लोकपाल विधेयक की संयुक्त प्रारूप समिति के अध्यक्ष का पद नागरिक समाज के सदस्य को देने एवं उसके लिए औपचारिक अधिसूचना जारी करने से सरकार के इनकार करने के बाद गांधीवादी नेता अन्ना हजारे ने 13 अप्रैल को देशभर में जेल भरो आंदोलन चलाने की घोषणा की.
जेल भरो आंदोलन का आह्वान करते हुए हजारे ने लोगों से इस आंदोलन के दौरान अहिंसा पर कायम रहने की अपील की. उन्होंने जेलभरो आंदोलन के लिए 12 अप्रैल की तिथि की घोषणा की और बाद में उसे बदलकर 13 अप्रैल कर दिया.
हजारे ने कहा, ‘मैं महसूस करता हूं कि देशभर में जेलभरो आंदोलन चलना चाहिए. लेकिन आपको अपने दिमाग में गांधीजी को रखकर इस आंदोलन में हिस्सा लेना चाहिए. कहीं भी कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए.’
उन्होंने कहा कि वह पहले भी महाराष्ट्र में जेल भरो आंदोलन चला चुके हैं. शुक्रवार की सुबह मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश और अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक होनी थी लेकिन यह बैठक नहीं हुई और दोनों पक्षों ने कहा कि वे एक दूसरे का इंतजार करते रहे. उसके बाद हजारे ने यह घोषणा की.
सामाजिक कार्यकर्ताओं की इन दोनों मांगों को खारिज करते हुए सिब्बल ने यह भी कहा कि केवल सरकारी अधिकारी ही लोकपाल विधेयक की प्रारूप समिति के सदस्य होंगे और दूसरा, यदि नागरिक समाज ने अध्यक्ष पद के लिए दबाव डाला तो कोई भी मंत्री उसका हिस्सा नहीं होगा.
{mospagebreak} उन्होंने कहा, ‘संयुक्त समिति के गठन पर कोई सरकारी अधिसूचना जारी किये जाने की संभावना नहीं है लेकिन हमने उनसे कहा है कि हम कानून मंत्रालय के माध्यम से सरकारी पत्र देने और प्रेस नोट जारी करने को इच्छुक हैं.
हजारे ने बेरोजगार युवकों से भी इस आंदोलन में हिस्सा लेने की अपील की और कहा कि उन्हें जेल में सुबह का नाश्ता और दो बार भोजन मिलेगा.
उन्होंने कहा कि उनका आंदोलन सत्ता का लोगों के हाथों विकेंद्रीकरण के लिए है और प्रस्तावित लोकपाल विधेयक उस दिशा में एक अगला कदम है. इसी के साथ उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी किसी समिति का हिस्सा बनने में दिलचस्पी नहीं है.
केजरीवाल ने कहा कि हजारे नये लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए समिति के अध्यक्ष पद के लिए देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जे एस वर्मा और न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े के नाम का सुझाव देते हुए प्रधानमंत्री को पत्र भेजेंगे.
हजारे ने कहा कि इस देश में भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है यदि इस रोग के खिलाफ संघर्ष में जुटी एजेंसियों को सरकार के बजाय लोकपाल के अधीन ले आया जाए.
उन्होंने कहा, ‘सीबीआई, सतर्कता समितियां या अन्य समितियां आदि जिनसे भ्रष्टाचार के रोकथाम की आशा की जाती है वे सरकार के अंतर्गत हैं. चूंकि वे सरकार के अंतर्गत कार्य रही हैं इसलिए भ्रष्टाचार नहीं रूक रहा.’
{mospagebreak} हजारे ने कहा, ‘‘बोफोर्स के पहले और बाद में सीबीआई ने कई बड़े मामलों की जांच की. लेकिन क्या अबतक कोई भी मंत्री या आईएएस या आईपीएस अधिकारी जेल गया. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यदि कोई कड़ी कार्रवाई करना भी चाहता है तो सरकार उसे रोक देती है.’
उन्होंने कहा, ‘भ्रष्टाचार के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार एजेंसियां, जो सरकार के अधीन हैं, यदि लोकपाल के अधीन ले आयी जाए तो भ्रष्टाचारी जेल जाएंगे
यही वजह है कि हम इस तरह के लोकपाल की मांग कर रहे हैं.’
गांधीवादी नेता ने सूचना का अधिकार कानून का हवाला देते हुए कहा कि इस कानून ने भारी बदलाव लाया है और सरकार को नियमों का पालन करना होगा तथा ब्रिटेन ने ‘नियम केवल लोगों के लिए और नियंत्रण सरकार का’ की जो व्यवस्था दी थी वह पलट जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘आज देश में भ्रष्टाचार ने अपना सिर उठा लिया है उसके दो कारण हैं. पहला, कानून इतने कमजोर हैं कि भ्रष्ट व्यक्तियों को उनका कोई डर नहीं होता. दूसरा, सरकार चलाने वाले बहुत से लोग इन भ्रष्ट लोगों का साथ ले रहे हैं.’
{mospagebreak} हजारे ने कहा, ‘एक तीसरा कारण भी है कि सत्ता का विकेंद्रीकरण नहीं हुआ. भ्रष्टाचार अपना सिर इसलिए उठाता है क्योंकि सत्ता सरकार में केंद्रित है. लोकपाल विधेयक (सत्ता के) विकेंद्रीकरण के लिए है और हमारा आंदोलन उसी के लिए है.’
हजारे के साथ मंच पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश समाधान के प्रति आशान्वित नजर आए.
अग्निवेश ने कहा, ‘मैं इसे टकराव के रूप में नहीं देखना चाहता. बिल्कुल ही नहीं. सिब्बल बहुत ही सुलह वाले व्यक्ति हैं और उन्होंने मुझसे फोन पर बात की है और वह वह मामला यथाशीघ्र जल्द सुलझाना चाहते हैं. उम्मीद है कि शाम तक मामला सुलझ जाएगा.’
सिब्बल ने कहा कि सरकार उनकी बातों पर गौर करने को तैयार है.
केजरीवाल ने आंदोलन में किसी भी तरह की दो-फाड़ की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि इसमें हिस्सा लेने वाले लोग एकजुट हैं.
पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने भी कहा कि वह पूरी तरह इस आंदोलन के साथ हैं और आगे भी वह इस संघर्ष में साथ रहेंगी.