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लोकपाल पर तर्कसंगत बहस के लिए तैयार हैं प्रधानमंत्री

गांधीवादी अन्ना हज़ारे पक्ष के साथ एक सप्ताह से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार लोकपाल विधेयक पर ‘तर्कसंगत बहस’ के लिए तैयार है और संसद की स्थायी समिति यह देख कर रही है कि इसमें क्या बदलाव हो सकते हैं.

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

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गांधीवादी अन्ना हज़ारे पक्ष के साथ एक सप्ताह से चले आ रहे गतिरोध को समाप्त करने के प्रयास में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि सरकार लोकपाल विधेयक पर ‘तर्कसंगत बहस’ के लिए तैयार है और संसद की स्थायी समिति यह देख कर रही है कि इसमें क्या बदलाव हो सकते हैं.

कोलकाता स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुए सिंह ने कहा, ‘हम इन सभी मुद्दों पर तर्कसंगत बहस करने के लिए तैयार हैं.’ ज़ाहिरा तौर पर जन लोकपाल विधेयक को संसद में पेश किए जाने की हज़ारे की मांग के संदर्भ में उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार की ओर से पेश लोकपाल विधेयक पर मतभेद हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमने विधेयक संसद में पेश कर दिया है और वह फिलहाल स्थायी समिति के समक्ष है. विधेयक के ब्यौरे को लेकर मतभेद हैं.’ सिंह ने कहा, ‘हमने स्पष्ट किया है कि सभी संबंधित लोगों को विधेयक के विभिन्न पहलुओं के बारे में अपने मत से संसद में अपने प्रतिनिधियों और स्थायी समिति को अवगत कराना चाहिए.’

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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से दिए अपने संबोधन की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने अपने भाषण में कहा था कि ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है, जो समस्या का समाधान एक झटके में कर दे. इसका कोई इकलौता समाधान नहीं है. हमें विभिन्न मोर्चो’ पर कदम उठाने की जरूरत है.’

सिंह ने कहा, ‘एक संस्था के रूप में लोकपाल के निर्माण से मदद मिलेगी, लेकिन इससे समस्या हल नहीं हो जाएगी. न्यायिक प्रक्रिया की गति और गुणवत्ता में सुधारों के जरिए इसमें सहयोग किया जा सकता है.’ उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार व्यवस्था से गायब नहीं हुआ है और यह विभिन्न रूपों में समाहित है.

प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि कई जगहों पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार मौजूद है. उन्होंने कहा, ‘सरकार के साथ सामान्य लेनदेन में भी आम आदमी को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है. बड़े पैमाने पर भी भ्रष्टाचार व्याप्त है. जब सरकार की प्रक्रियाएं सही नहीं होती हैं तो बड़े सरकारी अनुबंधों से भी भ्रष्टाचार पैदा हो सकता है.’ उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सशक्त प्रक्रियाओं की जरूरत है और सरकार इस समस्या को खत्म करने को लेकर गंभीर है.

सिंह ने कहा, ‘भ्रष्टाचार को आर्थिक उदारीकरण एवं सुधारों के नतीजे के रूप में देखना गलत है. जिस क्षेत्र में व्यवस्थागत रूप से सुधार हुए हैं, उसमें भ्रष्टाचार नहीं दिखा.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के दिनों में जो विवाद खड़े हुए हैं, वे नियामक संस्थाओं की कमी के कारण हुए.

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उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी तकनीकी क्षमता सहित नियामक रूपरेखा को मजबूत बनाने की जरूरत है.’ सिंह ने कहा कि चुनाव और राजनीतिक दलों को मिलने वाला चंदा एक ऐसा क्षेत्र हैं, जहां सुधार के जरिए काले धन की आशंका को रोका जा सकता है.

उन्होंने आईआईएम के छात्रों से अपील की कि बतौर प्रबंधक वे पारदर्शिता को बढ़ाने के उपाय सुझाएं.

इस समारोह में प्रधानमंत्री के शिरकत करने के दौरान आईआईएम परिसर के बाहर आईआईटी-खड़गपुर के छात्रों ने अन्ना हजारे के समर्थन में प्रदर्शन किया.

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