है कि जन लोकपाल बिल को बनाने में जनता के लोगों की सहभागिता हो. सरकारी जीओएम से काम नहीं चलेगा. सरकार का कहना है कि अन्ना की मांग के लिए दरवाजे खुले हैं पर समय की दिक्कत है. लोकपाल पर बनी जीओएम के मंत्री अभी चुनाव में व्यस्त हैं. {mospagebreak}
प्रधामंत्री कार्यालय ने भी एक बार फिर अन्ना हजारे से अपील की है. प्रधानमंत्री कार्यालय दुखी है कि प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे अब भी भूख हड़ताल जारी किए हुए हैं. 7 मार्च को अन्ना हजारे के साथ हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार पर हजारे के रुख की तारीफ की थी. प्रधानमंत्री ने एक सबकमेटी बना उनके प्रस्तावित ड्राफ्ट पर विचार की बात कही. ए के एंटोनी की अध्यक्षता वाली कमेटी अन्ना हजारे से मिली भी पर मुलाकात बेनतीजा रही. हजारे सरकार पर अपना पूरा बिल स्वीकार करने का दबाव बना रहे हैं.
प्रधानमंत्री अन्ना हजारे के विचार और मिशन का सम्मान करते हैं. इस तरह सरकार ने अन्ना पर आरोप जड़ा कि वो सरकार पर दबाव बना अपनी मांगे मनवाने की जिद पर अड़े हैं जिसे हजारे ने सिरे से खारिज कर दिया. {mospagebreak}
अन्ना ने कह दिया की लोकपाल पर बने जीओएम में शामिल शरद पवार को बाहर का रास्ता दिखाओ और हमारे लोग लाओ. इस पर सरकार चुप रही लेकिन शरद पवार ने कहा मुझे हर जीओएम से हटा दो.
पर नेताओं की इस धींगामुश्ती से परेशान अन्ना ने साफ कर दिया कि उनके आयोजन में कोई नेता न आए. उमा भारती और ओमप्रकाश चौटाला को धरने से लौटा दिया गया. हांलाकि कि ये सब अन्ना के समर्थन में ही उनके पास पहुंच रहे हैं.